संसद ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश को विभाजित कर तेलंगाना राज्य गठित करने को मंजूरी दे दी। गठन के बाद तेलंगाना देश का 29वां राज्य होगा। राज्यसभा में हंगामे के बीच गुरुवार को आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। उच्च सदन में इस बिल के पारित होने के बाद इसे अब राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद तेलंगाना देश का 29वां राज्य बन जाएगा। टीएमसी ने इस बिल पर वोटिंग के दौरान सदन से वाकआऊट किया। वहीं, एनसीपी ने भी वोटिंग के दौरान वाकआऊट किया। गौर हो कि यह बिल लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और डीएमके के सदस्यों ने विधेयक पारित होने से पहले सदन से बहिर्गमन किया, जबकि शिवसेना, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने विधेयक का विरोध किया। सीमांध्र क्षेत्र से तेलुगू देशम पार्टी के सांसदों ने चर्चा के दौरान सभापति की आसंदी के सामने `आंध्र प्रदेश बचाओ, लोकतंत्र बचाओ` के नारे लगाए।
कांग्रेस सदस्यों की सुरक्षा घेरे में सदन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सीमांध्र क्षेत्र को पांच वर्षो तक विशेष पैकेज देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सहायता के लिए 13 जिलों वाले शेष आंध्र प्रदेश को पांच वर्षो तक विशेष राज्य का दर्जा दिया जाएगा। इससे राज्य की वित्तीय स्थिति अत्यंत मजबूत होगी। विधेयक पारित होने से पहले विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि कानून एवं व्यवस्था से संबंधित शक्तियां राज्यपाल को दिए जाने के प्रस्ताव के बारे में संविधान संशोधन की जरूरत है। लेकिन सरकार इससे सहमत नहीं हुई। जेटली ने कहा कि आंध्र प्रदेश का बंटवारा कर तेलंगाना के गठन का फैसला `कानूनी रूप से सही है।
उल्लेखनीय है कि देश का 29वां राज्य तेलंगाना तेलगूभाषी लोगों के लिए अब दो राज्य हो जाएगा। इसमें हैदराबाद सहित 10 जिले होंगे। तेलंगाना के अलग हो जाने के बाद अब आंध्र प्रदेश में 13 जिले रह जाएंगे। 10 साल तक दोनों राज्यों की राजधानी हैदराबाद रहेगी। 1.14 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला और 3.52 करोड़ की आबादी वाला तेलंगाना राज्य बनने के बाद आबादी और क्षेत्रफल के लिहाज से देश का 12वां सबसे बड़ा राज्य होगा।
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