झिंडा बने तदर्थ एचजीपीसी के अध्यक्ष, अकाल तख्त ने सम्मेलन रोका - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 26 जुलाई 2014

झिंडा बने तदर्थ एचजीपीसी के अध्यक्ष, अकाल तख्त ने सम्मेलन रोका




jagdish singh jinda
पंजाब की सत्ताधारी शिरोमणि अकाली दल और अमृतसर स्थित शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के लगातार विरोध के बावजूद राज्य के सिख नेता जगदीश सिंह झिंडा को शनिवार को हरियाणा में नवगठित हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एचएसजीपीसी) की तदर्थ समिति का पहला अध्यक्ष निर्वाचित कर दिया गया। उधर एचजीपीसी के विरोध में अकाली दल और हरियाणा के सिख नेताओं द्वारा अगल-अलग बुलाए गए सिख सम्मेलनों पर सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त ने रोक लगा दी है। अकाली दल ने रविवार को जबकि हरियाणा के सिख नेताओं ने सोमवार को सिख सम्मेलन आहूत किए थे।

यहां से 110 किलोमीटर दूर हरियाणा के कुरुक्षेत्र में एचएसजीपीसी की तदर्थ समिति की बैठक हुई जिसमें दीदार सिंह नलवी को वरिष्ठ उपाध्यक्ष चुना गया। 11 सदस्यीय समिति के साथ ही अन्य पदाधिकारियों के नाम भी घोषित किए गए हैं। नलवी ने कहा कि जिला प्रशासन और पुलिस की निगरानी में हुई बैठक में छह प्रस्ताव पारित हुए। पहले प्रस्ताव के जरिए तदर्थ समिति ने सिखों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ अकाल तख्त के जत्थेदार से हरियाणा के गुरुद्वारों से टास्क फोर्स के सदस्यों और एसजीपीसी के स्वयंसेवकों को वापस बुलाने का अनुरोध किया है।

हरियाणा स्थित गुरुद्वारों में एसजीपीसी और अकाली दल ने टास्क फोर्स के सदस्यों और नेताओं को तैनात किया है। यह तैनाती हरियाणा के गुरुद्वारों पर कब्जा करने का विरोध करने के लिए की गई है। एचएसजीपीसी गठित करने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का धन्यवाद करते हुए एचएसजीपीसी ने कहा है कि वह अकाल तख्त के सभी फरमानों का पालन करेगा। हरियाणा में पृथक एचएसजीपीसी गठित करने को लेकर अकाली दल और एसजीपीसी ने गहरा विवाद छेड़ रखा है। दोनों ने पृथक समिति का पुरजोर विरोध किया है।

सिख धर्म की मिनी संसद कही जाने वाली एसजीपीसी का पंजाब, हरियाणा एवं हिमाचल प्रदेश के गुरुद्वारों पर नियंत्रण है। हरियाणा में 72 गुरुद्वारा हैं जिन पर नई व्यवस्था के तहत एसजीपीसी का नियंत्रण खत्म हो जाएगा। इस बीच हरियाणा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एचएसजीपीसी) के गठन को लेकर दो प्रतिरोधी गुटों द्वारा बुलाया गया अलग-अलग सिख सम्मेलन शनिवार को सिख धर्म की सर्वोच्च धार्मिक पीठ अकाल तख्त के हस्तक्षेप के बाद स्थगित कर दिया गया।

इस मुद्दे पर टकराव टालने वाला कदम उठाते हुए अकाल तख्त ने दोनों गुटों से अपने आहूत सम्मेलनों को स्थगित करने का निर्देश दिया था। अकाल तख्त के जत्थेदार गुरुबचन सिंह ने कहा कि आदेश के मुताबिक रविवार और सोमवार को आहूत सभी सिख सम्मेलन निरस्त किए जाएं। शिरोमणि अकाली दल ने अमृतसर में और हरियाणा के सिख नेताओं ने करनाल (हरियाणा) में सम्मेलन आहूत किए थे। दोनों पक्ष एचएसजीपीसी पर एक दूसरे के आमने-सामने थे।

यहां से 250 किलोमीटर दूर अमृतसर में गुरुबचन सिंह ने घोषणा की, "सभी सिख आज चिंतित हैं। सहारनपुर में आज जो हुआ उसने हमारी चिंता बढ़ा दी है। सिख कौम आज नई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है। इस स्थिति में मैं सभी समूहों को अमृतसर और करनाल में अपना सम्मेलन निरस्त करने का आदेश देता हूं।"

उन्होंने कहा कि अकाल तख्त शीर्ष जानकारों को और सिख नेताओं की बाद में बैठक बुलाकर इस मुद्दे (एचएसजीपीसी) का समाधान निकालेगा। पंजाब में सत्ताधारी शिरोमणि अकाली दल ने अकाल तख्त से आदेश जारी होने के बाद कहा कि आदेश के आलोक में रविवार का सम्मेलन निरस्त किया जाता है। पंजाब के शिक्षा मंत्री और अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा, "हमने रविवार को बुलाए गए सिख सम्मेलन को रद्द कर दिया है। हमने अकाल तख्त के निर्देश पर सिख समुदाय की भलाई में यह कदम उठाया है। हम सिख नेताओं को इसकी सूचना भेज रहे हैं।"

सोमवार 28 अगस्त को करनाल में हरियाणा के सिख नेताओं ने भी अपने सम्मेलन को भी स्थगित कर दिया है। एचएसजीपीसी के नेता जगदीश सिंह झिंडा ने यहां से 110 किलोमीटर दूर कुरुक्षेत्र में बताया, "हम अकाल तख्त की सर्वोच्चता में विश्वास करते हैं। हमने सोमवार को करनाल में बुलाए गए सिख सम्मेलन को स्थगित कर दिया है।"

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