आलेख : सैलाव में सेना की सेवा पर पत्थर का सौगात - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 14 सितंबर 2014

आलेख : सैलाव में सेना की सेवा पर पत्थर का सौगात

कभी विश्व में अपनी सुन्दरतम प्रकृतिप्रदत उपहारों के कारण धरती का स्वर्ग माना जाने वाला जम्मू और कश्मीर राज्य आज सैलाव की विभिषका से मौत का दलदल बना है. अंग्रेजों की कुत्सित चाल और नेहरूवादी कुंठित सोच ने इस राज्य को जन्नत से दोजख बनाने का जो प्रयास १९४७-४८ से शुरू किया उसे पाकिस्तान और राज्य को जोक की तरह चूसने बाला अब्दुल्ला परिवार बदस्तूर आज तक जारी रखा.भारत की विडंबना है की लोकतंत्र के नाम पर नेहरु-गांधी-अब्दुल्ला परिवार ने इस खूवसूरत वादी को दागो की पेवंद से पाट दिया और इन्ही परिवारों के वरदहस्त से आज जम्मू-कश्मीर की अल-सुबह भौरों की गूंज के बदले अलगाववादिओ की गोलिओं के तड़तड़ाहट से होती है. 

विगत ग्यारह दिनों से जम्मू-कश्मीर जल-प्रलय की भयानक त्रासदी से गुजर रहा है .पिछले १०६ साल के बाद इस राज्य में बाढ़ की वो विभीषिका आई है जिससे पूरा राज्य जलमग्न है.प्रकृति के इस आपदा ने इस राज्य को तहस-नहस कर दिया .भारत सरकार ने जिस मुस्तैदी से इस राज्य में त्वरित राहत और वचाब कार्य चलाया वह काबिले तारीफ़ है .खासकर देश के प्रधानमंत्री ने स्वयं हवाई सर्वेक्षण कर भारत के सेना को इस  राहत कार्य में लगाया और जो आर्थिक मदद केंद्र सरकार कर सकती वो सारे मदद पल भर में जम्मू-कश्मीर को उपलब्ध करवाया गया.इतना ही नही देश के प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान द्वारा जबरदस्ती किये गये जम्मू-कश्मीर के शेष कब्जे बाले भाग में भी इस प्रकृति आपदा में मानवीय आधार पर हर सहायता का पेशकश कर हिंदुत्व की उदार भावना को प्रदर्शित किया. केंद्र सरकार के त्वरित निर्देश का फल था इस जलजले में कम से कम लोगों की जानमाल की क्षति हुई .यदि राज्य के अब्दुला सरकार के भरोसे छोड़ दिया गया होता तो इस जल-प्रलय में जम्मू-कश्मीर सिर्फ लाशों का शहर होता इसमें रंच मात्र संदेह नहीं था.आप अंदाजा लगाइए की राज्य की जनता जलप्रलय में विलीन हो रही थी और राज्य के मुख्यमंत्री श्री उमर अब्दुल्ला कह रहे थे-“राज्य की सरकार इस सैलाव में बह गयी”.श्री फारूक अब्दुल्ला तो आपदा की इस घडी में ना जाने किस बिल में शरण लेकर राज्य के जनता को बाढ़ के हवाले कर दिया ?जल-प्रलय की इस विभीषिका में यदि किसी ने जम्मू कश्मीर के लोगों को मौत के मुंह से निकाला तो वो है – भारत की सेना . 

अजीब विडंवना है ये वही घाटी के सुन्नी मुस्लिम थे जो वहाँ सेना के ऊपर पत्थरों को फेक अलगाववादिओं की शह पर अपनी मर्दानगी दिखाते रहते. भारत के महान सेना को ऐसे शव्दों से नवाज़ते जिसे लिखा नहीं जा सकता.आज जब ये मौत के मुंह में थे तब ना कहीं अलगाववादी दिखे और ना पाकिस्तानी बल्कि जलजले के इस भयानक दौर में इनके भगवान बने भारत की सेना.अपने जान की परवाह किये जिस भयानक परिस्थिति में सेना ने इनकी मदद की उसकी जितनी प्रशंशा की जाय कम है. २०० से ४०० रूपये पर बिके वैसे तवका जो अनाथ है या गरीव है और जिनकी तालीम मदरसों में  हुई वैसे लड़कों को ये अलगाववादी बहका कर भारत की सेना पर पतथर मरवाते आज वही सेना इनकी जीवन को बचा रहे हैं.

भारत की सेना के ३० हज़ार से अधिक जवान अपने जम्मू-कश्मीर के लोगों की सेवा में लगे हैं.पहली बार मरीन कमांडों को भी इस काम में लगाया गया है.सेना ने अपने रेस्क्यू में अबतक एक लाख वयालिस हज़ार से अधिक इस सैलाव में फंसे लोगो को सुरक्षित निकाला है.सेना के इस राहत कार्य में लगभग ८० से अधिक विमान ८६ हेलिकोप्टर और लोगों तक रसद पहुचाने के लिए कार्गो विमानों को भी लगाया है .जार-जार जन्नत और तार-तार होते कश्मीर को भारत की सेना ने अबतक के अपने १७७६ हवाई फेरे द्वारा वहाँ के निवासिओं को बचाने का जो अदम्य साहसिक कार्य किया उसका ऋण वहाँ के निवासी सात जन्म में भी नही चुका पायेंगे.हलाकि भारत की सेना अपने इस कार्य को अहसान नही सेवा और अपना कर्तव्य मान रही है.

