सदन में घिरी सरकार, विधानसभा अèयक्ष ने दिए विधायक मामले में जांच कमेटी बनाये जाने के निर्देश
देहरादून। विधानसभा में हाल में किए गए शिलान्याव और लोकार्पण कार्यक्रमों पर सदन का सत्र सुचारू रहने के दौरान किए जाने पर विपक्ष ने जमकर घेरा। विपक्षी विधायकों ने कार्यक्रमों में उचित सम्मान न दिए जाने का मामला भी उठाया। विपक्ष की मांग को विधानसभा अèयक्ष ने भी सही मानते हुए सरकार को निर्देश दिए कि सरकारी कार्यक्रम मेंं विपक्षी विधायकों को जरूरी आमंत्रित किया जाए। वहीं रूद्रपुर विधायक राजकुमार ठुकराल के मामले में विधानसभा अध्यक्ष ने एक माह में पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिये है कि कहीं विधायक को रंजिशन तो नहीं फंसाया गया है। प्रश्नकाल व शून्यकाल की समापित के बाद पूर्व मुख्यमंत्राी व भाजपा विधायक डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि सदन का सत्र चल रहा है। फिर भी मुख्यमंत्री बाहर घोषणाएं कर रहे हंै। पहले शासनादेश जारी किया गया था कि मुख्यमंत्री पांच करोड़ से ज्यादा के कार्यों का लोकार्पण या शिलान्यास करेंगे। उससे कम की योजनाएं मंत्री व विधायक करेंगे। मगर अब तो मुख्यमंत्री पांच-पांच लाख रूपए की योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण कर रहे हैं। यह संसदीय परंपराओं के विपरीत व विधानसभा का विश्ेाषाधिकार हनन है। उन्होंने जानना चाहा कि किस नियमावली व विधान में लिखा है कि बिना उदघाटन के काम शुरू नहीं हो सकता। नेता प्रतिपक्ष अजय भटट ने कहा कि पिछली सरकार के समय बेस अस्पताल पिथौरागढ़ का शिलान्यास करते हुए 2.60 करोड़ रूपए के काम भी करा दिए। अब फिर से अन्य स्थान पर शिलान्यास कर दिया गया। यही नहीं इस सरकार ने नौ फरवरी को शिलान्यास और लोकार्पण पर 12.5 करेाड़ रूपए, गैरसैंण में कैबिनट बैठक में दस करोड़ रूपए खर्च किए। संसदीय कार्य मंत्री डा. इंदिरा हृदयेश पाठक ने कहा कि परंपरा व व्यवस्था है कि सदन चलने के दौरान घोषणाएं नहीं की जाए। पंचायत चुनाव को देखते हुए यह निशिचत किया गया कि एक ही दिन में पूरे प्रदेश में यह काम कर लिया जाए। यदि काम शुरू हो जाए तो आचार संहिता में भी जारी रह सके। बजट से बाहर मुख्यमंत्री ने कोर्इ घोषणा नहीं की। यदि विपक्षी विधायकों को बुलाया नहीं गया तो बुलाया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि मौसम में खराबी के कारण नियत तिथि पर हरिद्वार नहीं आर्इ पार्इं, अब सड़क मार्ग से हरिद्वार जाकर शिलान्यास व लोकार्पण करेंगी। भाजपा विधायक प्रेमचन्द्र अग्रवाल ने कहा कि ऋषिकेश विधानसभा में खदरी के पास एनजीए रोड का एक नेता ने फिर से उदघाटन किया और पुराने बोर्ड उखाड़ दिए गये।
प्रदेश सरकार 21 हजार 987 करौड़ कर्ज में- इनिदरा
