सहारा की डायरी में अमित शाह का नाम. तृणमूल ने मांगा मोदी से जबाव - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 1 दिसंबर 2014

सहारा की डायरी में अमित शाह का नाम. तृणमूल ने मांगा मोदी से जबाव

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तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने सहारा इंडिया की डायरी में  भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह का नाम कथित रूप से छपने का मुद्दा आज सदन में उठाते हुये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब की मांग की और बहिर्गमन किया। लोकसभा में प्रश्नकाल शुरू होते ही तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने यह मुद्दा उठाया और हाथ में सहारा की डायरी लेकर नारे लगाते हुए सदन के बीचों बीच आ गए लेकिन अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा अनसुना किये जाने पर वे बहिर्गमन कर गये। 

इसी तरह से राज्यसभा में भी शून्यकाल के दौरान तृणमूल सदस्यों ने इस मुद्दे को उठाया लेकिन उप सभापति पी जे कुरियन के समझाने पर उस समय शांत हो गये लेकिन प्रश्नकाल शुरू होने पर फिर से इस मुद्दे को उठाया। तृणमूल के डेरेक ओ ब्राइन ने सहारा लिखी लाल डायरी लहराते हुये कहा कि इसमें श्री शाह का नाम है और प्रश्नकाल स्थगित कर इस पर चर्चा करायी जानी चाहिए। इस संबंध में वह सुबह दो नोटिस दे चुके हैं। श्री ब्राइन के श्री शाह का नाम लेते ही कुछ मंत्रियों सहित भारतीय जनता पार्टी के सदस्य भी जोरजोर से बोलने लगे और भारी शोर शराबे में कुछ भी नहीं सुना जा सका। 

सभापित हामिद अंसारी ने कहा कि जो व्यक्ति इस सदन का सदस्य नहीं है उनका नाम नहीं लिया जा सकता है।  उन्होंने श्री ब्राइन से कहा कि आपने नोटिस दिया है उस पर नियमानुसार विचार किया जायेगा। इस पर तृणमूल कांग्रेस के श्री सुखेन्दु शेखर राय भी लाल डायरी लहारते हुये कुछ कहने लगे लेकिन शोर शराबे में नहीं सुना जा सका और तृणमूल सदस्य बहिर्गमन कर गये। इससे पहले लोकसभा में श्रीमती महाजन ने तृणमूल सदस्यों को अपनी सीट पर जाने को कहा लेकिन सदस्य हाथ में सहारा की लाल डायरी लेकर .प्रधानमंत्री जवाब दों. जैसे नारे लगाते हुए अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए। इससे पहले अध्यक्ष ने पार्टी के नेता सुदीप बंधोपाध्याय से कहा कि वह प्रश्न काल रद्द करने के उनके नोटिस को स्वीकार नहीं कर सकती। 

अध्यक्ष के आग्रह को सदस्यों ने अनसुना कर दिया तो श्रीमती महाजन ने  यह कहते हुए प्रश्नकाल जारी रखने को कहा कि इन्होंने तय कर लिया है कि नियमों का पालन नहीं करेंगे और शोर मचाते रहेंगे। तृणमूल सदस्य प्रश्नकाल के दौरान कुछ देर तक नारे लगाते रहे और जब अध्यक्ष ने उनके विरोध पर ध्यान नहीं दिया तो उन्होंने सदन से बहिर्गमन कर दिया। 

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