अपनी जान जोखिम में डालकर इबोला पीडि़तों का इलाज करने वाले डॉक्टरों और नर्सो को 'पर्सन ऑफ द इयर' चुनने की वजह बताते हुए पत्रिका ने कहा है कि जब इस विश्वव्यापी बीमारी से लडऩे के लिए सरकारें तक तैयार नहीं थीं, उस वक्त सीमित संसाधनों के बावजूद इन चिकित्सकों और नर्सो ने पहल की इसलिये प्रतिष्ठित अमेरिकी पत्रिका टाइम ने इबोला वायरस से पीड़ित लोगों का इलाज करने वाले डॉक्टरों और नर्सों को 2014 का 'पर्सन ऑफ द इयर' चुना है।
टाइम ने कहा कि पूरी दुनिया में कहर मचा देने वाली इस बीमारी से लडऩे के लिए सरकारें तैयार नहीं थीं। डब्लयूएचओ भी टालमटोल कर रहा था। लेकिन दुनियाभर के डॉक्टरों, नर्सो ने इबोला के खिलाफ लड़ाई की मुहिम को आगे बढ़ाया। गौरतलब है कि फाइनल की दौड़ में इबोला का इलाज करने वाले डॉक्टरों और नर्सो के अलावा पॉप गायिका टेलर स्विफ्ट, रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन, फगरुसन के प्रदर्शनकारी, एप्पल के सीइओ टिम कुक, चीनी कंपनी अलीबाबा के संस्थापक जैक मा, एनएफएल आयुक्त रॉजर गूडेल, कुर्दिश नेता मसूद बारजानी शामिल थे।
मैग्जीन द्वारा सालाना खिताब के लिए चुने गए आठ लोगों की सूची में मोदी अपनी जगह नहीं बना सके और इस रेस से बाहर हो गए। टाइम ने इस बार इबोला फाइटर्स के सम्मान में पांच कवर जारी किए हैं, जिसमें दो डॉक्टर, एक एंबुलेंस ड्राइवर, एक नर्स और एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता की तस्वीरें प्रकाशित हैं। दो डॉक्टरों में से एक इबोला से बाहर आए अमेरिकी डॉ. केंट ब्रैंटली हैं। खिताब देने के लिए मैगजीन ने जो नजरिया अपनाया, वह था कि एक शख्स या कई लोग जो सबसे ज्यादा खबरों में रहे या लोगों की जिंदगी को अच्छे या बुरे कारणों से प्रभावित किया।

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