देहरादून, 11 फरवरी(निस)। उत्तराखण्ड राज्य के गठन के 13 वर्ष बाद बाद भी राज्य की आर्थिक सिथति नही सुधरी है। राज्य पर अभी भी 21987 करौड़ का कर्ज है। ये जानकारी देते हुये संसदीय कार्य मंत्री इनिदरा हद्वयेश पाठक ने प्रश्नकाल के दौरान विधायक मदन कौशिक के सवाल पर जानकारी देते हुये कहा कि वर्ष 2013 में राज्य पर 18 हजार 8 सौ करौड़ का कर्ज था जबकि वर्ष 2014 में राज्य पर 21 हजार 987 करौड़ रूपये का कर्ज है। श्रीमती हद्वयेश ने कहा कि राज्य पर कर्ज से मालूम होता है कि प्रदेश की विकास दर बढ़ रही है। सरकार द्वारा आमदनी से अधिक खर्च करना वित्तीय प्रबंधन भी है। उन्होंने कहा कि लगातार घाटे का बजट पेश होने से राज्य पर कर्ज भी बढ़ता गया है। वही मदन कौशिक ने सवाल करते हुये कहा कि सरकार ने वित्तीय घाटे को कम करने के लिए क्या कदम उठाये है। इस पर मंत्री इनिदरा हद्वयेश ने कहा कि अनावश्यक खर्च को रोकने का प्रयास सरकार लगातार करती है।
जिला योजना के लोकार्पण से आहत हुर्इ सीएम पद की गरिमा:निशंक
देहरादून, 11 फरवरी(निस)। पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता डा रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि कांग्रेस लगातार विधान सभा की कार्य संचालन नियमावली तथा पीठ की अवमानना के साथ साथ विधान सभा की मर्यादा का भी उल्लंघन कर रही है। इन असंवैधानिक कार्यों के माध्यम से वर्तमान सरकार ने संसदीय परंपराओं की मर्यादा ही तार-तार कर दी है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण तो है ही ,राजनैतिक तथा संवैघानिक दृषिट से भी ठीक नही है। इसकी भत्र्सना की जानी चाहिए। डा निशंक ने कहा कि जिस तरह से मुख्यमंत्री 1 लाख से 5 लाख तक की लागत के जिला योजना ं के कार्यों का भी लोकार्पण तथा शिलान्यास कर रहे हैं उससे सीएम पद की गरिमा को भी ठेस पहुंची है। अगर ऐंसा किया गया तो क्या मुख्यमंत्री-मंत्री के कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण के लिए शासनादेश में संशोधन किया गया है? उन्होंने कहा कि परंपरा रही है कि जहां भी मुख्यमंत्री अथवा मंत्री के द्वारा शिलान्यास या लोकार्पण किया जाता है वहां के विधायक को भी विश्वास में लिया जाता है,लेकिन हालत यह है कि विधायकों को पता ही नही कि उनकी निधि से हुए कार्य का लोकार्पण हो गया। अगर कोर्इ विधायक अपने क्षेत्र में किसी कार्य का लोकार्पण कर देता है तो वह सीएम अथवा मंत्री के बिना किस तरह से अवैध हो गया। सरकार ने एक ही दिन में 1800 करोड के कार्यों का शिलान्यास कर दिया,लेकिन यह पूरी तरह से राजनैतिक स्टंट है और वह राजनैतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही है। एक ओर सदन चल रहा है और परंपरा रही है कि सदन के चलते बाहर किसी तरह की घोषणा नही की जा सकती है। ऐंसे कर्इ कार्य हैं जो कि भाजपा शासनकाल में पूरे हो गये थे अथवा जिनका शिलान्यास किया गया था और उसके लिए धन भी रिलीज हो गया था,लेकिन सरकार ने उनका भी दोबारा शिलान्यास कर दिया और कुछ योजनाओं का लोकार्पण कर दिया। सरकार यह बताये कि आखिर यह किस नियम के तहत है कि आचार संहिता लगने के बाद कार्य नही हो सकते हैं। उन्होंने पिथौरागढ के बेस चिकित्सालय की भूमि के लिए योजना के स्थानान्तरण पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब मदवार बजट पास नही हुआ तो वह दूसरे मद में कैंसे स्थनान्तरित हो गया। एक ही योजना का बार-बार शिलान्यास कराना समय,धन दोनो की बर्बादी तो है ही,इसके अलावा राजनैतिक मान्यताओं का भी उल्लंघन है जो कि जनहित में नही है।
