बिहार के सहरसा जिले में बलुआहा घाट और गंडौल के बीच कोसी नदी पर बनाया गया पुल शनिवार को आम लोगों के लिए खोल दिया गया। इस पुल के बन जाने से इस इलाके में रहने वाले लोगों का पीढ़ियों का ही सपना पूरा नहीं हुआ, बल्कि दो भागों में बंटे मिथिलांचल के बीच संपर्क भी कायम हो गया। कोसी नदी पर बनी यह महासेतु न केवल सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बल्कि नदी के बांध के अंदर रहने वाली बड़ी आबादी को अब सड़क की सुविधा भी सुलभ हो गई है। करीब ढाई किलोमीटर लंबे इस पुल का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को किया।
2050 मीटर लंबे इस पुल के उद्घाटन के बाद स्थानीय लोगों का कहना है कि सहरसा से दरभंगा जाने के लिए पहले जहां 200 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती थी वहीं अब यह दूरी सिमटकर 100 किलोमीटर हो गई है। इसी तरह समस्तीपुर से दूरी 238 किलोमीटर की जगह 138 किलोमीटर रह गई, जबकि मधुबनी से दूरी 168 किलोमीटर की जगह 88 किलोमीटर रह गई। पटना से दूरी में भी कम से कम 100 किलोमीटर की कमी आई है।
मिथिलांचल के इस पुल के बनने के सपने को दिखाकर स्वतंत्रता के बाद कई नेता सत्ता तक पहुंचे, लेकिन सपने को पूरा नहीं किया। स्थानीय लोग नेताओं से आरजू-मिन्नतें करते रहे, लेकिन पीढ़ियां गुजरती चली गई। वर्ष 2009 में राज्य के मुख्यमंत्री ने इस पुल का शिलान्यास किया और मात्र चार वर्ष के अंदर पुल निर्माण को पूरा कर लिया गया। पथ निर्माण विभाग के सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि इस पुल से कोसी बांध के आसपास के दर्जनों गांवों की बड़ी आबादी को लाभ मिलेगा। वे लोग अब तक नाव से आना-जाना करते थे। अपने कृषि उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने में उन्हें काफी दिक्कत होती थी, कई बार नौका दुर्घटना का भी उन्हें शिकार होना पड़ता था।
उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र में मक्का, गेहूं, मखाना और दलहन की अच्छी पैदावार होती है तथा मछली व्यवसाय में भी इस क्षेत्र की पहचान है। उन्होंने बताया कि 531 करोड़ रुपये की लागत से बने इस पुल के निर्माण से इस क्षेत्र में पड़ने वाले कई पर्यटकस्थलों का भी अब विकास हो सकेगा। सहरसा के कमेन्द्र प्रसाद ने कहा कि आज का दिन इस इलाके के लिए ही नहीं सभी मिथिलांचल वासियों के लिए किसी त्योहार से कम नहीं। उन्होंने कहा कि पीढ़ियों का दर्द और पीड़ा झेल रहे यहां के लोगों का इंतजार अब खत्म हो गया।
बिहार के इस क्षेत्र के लोगों को या तो नाव द्वारा अन्य क्षेत्रों में जाना पड़ता था या फिर लंबी दूरी तय कर अपने गंतव्य तक पहुंचना होता था। इस स्थिति में पैसे और समय दोनों की बर्बादी होती थी। उन्होंने कहा कि अब जहां ग्रामीण लोग अपने उत्पादों को लेकर शहर तक पहुंच सकेंगे वहीं इस क्षेत्र का विकास भी होगा। सहरसा के गल्ला व्यवसायी धीरेंद्र साह ने कहा कि इस महासेतु से कम खर्च पर अनाजों की खेप अन्य शहरों से आ सकेगी तथा अब यहां खाद्यान्न सामग्री मंगाना सस्ता हो जाएगा।

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