नन्दा राज जात में लगे 200 से अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों को किया सम्मानित
- सहभागिता की इस भावना को आगे भी बनाए रखना होगा: मुख्यमंत्री
देहरादून, 12 सितम्बर,(निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सभी की सहभागिता से श्री नंदा देवी राजजात यात्रा को सफलतापूर्वक संचालित किया गया। सहभागिता की इस भावना को आगे भी बनाए रखना होगा। इस बात पर विचार किया जा रहा है कि प्रतिवर्ष होने वाली वेदनी तक की लोकजात यात्रा में भी राज्य सरकार सपोर्टिव रोल में रहे। साथ ही यहां के आसपास नए ट्रेकिंग रूट भी विकसित किए जाएंगे। परंतु इसमें पूरा ध्यान रखा जाएगा कि हमारे बुग्याल, जड़ी बूटियां, व प्रकृति को नुकसान ना हो। श्रीनंदा देवी राजजात यात्रा जनभावना की यात्रा थी। स्थानीय लोगों की सहभागिता से विश्व की सबसे बड़ी धार्मिक पैदल यात्रा को सफलतापूर्वक सम्पन्न किया गया। राजजात समिति, शासन प्रशासन, पुलिस, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, निम व अन्य संस्थाओं ने अपने कर्तव्यों से बढ़कर काम किया। हमें ‘बियोंड द ड्यूटी’ की इस भावना को हमेशा बनाकर रखना होगा। शुक्रवार को कैंट रोड़ सिथत सीएम आवास में श्रीनंदा देवी राजजात यात्रा में सराहनीय कार्य करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी यात्रा पर उनकी नजर थी और पल पल की खबर प्राप्त कर रहे थे। इस यात्रा के प्रबंध में लगे शासन प्रशासन के अधिकारियों, कर्मचारियों ने स्वप्रेरित होकर जिस प्रकार काम किया वह सराहनीय है। ऊंचे से ऊचे अधिकारी ने भी यह नहीं देखा कि उन्हें जो काम सौंपा गया था वह उनके पद के अनुरूप नहीं था। सबका बस एक ही लक्ष्य था, नंदा राजजात यात्रा को कुशलतापूर्वक सम्पन्न करवाना। मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत वर्ष की केदारनाथ की आपदा के बाद देश विदेश में सुरक्षित उŸाराखण्ड का संदेश जाना बहुत जरूरी था। यही वजह रही कि इस वर्ष चारधाम यात्रा प्रारम्भ की गई। पूरी उम्मीद है कि इस सीजन में लगभग 5 लाख यात्रियों का आंकड़ा पार कर जाएगा। श्री नदंा देवी राजजात यात्रा हमारी परम्परा का हिस्सा है, इसमें सरकार सामान्यत परिस्थिति में हस्तक्षेप नहीं करती। परंतु इस बार किसी तरह का जोखिम नहीं लिया जा सकता था। इसके माध्यम से सुरक्षित उŸाराखण्ड का संदेश भी दिया जाना था। इसलिए सरकार ने नंदाराजजात समिति व स्थानीय लोगों को आगे रखते हुए सपोर्टिव भूमिका निभाई। पूरी खुशी है कि इतने चुनौतिपूर्ण काम को बिना किसी जनहानि के पूरा कर लिया गया। मध्य हिमालय में स्थित राज्यों में लगातार आने वाली दैवीय आपदाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे राज्य जहां के लोगों की आजीविका मुख्यतः पर्यटन पर आधारित हो, वहां प्राकृतिक आपदाओं को लेकर अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रकृति पर किसी का वश नहीं होता है परंतु इसके प्रकोप की मात्रा को सीमित किया जा सकता है। हमें ऐसी व्यवस्था विकसित करनी होगी कि हमारे लोग स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सकें। इसमें सभी को मिलकर काम करना हेागा। सरकार के साथ ही जनसहभागिता भी जरूरी है। हमने पिछले वर्ष की