लडकियों की शिक्षा की प्रेरणास्रोत बनी नोबल पुरस्कार विजेता पाकिस्तान की मलाला यूसूफजई ने कहा है कि वह जीवनपर्यंत अपने देश के बच्चों की शिक्षा के हक की लडाई लडती रहेंगी और पुरस्कार स्वरूप मिली राशि भी शिक्षा पर ही खर्च करेंगी। नोबल पुरस्कार पाने वाली सबसे क म उम्र की शख्सियत बनी 17 वर्षीय सुश्री मलाला ने ब्रिटेन में एक टेलीविजन चैनल को दिये साक्षात्कार में कहा कि उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य लडकियों की शिक्षा की लडाई लडना है और इस लडाई को आगे बढाने के लिये विपरीत परिस्थतियों में जूझते हुए उन्हें अच्छा .खासा अनुभव भी हो गया है। सुश्री मलाला ने कहा...पाकिस्तान में अभी भी पांच करोड 70लाख बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं।इसके लिये हम बस को मिलकर काम करना होगी।मेरा सपना है कि पाकिस्तान के हर बच्चे को उच्च कोटि की शिक्षा मिले।मैं पुरस्कार से मिली राशि को शिक्षा परियोजनाों पर खर्च करुंगी। इन परियोजनाों में एक देश में उच्च स्तर के स्कूल बनाना भी शामिल है।
बडे .बडे सपने देखने वाली नोबेल पुरस्कार से नवाजी गयी नन्हीं परी ने स्वयं द्वारा स्थापित मलाला फंड का जिक्र करते हुये कहा जब मैंने शिक्षा के लिये काम करना शुरु किया था तब सबसे पहले मैंने स्वात के बाल मजदूरों के उत्थान के काम में हाथ लगाया था।मलाला फंड का उद्देश्य पाकिस्तान के बच्चों को शिक्षा की सुविधा महैया कराना है। एक प्रश्न पर मलाला ने कहा मैंने हमेशा सच बोला है और स्वात के बारे में आज भी कह रही हूं कि तालिबान विद्रोहियेा के कारण लडकियों को स्कूल नहीं जाने दिया जाता है।मैं विदेश जरुर रहती हूं लेकिन मेरा दिल पाकिस्तान में है ।आज से 20साल बाद में अपने देश की प्रधानमंत्री बनूंगी। दुनिया भर में बाल मजदूरी के खिलाफ अलख जगाने वाले .बचपन बचाओ आंदोलन .के प्रणेता भारत के कैलाश सत्यार्थी और मुखर रूप से लड़कियों की शिक्षा की पैरोकार रही मलाला यूसुफजई को 10 दिसंबर को नार्वे की राजधानी ओस्लो के सिटी हॉल में संयुक्त रूप से शांति का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था। नोबेल पुरस्कार के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी भारतीय और पाकिस्तानी को संयुक्त रूप से इस पुरस्कार से नवाजा गया है।

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