वित्त मंत्री अरूण जेटली ने रिर्जव बैंक को ब्याज दरो में कमी करने का संकेत देते हुये आज कहा कि ऊंची पूंजी लागत की वजह से विनिर्माण गतिविधियों पर विपरीत असर पडा है। श्री जेटली ने यहां .मेक इन इंडिया. पर कार्यशाला का शुभारंभ करते हुये कहा कि एक मात्र पूंजी लागत अधिक होने से हाल के वर्षों में विनिर्माण गतिविधियां सुस्त पडी हैं। उन्होंने कहा कि रिण उठाव सुस्त है इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण मंद हो गया है और विनिर्माण क्षेत्र ऊंची पूंजी लागत सहन करने की स्थिति में नहीं है। महंगी पूंजी से न:न सिर्फ लगात बढती है बल्कि उत्पाद भी महंगे हो जाते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा में कंपनियां पिछड़ जाती हैं। उन्होंने कहा कि इसको लेकर हम सभी चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर गुणवत्ता और कि फायती उत्पाद नहीं होने पर भारत विनिर्माण का प्रमुख हब नहीं बल्कि कारोबारी बन कर रह जायेगा।
इस वर्ष अक्टूबर में विनिर्माण गतिविधियों में 7.6 प्रतिशत की गिरावट र्दज की गयी और इसकी वजह से इसी महीने में औद्योगिक उत्पादन 4.2 प्रतिशत घट गया। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर 5.7 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी. लेकिन दूसरी तिमाही में यह घटकर 5.3 प्रतिशत पर आ गयी। अभी खुदरा और थोक महंगाई रिकार्ड न्यूनतम स्तर पर आ चुकी है और इसके मद्देनजर वित्त मंत्री ने पहले भी रिर्जव बैंक को ब्याज दरो में नरमी लाने के संकेत दिये थे। केन्द्रीय बैंक ने गत दो दिसंबर को चालू वित्त वर्ष की रिण एवं मौदि्रक नीति की पांचवी द्विमासिक समीक्षा में ब्याज दरो को यथावत बनायें रखकर सभी को चाैंका दिया था। अब रिर्जव बैंक फरवरी के पहले सप्ताह में रिण एवं मौदि्रक नीति की समीक्षा करने वाला है और उम्मीद की जा रही है कि उसमें वह ब्याज दरों में नरमी ला सकता है।

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