संसदीय इतिहास में कई टकराव भरे मोड़ों से गुजरने के बावजूद पंद्रहवीं लोकसभा के अंतिम सत्र का समापन शुक्रवार को बड़े ही सौहार्दपूर्ण माहौल में हुआ। सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक दूसरे की जी भर कर तारीफ की। जबकि कुछ नेताओं ने सदन की स्थिति पर आत्मनिरीक्षण करने की अपील की।
शीतकालीन सत्र की विस्तारित बैठक के अंतिम दिन नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि संसदीय कार्यवाही चलाने में जो कड़वाहट पैदा हुई, वह सदस्यों की जनता और राष्ट्रीय हित के मुद्दों को उठाने की इच्छा के कारण हुई और इसे भूला दिया जाना चाहिए क्योंकि इसमें कुछ भी निजी नहीं था। लोकसभा में ऐसे कई क्षण आए, जब टकराव अपने चरम पर पहुंच गया और कई शर्मनाक घटनाएं कार्यवाही में दर्ज हो गर्इं। 2012 में विपक्ष के 2जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति बनाने की मांग पर अड़े रहने के कारण पूरा शीतकालीन सत्र बिना किसी कामकाज के गुजर गया था। शुक्रवार को अंतिम दिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृह मंत्री और लोकसभा में सदन के नेता सुशील कुमार शिंदे, विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और अन्य नेताओं ने एक दूसरे की खुल कर तारीफ की।
अपने विदाई भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सदन में महत्त्वपूर्ण कानूनों को पास करने में दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर काम करने की क्षमता रही। इस संदर्भ में उन्होंने तेलंगाना विधेयक का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उम्मीद के एक नए माहौल का जन्म होगा जो देश को ‘इस तनावपूर्ण माहौल से’ बाहर ले जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि देश को नए मार्ग पर ले जाने के लिए एक ‘नई आम सहमति की भावना’ उभरेगी। इसी के साथ ही उन्होंने तेलंगाना विधेयक पास किए जाने का जिक्र करते हुए थोड़ा आशावाद भी इन शब्दों में जताया कि देश बिना परिणामों की परवाह किए ‘मुश्किल’ फैसले कर सकता है।
पिछले दस साल से देश की कमान संभाल रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कह चुके हैं कि वे तीसरी बार इस पद की दावेदारी में नहीं हैं। आगामी आम चुनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि लोगों को सरकार के ‘प्रदर्शन, कमजोरियों और उसकी उपलब्धियों’ को जांचने का मौका मिलेगा। उन्होंने विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज की भी तारीफ की। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने आज अपने राजनय कौशल का परिचय दिया और विशेष रूप से तेलंगाना विधेयक पास किए जाने में भाजपा के समर्थन को लेकर सुषमा स्वराज की सराहना की। भारतीय लोकतंत्र के सौंदर्य को रेखांकित करते हुए शिंदे ने कहा कि सत्ताधारी और विपक्षी सदस्य भले ही संसद में विभिन्न मुद्दों पर अपने मतभेद जाहिर करते हों, लेकिन वे अपनी इन भावनाओं को सदन से बाहर नहीं ले जाते।
शिंदे ने कहा कि हमने कई विषयों पर मिल कर फैसले किए। ये विषय काफी समय से लंबित थे। सदन ने लोकपाल, तेलंगाना, खाद्य सुरक्षा विधेयक और भूमि अधिग्रहण विधेयक सहित कई महत्त्वपूर्ण विधेयक पास किए। तेलंगाना विधेयक के बारे में उन्होंने कहा कि वे इस विधेयक पर समर्थन के लिए भाजपा के आभारी हैं।
शिंदे ने कहा कि उन्हें यकीन नहीं था कि भाजपा विधेयक का समर्थन करेगी या नहीं, लेकिन आपने इसे प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बनाया कि सोनिया गांधी ने दस साल पहले नए राज्य के गठन का एलान किया था और आपने भी इसका वायदा किया था। सुषमा की सराहना करते हुए शिंदे ने कहा, ‘जो मिठास आप की बात में है, वो मिठाई में भी नहीं मिलती।’ कुछ ऐसी ही भावना व्यक्त करते हुए सुषमा ने सोनिया, मनमोहन और शिंदे की सराहना की।
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