देश में वैध तरीके से भांग की व्यावसायिक खेती से किसान न केवल आर्थिक लाभ अर्जित कर सकते हैं बल्कि इससे रोजगार के नये अवसर उपलब्ध होंगे और औद्योगिक उत्पादन से विदेशी मुद्रा भी अर्जित की जा सकेगी। भारतीय औद्योगिक भाग संघ.आईआईएचए. के पहले सम्मेलन में आज यह राय व्यक्त की गयी। वक्ताों ने कहा कि अफीम की खेती की तरह सरकार यदि भांग की व्यावसायिक खेती की अनुमति देती है तो इससे न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ होगी बल्कि बडे पैमाने पर उद्योगों की स्थापना होगी और युवाों को रोजगार मिलेगा ,नागालैंड के पूर्व राज्यपाल ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि भांग की वैध तरीके से खेती के लिये कानून बनाने की जरूरत है । इसके लिये राजनीतिक बाधाों को भी दूर किया जाना चाहिये ,श्री शर्मा ने कहा कि भांग की खेती के लिये लोगों को जागरूक करने तथा पायलट परियोजना के रूप में इसकी शुरूआत करने का सुझाव दिया गया ताकि किसानों को इससे होने वाली आय की जानकारी हो सके .
श्री शर्मा ने कहा कि देश में अमेरिका या चीन की तरह जमीन नहीं है। साथ ही यहां दलहनों और तिलहनी फसलों की भी कमी है । इसलिये भांग की व्यावसायिक खेती को बढावा देना है तो अंगे्रजों ने चाय की खेती को प्रोत्साहन देने के लिये जो नीति अपनायी थी. वही नीति इसके लिये भी अपनानी होगी , मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो के क्षेत्रीय निदेशक रोहित शर्मा ने कहा कि मादक तथा स्वापक पदार्थ अधिनियम.एनडीपीएस एक्ट. के कारण कानूनी तौर पर भांग की खेती नहीं की जा सकती है । उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो अफीम की खेती की तरह भांग की खेती का प्रयोग किया जा सकता है । श्री शर्मा ने कहा कि औषधीय गुणों के कारण उत्तर प्रदेश. राजस्थान और मध्य प्रदेश के सीमित क्षेत्रों में अफीम की खेती की अनुमति है । उन्होंने कहा कि कृषि.वन और वाणिज्य मंत्रालय की स्वीकृ ति से भांग की खेती की जा सकती है । आईआईएचए के प्रमुख रोहित शर्मा ने कहा कि प्राचीन काल से ही देश में भाग से आयुर्वेदिक दवाों का निर्माण किया जाता रहा है । उन्होंने कहा कि देश की जलवायु भांग के उत्पादन के लिये बहुत उपयुक्त है और बहुत आसानी से औद्योगीकरण किया जा सकता है । सम्मेलन को कई विदेशी प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया.

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