नो-एंट्री के समय हो रही दुर्घटनाओं पर डीजीपी सख्त
देहरादून, 11 फरवरी(निस)। राजधानी में नो-एंट्री के समय बड़े वाहनों के घुसने से हो रही दुर्घटनाओं को लेकर प्रदेश के डीजीपी पुलिस से काफी नाराज दिखार्इ दे रहे हैं। नो-एंट्री में वाहनाें के प्रवेश पर सख्ती बरतने के लिए आरटीओ व पुलिस कप्तान को निर्देश दिये गये हैं तथा उन्हें कहा गया है कि नो-एंट्री वाले स्थलों पर बोर्ड लगाये जायें और उसके बाद जो वाहन नो-एंट्री में गाडी लेकर प्रवेश करे उसकी गाडी को तत्काल सीज कर दिया जाये। उत्तराखण्ड के डीजीपी बीएस सिद्धू ने राजधानी के आरटीओ व पुलिस कप्तान को आदेश दिये हैं कि वह नो-एंट्री वाले स्थलों का चयन करेंं और उस पर नो-एंट्री के बोर्ड लगाये जायें तथा इस बात को भी अंकित किया जाये कि किस समय इस स्थल से प्रवेश किया जा सकता है। डीजीपी ने दोनो अधिकारियों को नो-एंट्री में प्रवेश करने वाले वाहनों पर सख्ती करने के आदेश दिये हैं। उन्हाेंने कहा है कि नो-एंट्री बोर्ड लगने के बाद भी अगर कोर्इ वाहन शहर में घुसता है तो उसकी गाड़ी को तत्काल सीज कर दिया जाये। डीजीपी ने आदेश दिये हैं कि शहर व हार्इ-वे में भी स्पीड का अांकलन किया जाये और जो भी वाहन तेज गति से गाड़ी चलाता हुआ मिले उसकी गाडी का चालान कर दिया जाये। उन्हाेंने कहा कि इस बात की व्यवस्था की जाये कि गाडियों में र्इ-गवर्नर लगे जिससे कि गाडियां तेज गति से न भाग पायें क्योंकि शहर के अन्दर जिस तरह से तेज गति से गाडियां चलाने वाले चालक आवाम की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं उसे किसी भी कीमत पर बक्शा नहीं जायेगा। डीजीपी ने आरटीओ व पुलिस कप्तान को आदेश दिये कि गाडियों में हार्इ और लो-बीम का भी निरीक्षण किया जाये जिससे कि रात्रि में तेज लार्इट के चलते दुर्घटनायें न हो पायें। सिद्धू ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि वह एलको मीटर से वाहन चालकों की भी जांच करें जिससे कि अगर कोर्इ व्यकित शराब पीकर गाडी चलाता हुआ नजर आये तो उसके खिलाफ वह कार्यवाही करें। डीजीपी ने आरटीओ व पुलिस कप्तान को आदेश दिये हैं कि तत्काल प्रभाव से इस आदेश का पालन किया जाये। डीजीपी में इस बात को लेकर काफी नाराजगी देखने को मिली कि नो-एंट्री के समय बडे वाहनों के शहर में घुस जाने के कारण कर्इ लोगों को मौत के मुंह में जाना पड़ा। डीजीपी की सख्त पहल के चलते अब यह तय माना जा रहा है कि नो-एंट्री में घुसने वाले वाहनों के खिलाफ आरटीओ व पुलिस बडी कार्यवाही करेगी।
बड़ा सवाल: कब होंगे बाहर बहुगुणा की लुटिया डुबोने वाले नौकरशाह बाहर ?