आपदा से काफी कुछ सीखा है। हम अब पहले की तुलना में अधिक सावधान हैं। सजगता व सतर्कता की प्रवृŸिा को अपनी कार्यसंस्कृति में बदलना होगा। पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में राजजात समिति, जिला प्रशासन, पुलिस, एनडीआरएफ, आईटीबीपी सहित विभिन्न विभागों के 200 से अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पोस्टल विभाग द्वारा नंदा देवी राजजात यात्रा पर डाक आवरण पत्र भी जारी किया गया। कार्यक्रम में पर्यटन मंत्री दिनेश धनै, विधानसभा उपाध्यक्ष अनुसूष्या प्रसाद मैखुरी, समिति के भुवन नौटियाल, बीसूका के उपाध्यक्ष व विधायक राजेंद्र भण्डारी, डा.राकेश कुंवर सहित अन्य गणमान्य मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ने फीडबैक लिया
इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने राजजात यात्रा से जुडे़ अधिकारियों व समिति के पदाधिकारियों से मुख्यमंत्री ने फीडबैक लिया उन्होने कहा कि श्री नंदा देवी राजजात यात्रा से बहुत कुछ सीखने को मिला है। इस अनुभव का लाभ आगे की चारधाम यात्रा व अन्य आयोजनों में किया जाएगा। शुक्रवार को बीजापुर में नंदा देवी राजजात यात्रा से जुडे़ अधिकारियों व समिति के पदाधिकारियों से मुख्यमंत्री ने फीडबैक लिया। सीएम ने कहा कि हालांकि यात्रा सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई परंतु इसमें रह गई कमियों का डाक्यूमेंटेशन किया जाएगा ताकि भविष्य में इन कमियों की पुनरावृŸिा ना हो। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि वेदनी सहित अन्य स्थानो ंपर रह गए कचरे का निस्तारण एक सप्ताह के भीतर सुनिश्चित किया जाए। वन विभाग इसकी माॅनिटरिंग करे। प्रतिवर्ष वेदनी तक होने वाली लोकजात यात्रा में किस प्रकार सरकार सहयोग कर सकती है इसपर कार्ययोजना बनाई जाए। इस क्षेत्र में ट्रेकिंग रूट विकसित किए जाएं। अमरनाथ यात्रा व कैलाश मानसरोवर यात्रा की तर्ज पर यहां भविष्य में आने वाले पर्यटकों व यात्रियों से पहले ही मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट की अनिवार्यता रखी जाए। साथ ही प्रशासन स्तर पर भी मेडिकल जांच की व्यवस्था हो। एसडीआरएफ की अतिरिक्त कम्पनियों की स्थापना में यह भी ध्यान रखा जाए कि उसमें पेरामेडिकल स्टाफ भी हो। संचार पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। मोबाईल डीएसपीटी की अतिरिक्त व्यवस्था करनी होगी। निर्जन पड़ावों पर बीच बीच में शेल्टर व पानी की टंकियां स्थापित करनी होगी। अधिकारियों ने विस्तार से अपने अनुभवो से सीएम को अवगत कराया व भविष्य में कमियों को देर करने के लिए अपने सुझाव दिए। बैठक में विधानसभा उपाध्यक्ष अनुसूया प्रसाद मैखुरी, केबिनेट मंत्री दिनेश धनै, विधायक राजेंद्र भण्डारी, समिति के भुवन नौटियाल, डा.राकेश कुंवर , प्रमुख सचिव एसएस संधु, डीजीपी वीएस सिद्धु सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
पेयजल निगम नहीं ले रहा खराब पड़े हैंडपंपों की सुध
देहरादून,12 सितम्बर (निस)। पेयजल निगम द्वारा पेयजल आपूर्ति के लिए लगाए गए हैंडपंप अधिकांश स्थानों पर खराब पड़े हुए हैं। कुछ हैंडपंप तो ऐसे हैं जो कि लगाने के कुछ समय बाद ही सूख गए जबकि कुछ हैंडपंपों से लाल पानी निकलता है। पेयजल निगम खराब पड़े हैंडपंपों के रखरखाव के प्रति उदासीन बना हुआ है।
