उत्तराखंड की विस्तृत खबर (26 सितम्बर) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 26 सितंबर 2014

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (26 सितम्बर)

तीन दिवसीय ‘अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन शुरू
  1. दाराशिकोह ने संस्कृत का ज्ञान अर्जित कर उपनिषदों का अनुवाद फारसी में किया
  2. संस्कृत किसी धर्म या वर्ग विशेष की नहीं बल्कि आम लोगों की भाषा बने: राज्यपाल

देहरादून 26 सितंबर। उत्तराखंड के राज्यपाल डा. अज़ीज़ कुरैशी ने कहा कि विश्व में कोई भी ऐसी भाषा नहीं है जिसने संस्कृत को न अपनाया हो। उन्होंने हरिद्वार को संस्कृत-भूमि बताते हुए उत्तराखंड संस्कृत वि.वि को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का विश्वविद्यालय बनाये जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यहाँ पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की संस्कृत साहित्य की डिजिटल लाइब्रेरी और विश्व स्तरीय रिसर्च-हाॅस्टल स्थापित हो, जहाँ पर देश व दुनिया के शोधार्थी आकर शोध कर संस्कृत को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने मंे मददगार बन सकें। संस्कृत को समृद्व भाषा बताते हुए उन्होंने कहा कि इसका संदेश देश व दुनिया में उत्तराखंड से जाना चाहिए, जिसकी आज पहल हो चुकी है।

इस मुकद्दस जमीन का राज्यपाल बनने पर उन्हें गर्वः डा. अज़ीज़ कुरैशी
uttrakhand newsशुक्रवार को राजभवन में तीन दिवसीय ‘अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन’ के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने यह भी कहा कि उत्तराखंड देवभूमि के साथ ही वीरभूमि भी है, यहाँ के चारधाम, गंगा, यमुना, विश्व में अमन व शांति का संदेश देते हैं, इस मुकद्दस जमीन का राज्यपाल बनने पर उन्हें गर्व है। राज्यपाल ने कहा कि दाराशिकोह ने हरिद्वार में संस्कृत का ज्ञान अर्जित कर उपनिषदों का अनुवाद फारसी में किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत किसी धर्म या वर्ग विशेष की नहीं बल्कि आम लोगों की भाषा बने, इसके लिए समन्वित प्रयास हों। उन्हांेने संविधान सभा में राजभाषा के मुद्दे का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि संस्कृत देश की राजभाषा बनी होती तो आज भाषा का कोई झगड़ा नहीं होता यही नहीं देश की सभी भाषाओं को उचित सम्मान भी प्राप्त होता। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा ने हर जुबान को राह दिखाई है, आपसी भाईचारा बढ़ाने में मदद की है। उन्होंने उर्दू भाषा के विकास के लिए भी प्रयास करने की बात पर बल देते हुए दून विश्वविद्यालय व कुमायूँ विश्वविद्यालय को उर्दू में उपाधियां संचालित करने को कहा। राज्यपाल ने कहा कि न केवल उर्दू, वरन भारत की अन्य प्रमुख भाषाओं के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था भी इन विश्वविद्यालयांे में की जानी चाहिए।

संस्कृत देववाणी है, यह हमारी शक्ति का स्रोतः मुख्यमंत्री
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समारोह की अध्यक्षता कर रहे मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि संस्कृत देववाणी है, यह हमारी शक्ति का स्रोत है, विषमताओं से लड़ने की ताकत इसी भाषा में है। आज 79 बोलियां ऐसी है जो विलुप्त होने की कगार पर है। उन्होंने कहा कि भाषा का अर्थशास्त्र से भी सीधा संबंध है। भारत ने पिछले 67 वर्षों में 90 करोड़ का मजबूत मध्यम वर्ग तैयार किया है, जो दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है, हम चाहे कोई भाषा बोले लोग हमारे पास आयेंगे। पिछले दस वर्षों में 14 करोड़ लोग गरीबी-रेखा से ऊपर उठे हैं। आगामी दस वर्षों में हमारे देश में 130 करोड़ का मध्यम वर्ग होगा, कारोबार-व्यापार के लिए लोग हमारी भाषा सीखने आयेंगे, न केवल संस्कृत वरन, गढ़वाली व कुमाऊँनी में भी पश्चिम के लोग बोलते देखे जायंेगे। हमें किसी भी भाषा से परहेज नहीं बल्कि उसे सीखने के प्रति अपना रूझान बढ़ाना होगा तभी हम समय के परिवेश को पकड़ पायेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश की पाण्डुलिपियों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए राज्य के किसी एक विश्वविद्यालय को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, साथ ही इसमें उच्च स्तरीय अनुवाद केन्द्र भी स्थापित किया जायेगा। उन्होंने संस्कृत में उद्ेश्यपूर्ण कार्यों के लिये डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित करने को कहा ताकि शोध कार्यों को बढ़ावा मिल सके। मुख्यमंत्री ने इस बारे में संस्कृत शिक्षा मंत्री से प्रस्ताव तैयार कराने को भी कहा।

संस्कृत को प्राइमरी से पढ़ाने की जरूरतः इंदिरा हृदयेश 
वित्त एवं उच्च शिक्षा मंत्री डा. इंदिरा हृदयेश पाठक ने संस्कृत भाषा को जीवित रखने के लिये इसे रोजगार से जोडने पर बल देते हुए संस्कृत को प्राइमरी से पढ़ाने की बात कही। विद्यालयी शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि इस सम्मेलन से संस्कृत को विश्व मे पहचान दिलाने के लिये नयी गंगा निकलेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक विकासखण्ड़ में 5-5 संस्कृत विद्यालय खोले जायेंगे। उन्होंने राष्ट्रीय संस्कृत आयोग से संस्कृत के विकास में उत्तराखंड के योगदान को विशेष दर्जा देने का अनुरोध किया।