देहरादून, 11 फरवरी। जिस नौकरशाही के बूते बहुगुणा को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी अब उसी नौकरशाहों ने रावत सरकार से गलबहियां शुरू कर दी है। परिणाम यह हुआ कि मुख्यमंत्री को यह कहना पड़ा कि वह अधिकारियों को बदलने में विश्वास नहीं रखते और जो अèािकारी काम नहीं करेगा उसे वह गंगोत्री पार कर देंगे। उनके इस दावे के बाद उत्तराखण्ड की राजनीति में एक नर्इ बहस अचानक छिड गर्इ है कि हरीश रावत के कार्यकाल में भी बेलगाम नौकरशाही सत्ता पर काबिज है? भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगा रहे एक भी भ्रष्टाचारी अधिकारी पर सीएम की नजर न पडना कर्इ सवालों को जन्म दे रहा है और यह बात उठने लगी है कि सीएम बदलने से भी प्रदेश के सूरतेहाल नहीं बदले हैं। गौरतलब हो कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए हार्इकमान ने उत्तराखण्डवासियों की नब्ज टटोलते हुए विजय बहुगुणा को सत्ता से बाहर कर हरीश रावत को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन कर दिया। हरीश रावत की ताजपोशी के बाद राज्य के आवाम को उम्मीद जगी थी कि बहुगुणा शासनकाल में बेलगाम हो चुकी नौकरशाही को सबक सिखाने के लिए सीएम आगे आएंगे लेकिन कर्इ दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक वो नौकरशाह बाहर नहीं किये जा सके हैं जिनके कारण बहुगुणा की कुर्सी जाती रही। उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड में 22 महीने से कांग्रेस की सत्ता चला रहे विजय बहुगुणा के कार्यकाल में बेलगाम नौकरशाही की कार्यप्रणाली से आवाम अपने आपको नवोदित राज्य में असहाय महसूस करता रहा और वह प्रदेश में भ्रष्ट हो चुके कर्इ अधिकारियों के खिलापफ अपनी आवाज बुलंद करता हुआ दिखार्इ दिया। सत्ता के कर्इ नेताओं ने भी दर्जनों बार अपना दर्द उडेला कि नौकरशाही उनकी बात तक सुनने को तैयार नहीं है। यही कारण रहा कि कांग्रेस हार्इकमान के पास विजय बहुगुणा की बेलगाम हो चुकी नौकरशाही के किस्से लगातार पहुंच रहे थे और इसी के चलते विजय बहुगुणा को अपनी कुर्सी से हाथ तक धोना पड़ गया था। उत्तराखण्ड की राजनीति में बडी पकड रखने वाले हरीश रावत को जब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन किया गया तो राज्य की जनता को यह उम्मीद जगी थी कि बेलगाम हो चुकी नौकरशाही को सबक सिखाने के लिए सीएम हरीश रावत तेजी के साथ काम करेंगे लेकिन सीएम ने नारायण दत्त तिवारी 'स्टाइल में बेलगाम हो चुके दागी अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों से ना हटाकर उन्हें जिस तरह से काम में सुधार लाने का फरमान देते हुए कहा है कि जो अèािकारी काम नहीं करेेगा उसे वह गंगोत्री पार भेज देंगे। वह किसी के गले नहीं उतर रहा हालांकि सवाल यह तैर रहे हैं कि बहुगुणा शासनकाल में पिछले दो साल से जो भ्रष्ट अधिकारी गंगोत्री में डूबकी लगाते आ रहे है उन्हें हटाने के लिए सीएम ने एक कदम भी आगे क्यों नहीं बढ़ाया वहीं बेलगाम ब्यूरोक्रेसी पर सीएम के इस फरमान के राजनीतिक गलियारों में कर्इ मायने निकाले जा रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि हरीश रावत उत्तराखण्ड की बेलगाम हो चुकी ब्यूरोक्रेसी से भलीभांति परिचित है लेकिन उनके द्वारा अब तक के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के दलदल में गोते लगा रहे कर्इ दागी अफसरों पर क्याें गाज नहीं गिरा पा रही है यह उत्तराखण्ड की जनता के मन में भी कर्इ सवाल खडे कर रहा है। हैरानी वाली बात यह है कि जो दागी अफसर बहुगुणा के राज में उनकी गणेश परिक्रमा करते रहते थे वहीं चंद दागी अफसर सीएम के करीबी चंद विधायकों के साथ गलबहिया करते हुए दिखार्इ दे रहे हैं जो इस बात को पुख्ता करती है कि मुख्यमंत्री के यहां कीं ऐसे नौकरशाहों ने पैठ तो नहीं बना ली है! चर्चा यहां तक है कि एक जनपद का छोटा प्रशासनिक अधिकारी अपने कर्मचारियों से हर दिन खनन व अन्य अवैध् ध्ंधें से लाखों रूपये की वसूली कर रहा है जिसके भ्रष्टाचार की गूंज लगातार कर्इ अधिकारियों के कानों में भी गूंज चुकी है लेकिन उसके बावजूद भी यह छोटा अधिकारी उस जिले के जिलाधिकारी की आंख का तारा बना हुआ है। ऐसे में बेलगाम नौकरशाही पर सीएम की चुप्पी ने अब कर्इ सवाल खडे कर दिये हैं?
