कुपोषण की स्थितियों को लेकर एक दिवसीय राज्य स्तरीय सम्मेलन सम्पन्न - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


मंगलवार, 23 दिसंबर 2014

कुपोषण की स्थितियों को लेकर एक दिवसीय राज्य स्तरीय सम्मेलन सम्पन्न

seminar-on-malnutrition-in-lucknow
लखनऊ, 22 दिसम्बर। उत्तर प्रदेश में 0 से 6 आयु वर्ग के सभी बच्चों को कुपोषण की भयावाह स्थितियों से बचाने के लिए सेव द चिल्ड्रेन के सहयोग से उत्तर प्रदेश फोर्सेस द्वारा एक दिवसीय राज्य स्तरीय सम्मेलन  का आयोजन इन्दिरागांधी प्रतिष्ठान गोमती नगर में किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश मे कुपोषण पर कार्य कर रही 50 जनपदों के स्वयं सेवी संगठनों के लगभग 200 प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक श्री अमित घोष द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। 

कार्यशाला का उद््घाटन करने के बाद मिशन निदेशक श्री घेाष ने उत्तर प्रदेश में बाल्यावस्था की देखरेख एवं विकास तथा समेकित बाल विकास सेवाओं की स्थिति पर अध्ययन की रिपोर्ट तथा एडवोकेसी फाॅर बेटर टूमारो का विमोचन करने के बाद अपने सम्बोधन में श्री घोष ने बताया कि अध्ययन बाल विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो बाल विकास के लिए आइने का काम करेगी। इसमें निहित अनुशंसाओं को क्रियान्वित करने का प्रयास किया जायेगा। आगे उन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्रसव सेवाएं बेहतर हुई है तथा मातृ मृत्यु दर में कमी आई है किन्तु समाज के हर तपके के लोगों को मिल कर कार्य करने की जरुरत है। उन्होने कहा कि कुपोषण से निपटने के लिए सरकार दृढ़ संकल्पित है इसका प्रत्यक्ष प्रमाण प्रदेश में पोषण मिशन की प्रभावी शुरुआत है। 

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उत्तर प्रदेश फोर्सेस के राज्य संचालक श्री रामायण यादव ने कहा कि समाज के हर गरीब तपके के लोगो के लिए कार्यक्रम क्रियान्वित किया जा रहा है। समाज में सबको सुलभ संसाधन मुहैया करा कर मातृत्व व नवजात बच्चो को उनका बुनियादी हक मुहैया कराया जायेगा जिससे प्रदेश में कुपोषण जैसी कोई चीज न रह जाये। उन्होने कहा कि स्वंय सहायता समूह के माघ्यम से जहां एक तरफ महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा मिल रही है वही वे आर्थिक रूप से सम्पन्न हो रही है। 

इसी क्रम में निप्सीड के क्षेत्रीय निदेशक डाॅ0 के0सी0 जाॅर्ज ने बताया कि कुपोषण से बचने के लिए देश में समेकित बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की शुरुआत 1975 में की गयी। इसके लिए सेवा उपलब्ध कराने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकत्री एवं सहायिकाओं का चयन किया गया। उन्हे प्रशिक्षण दे कर योग्य बनाया गया किन्तु सेवाओं केा लेने के लिए लोगो में कही ना कही जागरुकता की कमी है जिससे आज की     वर्तमान स्थिति पैदा हुई है। इसके लिए दोनो स्तर पर कार्य करने की जरुरत है। 

सेव द चिल्ड्रेन के राज्य प्रतिनिधि श्री सुरोजीत चटर्जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि सेव द चिल्डेªन बच्चो के स्वास्थ्य एवं विकास के लिए दृृढ़ संकल्पित है। उन्होने कहा कि देश व प्रदेश में कुपोषण एक मुद््दा है इसके लिए हम सबको सरकार के साथ मिल कर काम करने की जरुरत है। श्री चटर्जी ने बताया कि फोर्सेस छोटे बच्चों के साथ कार्य करने वाला एक राष्ट्रीय नेटवर्क है जिसका मुद््दा ही 0- 6 साल के बच्चे है। उत्तर प्रदेश में सेव द चिल्ड्रेन ने फोर्सेस के माध्यम से राज्य व्यापी अभियान चलाने का प्रयास किया जा रहा है जिससे आम जनमानस इसके प्रति जागरुक हो सके।  

सेव द चिल्ड्रेन के प्रतिनिधि श्री सुनील कुमार ने कुछ आंकड़ों व तथ्यों पर चर्चा करते हुए कहा कि कुपोषण का चक्र्र बच्चे के जन्म से शुरू होता है और ध्यान न देने पर परिवार में कुपोषण की स्थिति निरंतर चलती रहती है। उन्होंने बताया कि आंकड़ों पर नज़र डालें तो हम पायेंगे कि देश में प्रत्येक दूसरी महिला अनीमिया की शिकार होती है। साथ ही कुपोषण को दूर करने के लिए उन्होंने बताया कि यदि हम आई0 वाई0 सी0 एफ0 के तहत बताई गई मुख्य 3 बातों पर ध्यान दे दे ंतो कुपोषण को काफी हद तक दूर करने में मदद मिल सकती है। ये हैं-बच्चे के जन्म के 1 घंटे के अंदर उसे मां का दूध पिलाया जाये, 6 माह तक केवल मां का दूध ही पिलाया जाये तथा 6 माह के बाद मां के दूध के साथ समय पर पौष्टिक आहार दिया जाये।

इसी क्रम मे नेशनल फोर्सेस की श्रीमती सावित्री रे ने फोर्सेस के बारे में विस्तार से बताया उन्होने कहा कि  6 वर्ष से कम आयु की अवस्था में एक बच्चे में 85 प्रतिशत दिमाग का विकास होता है ऐसे में इस आयु समूह पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। अंत में सबके प्रति आभार व्यक्त करते हुए फोर्सेस के साथी रमेश भैया ने बताया कि पूरे प्रदेश में बच्चों के मुद््दो पर कार्य करने वाली अन्य संस्थाओं को जोड़ कर राज्यव्यापी जनभागीदारी के माध्यम से कुपोषण को दूर करने की मुहिम चलायी जायेगी, जिससे कि राज्य में कुपोषित बच्चों की संख्या पर अंकुश लगाया जा सके।

कोई टिप्पणी नहीं: