गत चैंपियन विश्वनाथन आनंद के लिए विश्व शतरंज चैंपियनशिप में 'करो या मरो' जैसी स्थिति है। अब जबकि केवल चार बाजियां बची हैं, तब आनंद के पास अपने चैलेंजर नार्वे के मैग्नस कार्लसन के खिलाफ अपना खिताब बचाने का संभवत: आखिरी मौका होगा।
अब तक आठ बाजियों में आनंद दो अंक से पीछे चल रहे हैं, लेकिन अभी पूरी तरह से उनकी उम्मीदें समाप्त नहीं हुई हैं। नौवीं बाजी काफी महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि आनंद को सफेद मोहरों से खेलना है। कार्लसन के लिए अब राह आसान दिख रही है, क्योंकि वह 5-3 की बढ़त लेकर खिताब के करीब पहुंच गए हैं। आनंद को केवल दो बाजियों में सफेद मोहरों से खेलना है। नौवीं बाजी में जीत से वह कार्लसन की बढ़त कम करके उनकी लय तोड़ सकते हैं। कार्लसन को अगली चार बाजियों में जीत के लिए केवल 1.5 अंक चाहिए।
पहली चार बाजियों में ड्रॉ और फिर दो हार के बाद स्थिति यह थी कि आनंद को हर हाल में वापसी करनी ही थी, लेकिन पिछली दो बाजियां आसानी से ड्रॉ पर समाप्त हो गई। आठवीं बाजी तो केवल 75 मिनट तक चली जिससे पता चलता है कि कार्लसन भी अब संतुष्ट हैं। विशेषज्ञों का मानना था कि छठी बाजी में हार के बाद आनंद जल्द ही वापसी की कोशिश करेंगे, लेकिन उनकी भावभंगिमा कुछ अलग कहानी बयां करती थी। शतरंज के बादशाह को स्थिति पता है और अब समय आ गया है, जबकि उन्हें दिखाना होगा कि क्या उनके पास कोई दांव बचा है।
मुकाबले के इस पड़ाव पर कार्लसन की जीत की कल्पना कोई भी कर सकता है, लेकिन जो लोग आनंद को जानते हैं, उन्हें पता है कि वह हार मानने वालों में नहीं हैं और पासा पलट सकते हैं। आनंद ने भी साफ किया कि वह अगली बाजी में मजबूत वापसी करेंगे।
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