राज्यसभा में समाजवादी पार्टी को छोडकर आज सभी विपक्षी दलों ने मनरेगा को किसी भी तरह से कमजोर बनाए जाने का एक स्वर में विरोध किया. लेकिन समाजवादी पार्टी का कहना था कि मनरेगा से केवल भ्रष्टाचार बढा हैै और खेती चौैपट हुई तथा मजदूर बिना काम किए पैसे ले रहे है। समाजवादी पार्टी के प्रो0 रामगोपाल यादव के इस बयान पर कांग्रेस के मनोनीत सदस्य भालचंद्र मुंगेरकर ने कडी आपत्ति की और कहा कि डा0 राम मनोहर लोहिया के शिष्य किस तरह मजदूर एवं दलित विरोधी बाते कर रहे हैैं क्योंकि मनरेगा योजना तो दलित आदिवासी एवं गरीब लोगों को रोजगार दिलाने के लिए ही बनायी गयी थी।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी रजा द्वारा ध्यानार्कषण प्रस्ताव पर शुरू हुई। चर्चा के दौरान कांग्रेस. वामदल. बसपा. तृणमूल कांग्रेस. बीजू जनता दल जनता दल.यू. द्रमुक आदि के सदस्यों ने मनरेगा को कमजोर बनाने की सरकार की योजना का कडा विरोंध किया। पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री एवं कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि सरकार पहले यह स्पष्ट करे कि क्या वह केवल 2500 पिछडे प्रखंडो में ही इसे लागू करेगी और शेष 4000 प्रखंडो में इसका क्या भविष्य होगा। उन्होंने कहा कि हम प्राथमिकता के खिलाफ नहीं है पर क्या यह और जगह लागू नहीं होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि क्या मनरेगा के तहत मजदूरो के पारश्रमिक तथा सामग्री में 60 अनुपात 40 प्रतिशत को कम कर 51 अनुपात 49 प्रतिशत करने का इरादा है। अगर यह सही है तो ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ठेकेदार रोजगार गारंटी योजना बन जाएगी क्योंकि इससे ठेकेदारों को ही फायदा होगा। उन्होंने कहा कि सरकार का यह कहना भी गलत है कि मनरेगा से कृषि से संबंधित सामुदायिक सम्पत्ति नहीं बनी। उन्होंने कहा कि पिछले छह सात साल में जल संचयन तथा वृक्षारोपण आदि के 75 प्रतिशत काम हुए। मनरेगा के तहत 28 प्रतिशत खर्च शौचालय निर्माण तथा।5 प्रतिशत छोटे सीमांत किसानों पर हुआ. क्या यह सामुदायिक संपत्ति नही हैं। लेकिन सपा के रामगोपाल यादव का कहना था कि मनरेगा भ्रष्टाचार की भेंट चढ गया और मजदूर बिना काम किए 70..80 रूपए ले गए जबकि शेष राशि पंचायत के प्रधानों ने ले ली। इतना ही नहीं मनरेगा से कोई स्थायी संपत्ति नहीं हुई। उन्होंने यह भी कहा कि मनरेगा में 60 प्रतिशत राशि मजदूरों की दिहाडी नहीं खर्च की जानी चाहिए लेकिन यहां तो उल्टी गंगा ही बही और स्थायी संपत्ति का भी निर्माण नहीं हुआ तथा कृषि की उपज भी कम हो गयी।
तृणमूल कांग्रेस के सुधेदु शेखर राय बीजू जनता दल के कल्पतरू दास जद.यू. के के.सी. त्यागी और कांग्रेस के भालचंद्र मुंगेकर तथा मोतीलाल वोरा ने मनरेगा को जारी रखने की मांग की और कहा कि सरकार पूंजीपत्तियों के दबाव में आकर इसे कमजोर कर रही है और राज्यों के मनरेगा बजट को कम कर रही है।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें