लोकपाल की नियुक्ति के लिए चयन समिति में विपक्ष के नेता के न होने की स्थिति में लोकसभा के सबसे बडे विपक्षी दल के नेता को शामिल करने के लिए लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन करते हुए एक विधेयक आज लोकसभा में पेश किया गया। कार्मिक एवं लोक शिकायत मंत्री जितेंद्र सिंह द्वारा पेश लोकपाल एवं लोकायुक्त तथा संबंधित कानून संशोधन विधेयक. 2014 में प्रावधान किया गया है कि लोकसभा में किसी को विपक्ष के नेता की मान्यता न होने की स्थिति में सदन में सबसे बडे दल के नेता लोकपाल तथा इस संस्था के अन्य सदस्यों की नियुक्ति संबंधी चयन समिति में रखा जाएगा।
मौजूदा लोकपाल एवं लोकायुक्त कानून. 2013 में प्रावधान है कि चयन समिति में प्रधानमंत्री. लोकसभा अध्यक्ष. विपक्ष के नेता तथा उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित कोई न्यायाधीश तथा राष्ट्रपति द्वारा नामित प्रख्यात विधिवेत्ता होगा।
मौजूदा लोकसभा में किसी भी दल के नेता को विपक्ष के नेता का पद नहीं मिलने के कारण सरकार इस कानून में संशोधन लायी है। मूल कानून में चयन समिति में राष्ट्रपति द्वारा नामित विधिवेत्ता के लिए कार्यकाल का कोई उल्लेख नहीं हैं। संशोधन विधेयक में नामित विधिवेत्ता का कार्यकाल तीन साल तय किया गया है और यह प्रावधान भी किया गया है उन्हें दोबारा नामित नहीं किया जाएगा।

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