कम चुनौतियां नहीं हैं नये एसएसपी के सामने
देहरादून, 11 फरवरी, (निस)। उत्तराखण्ड की राजधानी में तैनात किये गये पुलिस कप्तान की अगर पुरानी कुंडली पलटकर देखी जाये तो उससे आभास हो जायेगा कि वह अपराधियों के खिलाफ खुद आगे बढ़कर उनकी गिरफतारी में शामिल होते रहे हैं। अजय रौतेला ने अपने सीओ के कार्यकाल में उत्तराखण्ड के एक बडे शराब तस्कर को लाखों रूपये की शराब से भरे ट्रक व उसके कर्इ असहलों सहित दबोचा था और उनकी एसओजी टीम में सभी जांबाज दरोगा व पुलिसकर्मी तैनात थे जोकि सर्विलास से नहीं बलिक मुखबरी के जरिए अपराधियों को पकडकर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाते थे। अब जबकि अजय रौतेला के हाथों में पुलिस कप्तान की कमान है तो वह राजधानी में अपने आपको काबिल पुलिस कप्तान साबित करने के लिए हर वो प्रयास करेंगे जोकि वह सीओ रहते हुए करते दिखार्इ पडते थे। अजय रौतेला की कार्यशैली से उन कमजोर दरोगाओं में जरूर खलबली मची होगी जोकि अपराधियों पर नकेल लगाने में हमेशा फिसडडी साबित होते रहे हैं। पुलिस मुख्यालय भी कर्इ बार हैरान हुआ कि राजèाानी में चंद ऐसे थानेदार व चौकी प्रभारी बने हुए हैं जिन्हें अपराधियों के बारे में ए,बी,सी,डी तक नहीं पता। सम्भवत: तेज तर्रार पुलिस कप्तान की नजर अब तक राजèाानी में तैनात कर्इ कमजोर दरोगाओं पर जरूर पड़ गर्इ होगी क्योंकि उनके सामने जहां अपराधियों पर नकेल लगाना एक बडी चुनौती है वहीं अपने चंद आकाओं के बल पर भ्रष्टाचार करते आ रहे दरोगाओं पर नकेल लगाना भी उनके लिए एक बडा चैलेंज है। इस चैलेंज को वह कब तक पटखनी देते रहेंगे यह देखने वाली बात होगी। गौरतलब हो कि राजधानी में पिछले काफी समय से चंद थानेदारों व चौकी प्रभारियों पर दाग लगते आ रहे थे कि वह अपने इलाके में जहां भ्रष्टाचार कर रहे हैं वहीं उनमें अपराधियों से लड़ने का तिनकाभर भी दमखम नहीं है। चंद दरोगा फर्जी खुलासे करने के मास्टर बन चुके थे लेकिन राज्य के डीजीपी बीएस सिद्धू फर्जी खुलासे न होने देने के लिए लगातार सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को फरमान जारी करते आ रहे थे। पुलिस को काफी नजदीक से पहचानने वाले पुलिस कप्तान को नर्इ सरकार के सामने अपने आपको काबिल साबित करने के लिए उन अपराèाियों पर तेजी से नकेल लगानी पडेगी जोकि दून में अपराध करने से तिनकाभर भी नहीं डर रहे हैं। अपराèाियों पर नकेल कसने के लिए पुलिस कप्तान को राजधनी में कमजोर दरोगाओं की टीम को उखाडकर फेंकनी होगी जिसके चलते काबिल दरोगा अपराधियों पर जल्द से जल्द नकेल लगा सकें। काफी समय से देखने में आ रहा है कि चंद थानेदार जहां अपने इलाकों में अपराध नहीं रोक पा रहे हैं वहीं कुछ थानेदार ऐसे भी हैं जोकि अपराधियों पर नकेल कसने के बजाए दौलत कमाने के मिशन में तेजी के साथ जुटे हुए हैं राजधरनी में कर्इ बार एसटीएपफ ने छापेमारी कर अवैध्र धंधेबाजों को जेल की सलाखों के पीछे डाला तो उसके बाद यह बात साफ हो गर्इ थी कि उनकी कमजोर पकड़ के चलते उनके इलाकों