देहरादून जिले में 70 प्रतिशत हैंडपंप खराब पड़े हुए हैं, जो 30 प्रतिशत हैंडपंप ठीक हैं भी उनमें से कई हैंडपंपों में लाल पानी निकलता है, जिस कारण उस पानी का उपयोग नहीं हो पाता है। हैंडपंप स्कीम राज्य में कारगर साबित नहीं हो पा रही है। कई हैंडपंप लगाने के कुछ समय बाद ही सूख गए, जबकि कुछ हैंडपंप विभागीय लापरवाही के कारण खराब पड़े हुए हैं। खराब हैंडपंपों के रखरखाव की ओर पेयजल निगम द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। खराब पड़े होने के कारण अधिकांश हैंडपंप सफेद हाथी साबित हो रहे हैं, लोगों को हैंडपंपों का लाभ नहीं मिल पा रहा है। खराब पड़े हैंडपंप लोगों को चिढ़ाने का काम कर रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल सिंह तोमर का कहना है कि पेजयल निगम हैंडपंप तो लगा देता है लेकिन इनके रखरखाव की तरफ कोई ध्यान नहीं देता। कई हैंडपंप वर्षों से खराब पड़े हुए हैं। पेयजल निगम से खराब पड़े हैंडपंपों को ठीक करने की मांग की जाती है लेकिन निगम इस मांग को नजरअंदाज कर देता है।
बेढंगे स्पीड ब्रेकर बन रहे हैं परेशानी का कारण
देहरादून,12 सितम्बर (निस)। देहरादून में मुख्य मार्गों और संपर्क मार्गों पर कई स्थानों पर बनाए गए बेढंगे स्पीड ब्रेकर लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। इन बेढंगे स्पीड बे्रकरों के ऊपर आए दिनों दुपहिया वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। कई स्थानों पर स्पीड ब्रेकरों की मोटाई और ऊंचाई काफी अधिक होने के कारण यहां से निकलने वाले वाहन चालकों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ज्यादातर स्थानों पर स्पीड ब्रेकर मानकों के अनुरूप नहीं बने हुए हैं। चंदननगर, त्यागी रोड, चंदर रोड, कारगी रोड, जनरल महादेव सिंह रोड, पथरीबाग, भंडारीबाग, कैंट रोड आदि स्थानों पर बेढंगे स्पीड ब्रेकर वाहन चालकों की परेशानी बढ़ा रहे हैं। चंदननगर रोड पर सीएमओ कार्यालय और इमरजेंसी आपातकालीन सेवा-108 के कार्यालय भी इसी मार्ग पर पड़ते हैं। चंदननगर रोड पर तीन-चार स्थानों पर बेढंगे स्पीड ब्रेकर बनाए गए हैं। यहां से निकलते समय सबसे अधिक परेशानी वाहन चालकों को रात्रि के समय उठानी पड़ती है। मार्ग पर पथ प्रकाश की व्यवस्था न होने से कई बार तेज गति से निकल रहे दुपहिया वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। इस मार्ग से कई इलाके जुड़े हुए हंै। सामाजिक कार्यकर्ता खलीक अहमद का कहना है कि इन बेढंगे स्पीड ब्रेकरों के ऊपर आए दिनों दुपहिया वाहन चालक चोटिल हो रहे हैं। पिछले एक वर्ष के भीतर चार दर्जन से अधिक दुपहिया वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। कई वाहन चालक तो गंभीर रूप से चोटिल हो चुके हैं। उनका कहना है कि विभाग से इन स्पीड ब्रेकरों को ठीक किए जाने की मांग कई बार की जा चुकी है लेकिन विभागीय अधिकारियों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। उनका कहना है कि इन स्पीड ब्रेकरों की मोटाई और ऊंचाई दोनों घटाई जानी चाहिए। यदि विभाग द्वारा इस ओर ध्यान न दिया गया तो कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है। इन स्पीड ब्रेकरों के ऊपर आए दिनों दुपहिया वाहन चालक चोटिल हो रहे हैं।
