राज्यसभा में विपक्षी दलों के गतिरोध की वजह से आर्थिक सुधारों को गति देने और वैश्विक स्तर पर निवेशको का भरोसा जीतने के उद्देश्य से बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश.. एफडीआई.. की सीमा को 26 प्रतिशत से बढाकर 49 प्रतिशत करने से जुडा बीमा संशोधन विधेयक सहित कई महत्वपूर्ण विधेयक अटक गये हैं जिससे सरकार के आर्थिक सुधार के प्रयासों को तगडा झटका लगा है।
संसद का शीतकालीन सत्र आज समाप्त हो गया। इस सत्र में लोकसभा में अधिकांश महत्वपूर्ण विधेयक पारित किये गये लेकिन राज्यसभा में विपक्ष के गतिरोध और बहुमत के अभाव में ऐसा नहीं हो सका। राज्यसभा में गतिरोध के चलते सत्र के आखिर के सात दिन में सरकारी व्यय के लिए पूरक अनुदान मांगों को छोडकर कोई कामकाज नहीं हो सका। लोकसभा से पारित होने के बाद बीमा संशोधन और कोयला ब्लाक आवंटन से जुडा विधेयक इस दौरान कार्यसूची में शामिल होता रहा लेकिन गतिरोध की वजह से ये सदन में पेश नहीं किया जा सके।
शीतकालीन सत्र के शुरू होने से पहले ऐसी उम्मीद थी कि मोदी सरकार बीमा संशोधन विधेयक और कोयला ब्लाकों से जुडे विधेयको को आसानी से पारित करा लेगी क्योंकि इसके लिए आमतौर पर सहमति बनती दिख रही थी। बीमा संशोधन विधेयक पर प्रवर समिति ने 49 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की वकालत की है। इसबीच सूत्रों ने कहा कि अब सरकार के पास अध्यादेश का सहारा लेने का विकल्प खुला हुआ है लेकिन इस पर राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत होती है। इसके साथ ही संसद के अगले सत्र के शुरू होने पर छह सप्ताह के भीतर उससे जुडे विधेयक को संसद से पारित भी करने की अनिवार्यता है।सूत्रों के अनुसार सरकार जल्द ही बीमा संशोधन विधेयक कोयला ब्लाक आंवटन से जुडे विधेयक और भूमि अधिग्रहण से संबंधित विधेयक के स्थान पर अध्यादेश ला सकती है।

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