में अवैध धंंधे हो रहे थे। प्रदेश के डीजीपी बीएस सिद्धू का भी साफतौर पर मानना रहा है कि अगर पुलिस के लोग अवैध धंधेबाजों से सांठगांठ रखेंगे तो अपराधों में बढोत्तरी तो होती ही रहेगी। अब जबकि राजधानी में नये पुलिस कप्तान के रूप में अजय रौतेला की तैनाती हुर्इ है तो उनसे दूनवासियों को एक नर्इ आशा की किरण दिखार्इ पड़ी है क्योंकि उनका जिस तरह से अपराèाियों पर दबदबा रहा है उससे यह बात तो साफ नजर आ रही है कि अब राजèाानी में अपराधियों के लिए अपराध करना आसान नहीं होगा। नये पुलिस कप्तान की दस्तक से जिस तरह देर रात तक अधिकारी व कोतवाल, थानेदार, चौकी प्रभारी इलाकों में गश्त करते हुए दिखार्इ दे रहे हैं उससे आवाम के मन में एक आशा की किरण जगी है कि अब राजèाानी में कमजोर दरोगाओं के बल पर कप्तान अपराधियों पर नकेल लगाने के लिए आगे नहीं आएंगे और अपराèाियों पर पकड़ रखने वालों के हाथों में ही पुलिस की कमान होगी।
उपनिदेशक पर कर्मचारी को अपमानित करने का आरोप, मुकदमा
देहरादून, 11 फरवरी(निस)। कर्मचारी राज्य बीमा निगम कार्यालय में तैनात कर्मचारी को जाति सूचक शब्दों का प्रयोग कर अपमानित करने और नौकरी खा जाने के साथ ही जान से मारने की ध्मकी देने के आरोप में कैंट कोतवाली पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया गया है। पुलिस का कहना कि मामले की जांच की जा रही है। कैंट पुलिस के अनुसार राज्य बीमा निगम में बहु कार्य स्टापफ पद पर तैनात भूदयाल की ओर से निगम में उपनिदेशक के पद पर तैनात एक अधिकारी के खिलापफ लोकसेवक होते हुए जाति सूचक शब्द कहने तथा अपमानित करने व नौकरी खा जाने के साथ ही जान से मारने की ध्मकी देने का आरोप लगाया है। भूदयाल का कहना कि उक्त अधिकारी उससे घर के काम भी कराया करता था। लगातार छह माह तक अधिकारी का उत्पीड़न सहा। पिछले साल अप्रैल माह में पत्नी की तबीयत खराब होने पर वह एक दिन की छुटटी कर गया। अगले दिन काम पर पहुंचने पर अधिकारी की ओर से अभद्रता से पेश आने के साथ ही गाली-गलौज आदि की गर्इ। इसकी शिकायत कार्यालय के अधिकारियों से करने पर समझौता करा दिया गया। इसके बाद भी अधिकारी की बदतमीजी कम नहीं हुर्इ। कार्यालय में वह उससे गाली-गलौज और जाति सूचक शब्दों का आचरण करता रहा। लगातार बढ़ रहे उत्पीड़न से तंग आकर पीडि़त ने मोबाइल पफोन में अधिकारी द्वारा उससे की जाने वाली गाली-गलौज और अन्य बातों को रिकार्ड कर लिया। भूदयाल का यह भी आरोप कि बीती 26 नवंबर को उसे कार्यालय में चोरी के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया है। तब ही से वह नौकरी पर नहीं जा पा रहा है।
आज या कल बांट दिए जाएंगे विभाग: हरीश