जीएमवीएन कर्मी गरजे सचिवालय पर मांगों को लेकर किया सचिवालय कूच, प्रदर्शन
- पुलिस और कर्मियों के बीच हुई तीखी नोक-झोंक
देहरादून,12 सितम्बर (निस)। संयुक्त कर्मचारी मंच गढ़वाल मंडल विकास निगम ने अपनी मांगों को लेकर सचिवालय कूच किया। सचिवालय के पास पुलिस द्वारा रोके जाने पर जीएमवीएन कर्मियों और पुलिस के बीच तीखी नोक-झोंक हुई। रोके जाने के बाद जीएमवीएन कर्मियों द्वारा सचिवालय के बाहर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई और धरना दिया गया। जीएमवीएनकर्मी शुक्रवार को अपनी सात सूत्री मांगों को लेकर सड़कों पर उतर पड़े। कर्मियों द्वारा प्रदर्शन करते हुए सचिवालय कूच किया गया। सचिवालय के पास पुलिस ने बैरीकेडिंग लगाकर जुलूस को रोक दिया। जुलूस रोके जाने के दौरान पुलिस और जीएमवीएन कर्मियों के बीच तीखी नोक-झोंक हुई। कर्मियों ने आगे बढ़ने से रोके जाने पर सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी कर्मियों का कहना था कि गढ़वाल मंडल विकास निगम की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया जाए और कर्मचारियों की समस्याओं का निस्तारण किया जाए। कर्मियों का कहना था कि पूर्व में निगम द्वारा खनन के कारोबार से शासन को रिकार्ड राजस्व दिया गया था, साथ ही लोगों को भवन निर्माण के लिए सस्ती दरों पर रेता-बजरी उपलब्ध कराया जाता था। जीएमवीएन के अनुभवों को ध्यान मेें रखते हुए खनन का कार्य पूर्ण रूप से जीएमवीएन को सौंपा जाए। जीएमवीएन का निर्माण अनुभाग प्रदेशभर में कार्यदायी संस्था के रूप में कार्य करता रहा है, निगम को पुनः निर्माण कार्यों का कार्य सौंपा जाए। 16 व 17 जून 2013 को प्रदेश में आई दैवीय आपदा से निगम को 70 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है, जिस कारण वित्तीय वर्ष 2013-14 में लगभग 40 करोड़ की व्यवसाय हानि हुई है। पर्यटन व्यवसाय पर इस दुष्प्रभाव को देखते हुए निगम को आपदाग्रस्त घोषित करते हुए कार्मिकों को फिलहाल पांच वर्षों का वेतन प्रदान किया जाए या निगम के पर्यटन के के सभी कर्मचारियों को पर्यटन विभाग में समायोजित करते हुए राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए। जीएमवीएन में लंबित पड़े पुराने देयकों का भुगान अविलंब किया जाए, जिसमें सचिवालय और मुख्यमंत्री कार्यालय एवं आवास में कार्यरत कर्मचारियों के वेतन मद में अब तक हुए व्यय का तत्काल भुगतान किया जाए। औली स्कीइंग कैंप के स्कीयिंग चैंपियनशिप सैफ गेम्स से संबंधित देयकों का भुगतान निगम को किया जाए। जीएमवीएन कर्मियों ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी भेजा। प्रदर्शन करने वालों में संयुक्त कर्मचारी मंच के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह नेगी, महासचिव एसपी पंत, सुरेंद्र बहुखंडी, किशन सिंह पंवार, विश्वनाथ बेंजवाल, सरोज कुकरेती, रश्मि नंबूरी, अंतरिक्षा, एसपीएस रावत, रमेश पंवार, विनोद जैन, राजेश रमोला, अजयकांत शर्मा, हरेंद्र कैंतुरा आदि शामिल रहे।
मंत्री ने ली मसूरी क्षेत्र की महायोजना को लेकर बैठक