संस्कृत जीवन के संबंधों व मानवीय मूल्यों को जीवंत बनाती हैः सत्यव्रत शास्त्री
समारोह के सारस्वत अतिथि राष्ट्रीय संस्कृत आयोग के अध्यक्ष पद्म विभूषण प्रो0 सत्यव्रत शास्त्री ने कहा कि संस्कृत का अपना विशिष्ट कुटुम्ब है जिसे सर्वत्र अनुभव किया जाता है। संस्कृत जीवन के संबंधों व मानवीय मूल्यों को जीवंत बनाती है। संस्कृत का वांग्मय स्वयं में चिन्तन है, संस्कृति है, भारत की पहचान है, आत्मा है। इसे बढ़ावा देने में मुसलमानों, ईसाइयों सहित सभी वर्गाें और धर्माें के लोगों ने योगदान दिया है। संस्कृत के भण्ड़ार को और समृद्ध करने की जरूरत है। उन्होने द्वितीय राष्ट्रीय संस्कृत आयोग के अध्यक्ष के नाते देश की 50 लाख पाण्डुलिपियों के संरक्षण, प्राचीन ग्रन्थों के अनुवाद के साथ ही भारत की गरिमा को संस्कृत के माध्यम से विश्व में फैलाने पर जोर दिया। 

संस्कृत के विविध पक्षों पर सौ से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत   
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इस अवसर पर मुस्लिम धर्मगुरु इमाम उमर मोहम्मद अहमद इलियासी ने कहा कि भाषा पर किसी धर्म या वर्ग विशेष का अधिकार नही है। तीन दिन तक चलने वाले इस अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन का शुभारंभ राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी, मुख्यमंत्री हरीश रावत, मंत्री प्रसाद नैथानी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। मंचस्थ अतिथियों ने कान्फ्रेंस की स्मारिका वागाम्भिृणी का विमोचन भी किया। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल ने अतिथियों का स्वागत किया, जबकि प्रदेश के अपर मुख्स सचिव एस. राजू ने आभार जताया। इस मौके पर डा. सविता भट्ट, डा. सुधा गुप्ता, डा. रेखा शुक्ला और डा. प्रकाश पन्त की पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। सम्मेलन में चीन, नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका, इंडोनेशिया, जापान, कनाडा, भूटान, थाईलैंड, स्पेन, बेल्जियम आदि देशों  के संस्कृत विद्वान भी उपस्थित थे। पहले दिन के तकनीकी सत्रों में देशी-विदेशी विद्वानों ने संस्कृत के विविध पक्षों पर सौ से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किए।

उपभोक्ता फोरम ने इलाहाबाद बैंक पर ठोका जुर्माना 

देहरादून, 26 सितम्बर,(निस)।  जर्नलिस्ट यूनियन आॅफ उत्तराखण्ड के बैंक खाते का संचालन रोकना इलाहाबाद बैंक को भारी पड़ गया। जिला उपभोक्ता फोरम ने इलाहाबाद बैंक द्वारा बिना किसी अदालती आदेश के यूनियन के बैंक खाते को सीज करने की कार्यवाही को अवैध व सेवा में कमी मानते हुए बैंक पर पाँच हजार रुपये हर्जाना और इतनी ही धनराशि वाद व्यय के रुप में यूनियन को अदा करने के आदेश पारित किये हैं। फोरम ने उक्त धनराशि बैंक को एक माह के भीतर अदा करने को आदेशित किया है। जर्नलिस्ट यूनियन आॅफ उत्तराखण्ड का एक खाता नेहरु कालोनी स्थित इलाहाबाद बैंक में वर्ष 2009 से है। यूनियन के महामंत्री गिरीश पंत ने जिला उपभोक्ता फोरम में बैंक के खिलाफ शिकायत दायर की थी, कि बैंक ने अकारण ही यूनियन के खाते के संचालन पर रोक लगा दी है। फोरम में दायर वाद में गिरीश पंत ने बताया कि खाता संचालित करने के सम्बन्ध में बैंक के सम्बन्धित अधिकारियों से कई पत्राचार करने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी। उन्होंने बताया कि फर्जी शिकायत के आधार पर बैंक ने यूनियन के खाते का संचालन रोका जो दूषित व्यापार प्रक्रिया व सेवा की कमी के अन्तर्गत की गयी कार्यवाही है। उन्होंने फोरम को बताया कि बैंक के पास न तो दीवानी न्यायालय का कोई आदेश था और न ही खाते के संचालन पर रोक का स्थगन आदेश था। बैंक ने मनमाने तरीकें से खाते पर रोक लगा दी। वहीं इलाहाबाद बैंक के चीफ मैनेजर शैलेन्द्र कुमार सिंह ने फोरम में अपनी दलील में कहा कि तत्कालीन सचिव के अनुरोध पर खाते का संचालन रोका गया और मामला न्यायालय में विचाराधीन है। फोरम ने जब बैंक से इस सम्बन्ध में न्यायालय का स्थगन आदेश मांगा तो वह नही दे पाया और ना ही वाद सिद्ध कर पाने में सफल रहे। अन्ततः उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष बलवीर प्रसाद व सदस्य अलका नेगी ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद इलाहाबाद बैंेक को दोषी मानते हुए उसे यूनियन के बैंक खाते का पुनः संचालन करने का आदेश दिया। साथ ही बैंक को हर्जाने के रुप में पांच हजार रुपये व वाद व्यय के रुप में पांच हजार रुपये अदा करने के आदेश पारित किये।फोरम ने बैंक को उक्त समस्त धनराशि का भुगतान यूनियन को एक माह के भीतर करने के आदेश भी दियें।

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