राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को कहा कि भारत के प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी बनती है कि वह अंबेडकर के सपने को साकार करने के लिए अपना पूरा प्रयास करे। यहां विज्ञान भवन में 'डॉ.अंबेडकर द्वारा परिकल्पित 21वीं सदी का भारत' विषय पर पांचवां अंबेडकर स्मृति व्याख्यान देते हुए मुखर्जी ने कहा, "अंबेडकर का सपना एक ऐसे भारत का था, जहां की सामाजिक प्रणाली और अर्थव्यवस्था मानव क्षमता के पूर्ण विकास की अनुमति देती हो और सभी नागरिकों की गरिमा सुनिश्चित करती हो।"
उन्होंने कहा, "लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि वह अंबेडकर के सपने को साकार करने के लिए पूरा प्रयास करें। गरीबी और पक्षपात से निपटने के लिए हम सब को प्रतिबद्ध प्रयास करना चाहिए।" राष्ट्रपति ने कहा, "देश में सिर उठा रही विभाजनकारी ताकतों पर भी नजर रखने की जरूरत है। साथ ही कुपोषण, अज्ञानता, बेकारी और आधारभूत संरचना जैसी चुनौतियों से भी तेजी से निपटने की जरूरत है।"
मुखर्जी ने कहा, "हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि देश के किसी भी भाग में जाति, पंथ, धर्म, और लिंग के आधार पर किसी भी तरह की छुआछूत न हो।" राष्ट्रपति ने कहा, "हमें एक समतावादी समाज का निर्माण करना होगा, जहां व्यक्ति और व्यक्ति के बीच कोई अंतर न रहे।"

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