सामाजिक समरसता हेतु लोक अदालत बेहतर उपाय: डी.जे. श्री सिंह
- लोक अदालत विकास में सहयोगी: प्रभारी कलेक्टर श्री सिंह
- अपराधों की रोकथाम में लोक अदालत महत्वपूर्ण: एस.पी. श्री शर्मा
- लोक अदालत विवाद का स्थायी समाधान है: श्री रावत
टीकमगढ़, 13 दिसंबर 2014। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अभिनव प्रयास की कड़ी में प्रदेश के अन्य जिलों की तरह टीकमगढ़ जिले में आज नेशनल एवं मेगा लोक अदालत का आयोजन किया गया। आयोजन के शुभारंभ सत्र में जिला न्यायालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं जिला न्यायाधीश श्री प्रद्युम्न सिंह, एस.पी. श्री अनुराग शर्मा, प्रभारी कलेक्टर एवं एडीएम श्री शिवपाल सिंह तथा जिला अभिभाषक संघ के अध्यक्ष श्री यज्ञदीप रावत ने मां सरस्वती एवं महात्मा गांधी के चित्रों पर माल्यार्पण किया तथा दीप प्रज्जवलित किया।
सामाजिक समरसता हेतु लोक अदालत बेहतर उपाय: डी.जे. श्री सिंह
जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री प्रद्युम्न सिंह ने कहा कि सामाजिक समरसता हेतु लोक अदालत बेहतर उपाय है। उन्होंने कहा कि इससे दोनों पक्षों में विवाद समाप्त हो जाता है तथा आपसी वैमनस्य भी खत्म हो जाता है। श्री सिंह ने कहा कि देश में मेगा लोक अदालत का आयोजन मध्य प्रदेश से ही प्रारम्भ हुआ है और जिसके परिणाम भी सुखद प्राप्त हुए हैं। इसी का अनुसरण करते हुए वृहद पैमाने पर राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन एक सामाजिक यज्ञ है, इसलिये अधिक से अधिक जनता की समस्याओं को आपसी सौहाद्र्रपूर्ण तरीके से निपटाये जाने के लिये अपनी महती भूमिका का निर्वहन किया जाये। इस सामाजिक हवन में हमारे बेहतर कार्य से ही राष्ट्रीय लोक अदालत में ज्यादा से ज्यादा प्रकरणों का निपटारा किया जा सकेगा, यही हमारी सबसे बड़ी सामाजिक यज्ञ में आहुती रहेगी। डी.जे. श्री सिंह ने कहा कि छोटे न्यायालयों में यदि पक्षकार को लाभ भी मिल जाये तो भी वह बहुत कुछ खो देता है। किन्तु लोक अदालत न्याय पाने का वह माध्यम है जिससे सभी पक्षों का विवाद मन से खत्म हो जाता है रंजिश दूर हो जाती है । आपने कहा कि रंजिश वह जहर है जो सब जहरो से बड़ा है जो खुद के साथ आगामी पीढ़ी को भी इस जहर में डुबो देता है । आपने कहा कि छोटे-मोटे विवाद समझोते से हल हो जाये तो समाज का सुधार होगा जो परिवार अपने को विवाद से बचा लेते है वे ही समृद्व होते है ।
लोक अदालत विकास में सहयोगी: प्रभारी कलेक्टर श्री सिंह
प्रभारी कलेक्टर एवं एडीएम श्री शिवपाल सिंह ने कहा कि लोक अदालत समाज के विकास में सहयोगी है। उन्होंने कहा विवाद समाप्त होने से लोग अपनी ऊर्जा को विकास में लगाते हैं जिससे समाज में आशातीत-प्रगति होती है। श्री सिंह ने कहा कि विवाद के सही एवं अंतिम निराकरण के रूप में लोक अदालत बेहतर उपाय है। उन्होंने कहा विवाद किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। आपने कहा जिस प्रकार छोटी बीमारी के लिए बड़ी चिकित्सा उपयोगी नहीं है उसी प्रकार छोटे-छोटे प्रकरणों को आपसी समझौते से निराकृत कर लेना बेहतर उपाय है। उन्होंने कहा इससे समाज को विकास के लिए और अधिक शक्ति तथा अवसर मिलेंगे।
अपराधों की रोकथाम में लोक अदालत महत्वपूर्ण: एस.पी. श्री शर्मा