देहरादून,12 सितम्बर (निस)। प्रदेश के आवास एवं शहरी विकास मंत्री प्रीतम सिंह पंवार ने आज विधान भवन के सभागार में मसूरी क्षेत्र की महायोजना के सम्बन्ध मे वन विभाग, एम0डी0डी0ए0 एवं सर्वे आॅफ इण्डिया के अधिकारियों के साथ बैठक की। श्री पंवार ने मसूरी का मास्टर प्लान व नगर पालिका अन्तर्गत नोटिफाई एरिया का सर्वे के निर्देश देते हुए कहा कि मसूरी के पुराने स्वरूप को जिन्दा रखना है। उससे ज्यादा छेड़-छाड़ ठीक नहीं होगी। उन्होंने मसूरी की व्यवहारिक कठिनाईयों के निस्तारण के लिए भी अधिकारियों से कहा। मसूरी नगरपालिका क्षेत्र में वन संरक्षण अधिनियम 1980 के अन्तर्गत नोटिफाइड व अन-नोटिफाइड वन क्षेत्र का सीमांकन न होने के कारण मसूरी विकास क्षेत्र की महायोजना तैयार नहीं की जा सकी, भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा मसूरी नगरपालिका क्षेत्रान्तर्गत नोटिफाइड व अन-नोटिफाइड वन क्षेत्र का सर्वे एंव सीमांकन का कार्य किया जा रहा है। बैठक में सचिव आवास ने कहा कि मसूरी नगर पालिका क्षेत्रान्तर्गत वन भूमि एवं गैर वन भूमि के चिन्हीकरण, सीमांकन एवं सर्वेक्षण हेतु 218 इस्टेटों में सर्वे का कार्य किया जाना है जिसमें से प्रथम चरण में 100 एस्टेटों के सर्वे का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा इस कार्य की लागत रू0 80,25,197 आंकी गयी है। जिसका भुगतान किया जा चुका है। द्वितीय चरण में 76 इस्टेटों के सर्वे का कार्य किया जाना प्रस्तावित है, जिस हेतु भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने 1,9221,700 रू0 की धनराशी की लागत आंकी गयी है। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण द्वारा वहन किया जा रहा है। वन विभाग द्वारा अपने हिस्से का भुगतान अर्थात कुल धनराशि के 50 प्रतिशत की स्वीकृति शासन से प्राप्त होने के उपरान्त प्राधिकरण को देय होगी। अवशेष 42 इस्टेटों एवं मसूरी विकास क्षेत्र में मसूरी विकास क्षेत्र अन्तर्गत मसूरी नगरपालिका क्षेत्र के साथ-साथ निम्न ग्राम हैं। बकारना, रिखोली, क्यारकुली भट्टा, चामासारी, नाली, कालीघाट, सरौना, मितरली, और मझाड़ा क्षेत्र की भूमि के सर्वेक्षण का कार्य किया जाना प्रस्तावित है जिसके उपरांत मसूरी विकास क्षेत्र की महायोजना तैयार किया जाना प्रस्तावित होगा। बैठक में मसूरी क्षेत्र के फ्रीज जोन के क्षेत्र में भवनों के पुननिर्माण एवं नवनिर्माण के सम्बन्ध में भी चर्चा की गयी। बैठक में अध्यक्ष नगरपालिका परिषद मसूरी मनमोहन सिंह मल्ल, सचिव आवास डी0एस0गब्र्याल, सचिव एम0डी0डी0ए0 बंशीधर तिवारी, तकनीकी अधिकारी ए.के.बहुखण्डी, सर्वे अधिकारी दिनेश कुमार, वैज्ञानिक यू-सैक आशा थपलियाल, उप-प्रभागीय वनाधिकारी मसूरी वन प्रभाग डी0पी0बलोनी, वरिष्ठ नियोजक नगर ग्राम नियोजन विभाग एक0के0पन्त मौजूद थे।
काश्तकारों को मिले योजना का लाभ: तिवारी