अब जैसे जैसे राज्य के बिभिन्न भागों से पानी का स्तर घट रहा है तो कल तक बिलों में घुसे अलगाववादी अब बाहर निकल अपना असली रूप दिखाना शुरू कर दिया. इसका एक घृणित और अमानवीय  रूप राज्य की राजधानी श्रीनगर में देखने को मिला जहां सेना के हेलिकोप्टर पर पत्थर बरसाए गए .इतना ही नही घाटी के जिस सुन्नी मुस्लिमो के प्राणों की रक्षा सेना के जवानों ने अपने प्राणों की बाज़ी लगाकर किया उसी सेना के देवदूतों को इन लोगों से अपने प्राणों की रक्षा के लिए हवाई फायर तक करना पड़ा. राहत और बचाव कार्य में लगे सेना के ४० नावों को इन अलगाववादीओ के नाजायज औलादों ने तहस नहस कर दिया.राज्य को आतंक की फैक्ट्री बनाने बाले अलगाववादी तंजीम और उसके रह्वरदारों ने जिस तरह से घाटी में सेना के विरोध में माहौल बनाना शुरू किया है वह इस्लाम के हर उसूल को तार-तार कर रहा है. 

क्या कश्मीर में उगने बाले केसर की जगह अफीम ने ले ली जिसके नशे में घाटी के लोग अपना होशो-हवास इन अलगाववादी दरिंदों के हाथों गिरवी रख उसके इशारों पर नाचने को मजबूर हैं?इन अलगाववादी दरिंदों ने जिस तरह से सोशल मीडिया पर सेना के राहत और वचाब अभियान को बदनाम करने का सिलसिला शुरू किया वह कश्मीरियत के लिए बदनुमा दाग है.कश्मीर की मासूमियत पर इस्लाम के नाम पर ये अलगाववादी जिस तरह की हैवानियत का सहारा ले रहें है वह मानवता और इस्लाम को शर्मसार करती है .आपदा के इस घडी में राज्य के आवाम को ऐसे अलगाववादी दरिंदों से निपटने के लिए खुद आगे आना चाहिए और सेना ने जिस धैर्य और साहस का परिचय दिया वह अवर्णीय एवं वन्दनीय है.

सैयद अली शाह गिलानी, यासीन मालिक जैसे देशद्रोहियो और उसके पाकिस्तान परस्त ज़मातों ने बाढ़ में डूबे जम्मूकश्मीर के लोगों की चिंता नहीं की और जब राज्य बाढ़ में डूबा था तो ये नज़र नहीं आये .राज्य का उमर अब्दुलाह की सरकार भी इस भीषण त्रासदी में हाथ पर हाथ धरे बैठे तमाशा देखती रही और लोग अपने जान-माल गवाते रहे ? यदि भारत सरकार त्वरित निर्णय नही लेती और राहत और वाचाव कार्य सेना के हवाले नही की जाति तो पता नही आज जम्मू कश्मीर की शुरात ए हाल क्या होती ?

जम्मू काश्मीर के निवासिओं में जो गुस्सा है जायज है जिनका अपना सबकुछ लुट जाय अपने लोग बहते गये और कुछ नहीं हो सका वैसी परिस्थति में उनके गंभीर पीड़ा और गुस्सा को समझा जा सकता है. किन्तु इसके लिए राहत कार्य में लगे सेना कसुरबार नहीं है.अगर कसूरबार है तो वहाँ की उमर अब्दुल्ला की निकम्मी सरकार जिम्मेबार है.जम्मू काश्मीर के निवासिओं में यदि सही में गुस्सा है तो आपकी ही सेवा में लगे हेलिकोप्टर और सेना के जवानो पे पत्थर बरसाने के बजाय  लोकतंत्र में वोट रूपी पत्थर का इस्तेमाल कर ऐसी निकम्मी और संवेदनहीन सरकार से बदला लो . 

भारत की सरकार और उसकी सेना हर हाल में जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए जो भी संभव हो सकता है उसे पूरा करने में कोई कोर कसर नही छोड़ रखी है.भारत के हर राज्य की सरकार  ने विना किसी भेद भाव के जम्मू कश्मीर के लोगों का दुःख दर्द को अपना समझा और जहां तक हो रहा है इनके राहत और वचाब कार्य में सहयोग कर रहें है . जम्मू कश्मीर के निवासिओ को समझना चाहिए की दुःख के उस बेला में जब उनके प्राणों के लाले पड गए थे तो उनकी रक्षा के लिए कौन आगे था.?





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(संजय कुमार आजाद )
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