पृथ्वीराज चव्हाण का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 26 सितंबर 2014

पृथ्वीराज चव्हाण का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा


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महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) गठबंधन टूटने व राकांपा के सरकार से समर्थन वापस लेने के अगले दिन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने शुक्रवार को अपना इस्तीफा राज्यपाल सी.वी. राव को सौंप दिया। राज्य में 15 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने से कुछ हफ्तों पहले गठबंधन तोड़कर शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य की लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार को अल्पमत में ला दिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, "राकांपा के मंत्रियों के गुरुवार रात पद छोड़ने के बाद कांग्रेस नीत लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार अल्पमत में आ गई। इस तरह लोकतांत्रिक परंपरा के तहत मुख्यमंत्री ने इस्तीफा देने का फैसला किया।" इससे पहले मुख्यमंत्री चव्हाण ने शुक्रवार की सुबह राज्यपाल सी.वी. राव से मुलाकात की थी। 

अब या तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाएगा या फिर चव्हाण को विधानसभा चुनाव होने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालने को कहा जाएगा। इससे पहले विधानसभा में विपक्ष के नेता भारतीय जनता पार्टी के एकनाथ खडसे शुक्रवार दोपहर राज्यपाल से मिले और अल्पमत में आ गई सरकार को बर्खास्त करने की मांग की। उन्होंने राज्यपाल को एक पत्र भी सौंपा जिसमें राज्य राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की गई। भाजपा नेता आशीष शेल्हर ने गुरुवार रात सरकार के अल्पमत में आते ही चव्हाण के इस्तीफा ने देने की आलोचना की। उन्होंने कहा कि जब विपक्ष ने सरकार को बर्खास्त करने की मांग की उसके बाद ही चव्हाण ने इस्तीफा दिया। 

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में ज्यादातर स्थिर सरकारें रही हैं और 1960 में राज्य की स्थापना के बाद केवल एक बार 1980 में छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। वर्तमान विधानसभा में कांग्रेस के 82 और उसके गठबंधन सहयोगियों के पास 62 विधायक हैं। इस तरह 288 सदस्यीय विधानसभा में यह सबसे बड़ा गठबंधन था। इस गठबंधन ने राज्य पर करीब 15 वर्षो तक शासन किया। चव्हाण सरकार में कांग्रेस के 22 मंत्री और राकांपा के 20 मंत्री शामिल थे। मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा-शिवसेना गठबंधन के पास 90 विधायक हैं। भाजपा के पास 46 और शिवसेना के पास 44 विधायक हैं। 25 वर्ष से चल रहा भाजपा-शिवसेना गठबंधन भी गुरुवार को टूट गया। 

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