अल्मोड़ा, / देहरादून,12 सितम्बर (निस)। काश्तकारों को सारी सुविधायें उपलब्ध हो सके इसके लिये हमें विशेष रूप से कार्य योजना बनानी होगी। यह बात संसदीय सचिव/विधायक मनोज तिवारी ने आज कृषि प्राविधिकी प्रबन्धन अभिकरण (आत्मा) द्वारा कृषि वैज्ञानिक संवाद संगोष्ठी में कही। उन्होंने कहा कि समय से बीज और पशुपालकों को चारा उपलब्ध हो सके इसके लिये ठोस निर्णय लेने होंगे ताकि काश्तकारों का मनोबल बढ़ सके। खेती के काम धन्ने में लगे हुए लोगों को प्रशिक्षण देने के साथ साथ उनकी समस्याओं पर हमें ध्यान देना होगा, ताकि उनकी कार्य कुशलता में वह आगे बढ़ सकें। इसके अलावा कृषकों को उन्नतशील बीज, सूक्ष्म पोषक तत्व, खरपतवार नाशककीट रोग रसायन, जैव रसायन के बारे में जानकारी देनी होगी। साथ ही उन्नत कृषि तकनीक द्वारा बुआई हेतु कृषकों को प्रेरित करना होगा। उन्होंने इस अवसर पर जनपद स्तर के चार और विकास खण्ड स्तर के 45 कृषकों को पुरूस्कार व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। इस प्रकार जनपद के कुल 49 कृषकों को पुरूस्कार वितरित किये गये। जनपद स्तर के चार कृषकों को 25 हजार प्रति कृषक के हिसाब से कुल 1 लाख रू0 एवं विकास खण्ड स्तर के 45 कृषकों को 10 हजार प्रति कृषक के हिसाब से कुल 4 लाख 50 हजार रू0 के चैंक वितरित कियें। उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों द्वारा जो नुकसान हमारे फसलों को पहुंचाया जा रहा है उसके लिये शासन स्तर पर ठोस निर्णय लेने की कार्यवाही की जा रही है। ताकि काश्तकार पलायन से बच सकें और अपने कृषि कार्य में उन्नति कर सकें। संसदीय सचिव ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा कृषकों की इस समस्या के निदान हेतु ठोस पहल की जा रही है। साथ ही उन्होंने कृषकों को बड़े कृषि संयत्र खरीदने में 80 प्रतिशत सबसीडी देने का भी निर्णय लिया है। मुख्य विकास अधिकारी डा0 अहमद इकबाल ने कहा कि काश्तकारों को हर सुविधा मुहैया हो सके इसके लिये जिला प्रशासन पूर्ण सहयोग करेंगा। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिला समूहों के माध्यम से इस कार्य को बढ़ावा दिया जा रहा है। आत्मा परियोजना द्वारा पशुपालन, उद्यानीकरण, के सम्बन्ध में समय समय पर प्रशिक्षण दिये जाने का कार्य किया जा रहा है। ताकि कृषक नयी तकनीक को अपना सकें। इस मौके पर मुख्य कृषि अधिकारी डा0 अभय सक्सैना ने कृषि सम्बन्धी विशेष जानकारी दी। इस संवाद में विभिन्न विकास खण्डों से आये काश्तकारों ने अपने अनुभव बताये और कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि एवं पशुपालन से पलायन रूक सकता है बशतें जंगली जानकारों के नुकसान से बचाने हेतु ठोस कार्यवाही के साथ साथ न्याय पंचायत स्तर पर मास्टर ट्रेनर तैयार कर अन्य काश्तकारों को प्रशिक्षण देकर प्रोत्साहित किया जाय। इस कार्यक्रम में सभी विकास खण्डों से आये प्रगतिशील कृषक व कृषि, उद्यान, पशुपालन विभाग से जुड़े अधिकारी उपस्थित थे।
जवाब दो-हिसाब दो रैली 15 को
देहरादून,12 सितम्बर (निस)। एक्टू से सम्बद्ध उत्तराखण्ड आशा हैल्थ वर्कर्स यूनियन की ‘जवाब दो-हिसाब दो‘ रैली 15 सितम्बर को मुख्यमंत्री आवास देहरादून में होगी। यह जानकारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री कैलाश पाण्डेय ने एक बयान में दी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद मजदूर वर्ग खास तौर पर महिला कामगारों की घोर उपेक्षा भाजपा- कांग्रेस द्वारा की गयी है, उनके ऊपर ध्यान नहीं दिया गया है। महिला सशक्तिकरण का ढ़ोल पीटने वाली सरकारें महिला कामगारों के श्रम का खुला शोषण कर रही है। उत्तराख ंड का स्वास्थ्य विभाग आशा