आय से अधिक संपत्ति मामले में कैद अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जे जयललिता बुधवार को भी राहत नहीं पा सकीं। उन्हें छह दिन और जेल में काटने होंगे। कर्नाटक हाईकोर्ट की अवकाश पीठ ने उनकी सजा निलंबित करने और तत्काल जमानत मांगने की याचिका पर सुनवाई टाल दी है। इस पर अब सात अक्टूबर को सुनवाई होगी। इसके पहले मंगलवार को अवकाश पीठ ने जया की तत्काल राहत पाने की याचिका पर सुनवाई छह अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी थी। इसके कुछ घंटे बाद ही उनके वकीलों ने मामले की अविलंब सुनवाई की मांग की जिस पर अदालत बुधवार को सुनवाई के लिए तैयार हुई।
अवकाश पीठ की जस्टिस रत्नाकला के समक्ष मामला रखते हुए जया के वकील राम जेठमलानी ने आइपीसी की धारा 389 के तहत सजा निलंबित करने और जमानत पर उनकी रिहाई की मांग की। धारा 389 के तहत दोषी की अपील पर अपीलीय अदालत उसे दी गई सजा निलंबित कर सकती है और अगर संबंधित व्यक्ति जेल में है तो वह जमानत पर रिहा हो सकता है।
सुनवाई के दौरान विशेष सरकारी वकील भवानी सिंह ने जया की याचिका पर आपत्ति दर्ज कराई। सिंह ने जया की जमानत का भी विरोध किया और कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री आजादी का दुरुपयोग कर सकती है। सिंह ने कोर्ट में अपनी नियुक्ति का ज्ञापन भी सौंपा। वह इस मामले में विशेष अदालत में सरकारी वकील थे। इसके बाद जस्टिस ने नियमित पीठ के समक्ष मामला ले जाने के लिए सुनवाई सात अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी।
विशेष अदालत ने 27 सितंबर को जयललिता को आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठहराते हुए चार साल कैद और सौ करोड़ रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। इसके चलते जया को विधानसभा की सदस्यता व मुख्यमंत्री का पद गंवाना पड़ा। वह कर्नाटक की परपन्ना अग्रहरा सेंट्रल जेल में बंद हैं। जया की सजा से दुखी 55 वर्षीय किसान ने बुधवार को नागापत्तनम के सरकारी अस्पताल में दम तोड़ दिया। पुलिस ने बताया कि तीन पहले अपने घर में उसने जहरीला पदार्थ खा लिया था। इस बीच अन्नाद्रमुक कार्यकर्ताओं और समर्थकों का प्रदर्शन पांचवें दिन भी जारी रहा। वे जया की रिहाई की मांग कर रहे हैं।
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