अन्ना के अनुसार केजरीवाल के मुकाबले ममता ने ज्यादा त्याग किया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 6 मार्च 2014

अन्ना के अनुसार केजरीवाल के मुकाबले ममता ने ज्यादा त्याग किया

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल से ज्यादा त्यागी बताया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता अरविंद केजरीवाल के मुकाबले ‘ज्यादा त्यागी’ बताते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने बुधवार को कहा कि अगर ममता देश की प्रधानमंत्री बनती हैं, तो यह अच्छी बात होगी.

इंदौर प्रेस क्लब के ‘प्रेस से मिलिये’ कार्यक्रम में 76 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, ‘ममता के मुकाबले केजरीवाल ने कम त्याग किया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री होने के बावजूद ममता सरकारी गाड़ी-बंगले का इस्तेमाल नहीं करतीं और सादे कपड़े व हवाई चप्पल पहनती हैं. वह बड़े-बड़े उद्योगों के बजाय गांवों को केंद्र में रखकर काम कर रही हैं. मुझे ममता के विचार पसंद हैं.’

हजारे ने एक सवाल पर कहा, ‘मैं ममता को उनकी व्यक्तिगत सोच के आधार पर प्रधानमंत्री पद के योग्य मानता हूं. अगर वह प्रधानमंत्री बन जाती हैं, तो यह अच्छी बात होगी.’ उन्होंने हालांकि लगे हाथ स्पष्ट किया कि वह ममता के व्यक्तिगत विचारों के समर्थक हैं, लेकिन उन्होंने आसन्न लोकसभा चुनावों में उनकी अगुआई वाली पार्टी तृणमूल कांग्रेस का समर्थन नहीं किया है.

तृणमूल कांग्रेस के चुनावी विज्ञापनों में हजारे के इस्तेमाल पर वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, ‘यह मतदाता की जिम्मेदारी है कि वे चुनावों में किसे वोट देते हैं.’  हजारे ने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री पद को लेकर केवल दो चेहरों के बारे में चर्चा की जा रही है, लेकिन मेरा मानना है कि दोनों में से किसी के भी प्रधानमंत्री बनने से देश का भविष्य उज्ज्वल नहीं होगा.

देश के उज्ज्वल भविष्य के लिये अर्थव्यवस्था को गांव आधारित होना चाहिए, लेकिन दोनों चेहरे बड़े-बड़े उद्योगों के बारे में सोचते हैं.’ हजारे ने एक सवाल पर कहा कि राहुल को राजनीति का अनुभव लेने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा. वहीं मोदी की तथाकथित लहर से जुड़े सवाल का जवाब उन्होंने कुछ यूं दिया, ‘मैं किसी लहर की ओर नहीं देखता. लहरें तो कितनी बार चल चुकी हैं.’

उन्होंने किसी पार्टी का नाम लिए बगैर दावा किया कि लोगों को 200 रुपए की दैनिक मजदूरी और ढाबे में पार्टी देकर चुनावी सभाओं तक लाया जाता है, जिससे सभा स्थल खचाखच भरा नजर आता है.  सियासत के एक तबके के मोदी को ‘सांप्रदायिक नेता’ बताने पर अपनी राय व्यक्त करने से बचते हुए सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, ‘क्या हर सवाल का जवाब मुझे ही देना चाहिए.’ उन्होंने खुलासा किया कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद उन्होंने केजरीवाल को सलाह दी थी कि वह आगामी लोकसभा चुनावों के चक्कर में पड़े बगैर मुख्यमंत्री के रूप में इस सूबे को आदर्श बनाने की दिशा में काम करें.

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