वर्कर्स की मेहनत व फील्ड वर्क के बूते चल रहा है परंतु उनको उनकी मेहनत का पूरा दाम तो छोडि़ये न्यूनतम मजदूरी भी उनको नहीं दी जा रही है। इसलिए मजबूत आंदोलन से ही इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकता है। उत्तराखण्ड सरकार आशाओं के सम्बंध में की गयी खुद की घोषणाओं को भी लागू करने से मुकर गयी है जो कि शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 5000 रूपये वार्षिक प्रोत्साहन राशि व बोनस की घोषणा करके अमल में आज तक नहीं लायी। ये घोषणायें अलग अलग मुख्यमंत्रियों द्वारा की गयी पर लागू आज तक नहीं हुई। मेहनत के पैसे की लूट के खिलाफ आशा यूनियन को एकत्र होकर राज्य स्थायी कर्मचारी होने तक संघर्ष चलाना होगा।‘‘उन्होंने कहा कि ऐसे दौर में जब केन्द्र की मोदी सरकार श्रम सुधारों के नाम पर कामगारों के सारे अधिकार छीन लेना चाहती है और राज्य सरकार वादाखिलाफी पर उतरी हुई है मजदूरों, कामगारों के पास संघर्ष के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। उन्होंने बताया कि इस वादाखिलाफी के खिलाफ पूरे राज्य से हजारों की संख्या में आशाएं 15 सितम्बर को देहरादून कूच करेंगी। जहां आशाएं अपनी मेहनत का हिसाब और सरकारी उदासीनता का जवाब मागंेगीं। उन्होनंे सभी आशाओं से एकता प्रदर्शित करते हुए ‘जवाब दो-हिसाब दो- रैली को ऐतिहासिक बनाने की अपील की और कहा कि न्यूनतम वेतन मिलने और नियमित राज्य कर्मचारी बनने तक लड़ाई जारी रहेगी।
कांग्रेसियों ने किया भट्ट का अभिनंदन
देहरादून,12 सितम्बर (निस)। जिला कांग्रेस सेवादल के जिला मुख्य संगठक कंुवर सिह यादव के संयोजन में प्रयाग भट्ट के उत्तराखंड आपदा प्रबंधन एवं पुनरीक्षक समिति का अध्यक्ष पद पर मनोनीत होने पर प्रदेश कांगे्रस कार्यालय में भव्य स्वागत एवं अभिनन्दन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रयाग भट्ट ने जिम्मदारीपूर्ण पद पर मनोनयन के लिए मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का आभार व्यक्त किया। उन्होंने सभी साथियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा जो जिम्मेदारी मुझे दी गई है, मैं उसे पूर्ण ईमानदारी के साथ निभाउॅगा। उन्होेनें कहा कि गत वर्ष आई आपदा ने जो गहरे जख्म प्रदेश को दिये है, उन्हेें भरने का काम आप और हमेे मिलकर करना है। इस मौके पर सेवादल के जिला संगठक श्री यादव ने श्री भट्ट के सेवादल में रहते हुए पार्टी मे दी गई महत्वपूर्ण सेवाओं का उल्लेख किया और कहा कि यह सेवादल के लिए बड़ा गौरव का दिन है कि पार्टी सेवकों के बीच से एक ब्यक्ति को मुख्यमंत्री ने आपदा से आहत जनता की सेवा के लिए चुना है। इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के प्रतिनिधि के रूप में प्रदेश मुख्य समन्वयक जोत सिह बिष्ट ने पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया। संचालन लालचन्द शर्मा ने किया। कार्यक्रम में सरोजनी कैन्त्यूरा, सुरेन्द्र सिंह आर्य, मथुरा दत्त जोशी, डी0बी0 क्षेत्री, अनिल रावत, कमलेश रमन, सावित्री थापा, मीना रावत, सावित्री थापा, कुसुम गुप्ता, राजकुमार, श्याम कापडी, प्रवीन पुराहित, नरेन्द्र कार्की आदि उपस्थित थे।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें