जल संसाधन और नदी विकास मंत्री उमा भारती ने गंगा की स्वच्छता को केंद्र सरकार की प्राथमिकता बताते हुए आज कहा कि इसके लिए विधेयक लाने पर विचार किया जा रहा है। सुश्री भारती ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में यहां आयोजित राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की बैठक में हिस्सा लेने जाने से पहले संवाददाताओं से कहा कि गंगा की स्वच्छता के लिए विधेयक प्रस्तावित है और इसके लिए एक समिति का भी गठन कर दिया गया है। उनका कहना था कि इस संबंध में राज्यों से भी परामर्श लिया जा रहा है और विधेयक से जुडे सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार विमर्श चल रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गंगा को अब तक सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही महत्ता दी जाती रही है लेकिन अब इसका सामाजिक और आर्थिक महत्व भी बढ गया है। करोडों लोगों को गंगा की वजह से रोजगार मिल रहा है और नए संदर्भों में गंगा की इस उपयोगिता का कोई भी राज्य विरोध नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण का गठन 2009 में किया गया था। प्राधिकरण को गंगा सफाई की योजना बनाने, इसका वित्ता पोषण करने और स्वच्छता की निगरानी करने का दायित्व सौंपा गया था। प्राधिकरण की इन वर्षाें में पिछली सरकारों ने तीन बैठकें की थी लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में इसकी आज दूसरी बैठक हो रही है और इससे साबित होता है कि सरकार गंगा की स्वच्छता के लिए अत्यधिक गंभीर है। उन्होंने यह भी बताया कि बजट में 2700 करोड रुपए गंगा की सफाई के लिए मिले थे लेकिन इधरन उनके मंत्रालय की कार्ययोजनाओं को देखते हुए इस काम के लिए 700 करोड रुपए और दिए जा रहे हैं।

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