देहरादून, 11 फरवरी(निस)। पंचायत चुनाव के आचार संहिता के लिए हाइकोर्ट की ओर से मिले दस दिन राज्य सरकार के लिए काफी कहे जा रहे हैं। चार दिनों तक जहां राज्य में विकास योजनाओं की घोषणाएं जोर पकड़े रहीं। वहीं आज विधानसभा के बजट सत्र में पहुंचे सीएम हरीश रावत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वे हाइकोर्ट का आभार प्रकट करते हैं, कि विकास कार्य करने को कुछ समय मिला। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि आज या कल मंत्रियों को मंत्रालय बांट दिया जाएगा। पंचायत चुनाव के लिए आचार संहिता लगने को कम से कम दस दिन और लगेंगे। जहां निर्वाचन आयोग की देर शाम बैठक होने जा रही है, राज्य चुनाव आयुक्त सुवधर्न की अèयक्षता में होने वाली बैठक में पंचायत चुनाव की तिथियां तय की जा सकती हैं। वहीं हाइकोर्ट से दस दिन के मिले समय को राज्य सरकार के लिए राहत की बात मानी जा रही है। मंगलवार को मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि वे हमेशा जनता के बीच रहे हैं और आगे भी जनता के बीच हाेंगे। हाइकोर्ट से मिले दस दिन के समय को मुख्यमंत्री हरीश रावत राज्य विकास के लिए समय मिलना बताते हंैं। उन्होंने कहा कि सरकार को राहत मिली है। हाल में राज्य सरकार के पास तीन महत्वपूर्ण काम हंै। पहला आपदा राहत कार्य, दूसरा पंचायत चुनाव और तीसरा लोकसभा चुनाव निपटाना। उन्हेांने कहा कि आपदा का काम राष्ट्रीय काम है, दस दिन का समय मिला है। इस दौरान विकास के काम करने का कुछ समय तो मिला है। वहीं सत्र के दौरान मंत्रियों को विभाग बांटने की मुख्यमंत्री की घोषणा को भाजपा ने असंवैधनिक बताते हुए तीखी बयानबाजी की। नेता प्रतिपक्ष अजय भटट और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इन घोषणाओं को चुनावी ड्रामा बताया।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 166 मागोर्ं 771 करोड़ रुपये स्वीकृत :फोनिया
देहरादून, 10 फरवरी 2014 (निस) । सचिव ग्राम्य विकास विनोद फोनिया ने बताया है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना फेज-12 के अन्तर्गत 1622 कि.मी. लम्बार्इ के 166 मागोर्ं के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा 771 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये है। उन्होंने बताया कि 166 मार्गो में 48 नये मोटर मार्ग स्वीकृत हुए है, जिनकी लम्बार्इ 408 किमी. तथा लागत 225 करोड़ रुपये है। इसके साथ ही 678 कि.मी. लम्बार्इ के 76 कच्चे मोटर मागोर्ं के लिए 359 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए है, जिससे इन कच्चे मोटर मागोर्ं का डामरीकरण किया जायेगा। आपदा प्रभावित जनपदों व हरिद्वार हेतु अपग्रेडेशन हेतु 187 करोड़ रुपये लागत के 42 कार्यो, जिनकी लम्बार्इ 536 कि.मी. होगी उन्हेे भी स्वीकृति मिली है। इन 166 मागोर्ं की स्वीकृति से 250 की आबादी की 166 बसावटों को लाभ मिलेगा। श्री फोनिया ने बताया कि 771 करोड़ रुपये की स्वीकृति के अतिरिक्त प्रदेश में आर्इ दैवी आपदा के कारण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के क्षतिग्रस्त कायोर्ं के पुनर्निर्माण एवं रखरखाव के लिए भी ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा 61.61 करोड़ रुपये की धनराशि पृथक से स्वीकृत की गर्इ है।

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