एस.पी. श्री शर्मा ने कहा कि अपराधों की रोकथाम में लोक अदालत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि लोक अदालत के माध्यम से विवाद का स्थायी समाधान हो जाता है जिससे आगे अपराध नहीं बढ़ते। श्री शर्मा ने कहा कि मेरा मानना है कि लोक अदालत के फैसले से सभी पक्ष जीत जाते है और सभी पक्षों को संतुष्टि का सुख मिलता है। उन्होंने कहा कि लोक अदालत की अवधारणा हमारे समाज की पंच परमेश्वर की भावना को साकार करती है । लोक अदालत न्याय प्रक्रिया में विलम्ब को दूर करने टूल साबित हुई है। उन्होंने कहा कि लोक अदालत में मामले सुलझाना एक दूसरे के प्रति सम्मान का भाव प्रगट करता है ।
लोक अदालत विवाद का स्थायी समाधान है: श्री रावत
जिला अभिभाषक संघ के अध्यक्ष श्री यज्ञदीप रावत ने कहा कि लोक अदालत में विवाद का स्थायी समाधान हो जाने के कारण दोनो पक्षों में कटुता समाप्त हो जाती है। उन्होंने कहा इससे दोनों पक्षों के बीच रिश्ते पहले की तरह सामान्य हो जाते हैं जिससे समाज में सुख शांति आती है। श्री रावत ने कहा कि छोटे-छोटे विवादों में न सिर्फ न्यायालय एवं पक्षकारों का समय एवं धन व्यर्थ होता है बल्कि राष्ट्र की बहुमूल्य ऊर्जा भी नष्ट होती है। उन्हांेने कहा कि लोक अदालत के माध्यम से इस ऊर्जा को बचाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि आज राष्ट्रीय लोक अदालत में मोटर दुर्घटना दावा प्रकरणों, व्यवहारवाद, भरण-पोषण, चेक अनादरण, राजस्व प्रकरण, श्रम प्रकरणों एवं उपभोक्ता फोरम के प्रकरणों का निराकरण किया गया। इसके अतिरिक्त राजस्व प्रकरण, भू-अर्जन प्रकरण तथा सहकारी बैंक के प्रकरणों का निराकरण परस्पर उभयपक्षों की सहमति से किया गया । इसी के साथ प्रीलिटिगेशन प्रकरणों में मुकदमा पूर्व प्रकरणों का निराकरण समझौता द्वारा किया गया। इसी प्रकार नेशनल लोक अदालत में आपसी समझौते से निराकरण करने पर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा-135, 138 एवं 126 के अंतर्गत न्यायालय में लंबित विद्युत प्रकरणों में निम्नदाब की विभिन्न श्रेणियों के उपभोक्ताओं के सिविल दायित्व की राशि में 50 प्रतिशत की छूट दी गई। लोक अदालत में प्रत्याहरण से संबंधित ऐसे मामले जो 31 दिसम्बर या उसके पूर्व समय से लंबित है, उन पर विचार किया गया। संपŸिाकर के ऐसे प्रकरण जिनमें कर तथा अधिभार की कर राशि 50 हजार तक का बकाया होने पर मात्र अधिभार में 100 प्रतिशत की छूट प्रदान की गई । संपŸिाकर के ऐसे प्रकरण जिनमें कर तथा अधिभार की राशि 50 हजार रूपये से अधिक तथा एक लाख रूपये से कम पर मात्र अधिभार में 50 प्रतिशत की छूट दी गई। ऐसे प्रकरण जिनमे कर तथा अधिभार की राशि एक लाख से अधिक बकाया होने पर मात्र अधिभार में 25 प्रतिशत की छूट दी गई। छूट उपरान्त राशि अधिकतम 2 किश्तों में जमा कराई गई, जिसमें 50 प्रतिशत राशि आज जमा कराई गई। लोक अदालत का संचालन तृतीय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-एक एवं सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री एस.के. गुप्ता ने किया। इस अवसर पर जिला न्यायालय में पदस्थ सभी न्यायाधीशगढ, संबंधित विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी तथा अभिभाषक एवं पक्षकार बड़ी संख्या में उपस्थित रहेे। कार्यक्रम के समापन अवसर पर श्री गुप्ता ने सभी का आभार व्यक्त किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें