तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता को आय के ज्ञात स्रोत से 66 करोड़ रुपये अधिक की संपत्ति जमा करने के एक मामले में शनिवार को यहां एक अदालत ने दोषी ठहराते हुए 100 करोड़ रुपये जुर्माना और चार वर्षो की कैद की सजा सुनाई है। डीएमके महासचिव के. अनबाझगन द्वारा 1996 में आरोप लगाए जाने के बाद करीब 18 वर्ष तक चली कानूनी जंग के बाद न्यायाधीश जॉन माइकल कुन्हा ने जयललिता (66) को दोषी ठहराया। जयललिता अपनी पार्टी एआईएडीएमके की महासचिव भी हैं। डीएमके तमिलनाडु में अब विपक्ष में है।
इस फैसले के बाद तमिलनाडु में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच अम्मा उपनाम से मशहूर जयललिता को विधानसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ेगा। विशेष लोक अभियोजक जी. भवानी सिंह ने कहा कि न्यायाधीश ने जयललिता के अलावा तीन अन्य आरोपियों -शशिकला और उनके रिश्तेदार वी. एन. सुधाकरन और जे. इल्लावरसी-को भी दोषी ठहराया और चार वर्ष कैद की ही सजा सुनाई है। शशिकला मुख्यमंत्री की सहेली हैं।
न्यायाधीश ने सहआरोपियों में से प्रत्येक पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा प्रत्येक सहआरोपी को 10,000 रुपये के जुर्माने के साथ छह माह अतिरिक्त साधारण कैद की सजा भी सुनाई है। दोनों सजाएं एकसाथ चलेंगी। सिंह ने संवाददाताओं से कहा, "यदि वे (दोषी) जुर्माना अदा करने में विफल रहते हैं तो उन्हें एक वर्ष अतिरिक्त जेल में बिताना पड़ेगा।" अदालत का फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद ही जयललिता एवं अन्य तीनों को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया और चिकित्सकीय परीक्षण के लिए उन्हें शहर में एक अस्पताल ले जाया गया।
सिंह ने यह भी साफ किया कि इस मामले में जमानत की अर्जी भी नहीं दी जा सकती है, क्योंकि सजा तीन वर्ष से अधिक की है। उन्होंने कहा, "जुर्माने की रकम सुनवाई के दौरान जब्त आभूषण और भूमि को बेचकर वसूली जाएगी।" इस बीच राज्य सरकार के वरिष्ठ वकील बी. टी. बेंकटेश ने कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जाने वाला व्यक्ति उच्च अदालत से सजा निलंबित किए जाने तक अयोग्य माना जाता है और वह किसी भी कार्यकारी पद पर बने नहीं रह सकता।
वेंकटेश ने आईएनएस से कहा, "चूंकि जयललिता दोषी करार दी गई हैं और उन्हें चार वर्ष कैद की सजा सुनाई गई है तो ऐसे में स्वत: ही उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त हो जाएगी और मुख्यमंत्री की कुर्सी भी छोड़नी पड़ेगी।" चूंकि दोषी को सजा के खिलाफ उच्च अदालत में अपील करने का वैधानिक अधिकार होता है, अत: वे कर्नाटक या तमिलनाडु में सजा को निलंबित करने के लिए अपील कर सकती हैं।

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