रक्षित ने जुबां खोली तो कई होंगे बेनकाब, मददगारों मे मचा हड़कंप
देहरादून,23 मार्च (राजेन्द्र जोषी)। सिडकुल के जीएम रहे रक्षित जैन को पुलिस ने आठ साल बाद गिरफ्तार किया है। माना जा रहा है कि अगर पूछताछ के दौरान रक्षित ने अपनी जुबान खोल दी तो कई लोगों के चेहरों पर पड़ा शराफत का नकाब भी हट जाएगी। इसकी गिरफ्तारी की सूचना से उसके मददगार रहे रसूखदारों में हड़कंप मचा है। आरोप है कि जैन ने पहले तो फर्जी दस्तावेजों के सहारे सिडकुल में महाप्रबंधक का पद हासिल किया और फिर करोड़ों का घोटाला कर डाला। बताया जा रहा है कि उस वक्त जैन को बड़े लोगों की शह मिली हुई थी। इसी वजह से वह सिडकुल में मनमानी से काम करता रहा। बताया जा रहा है कि ऊपरी संरक्षण की वजह से उस वक्त सिडकुल में उसकी तूती बोलती थी। एफआईआर दर्ज होने के बाद रक्षित 2007 में अचानक फरार हो गया। बताया जा रहा है कि कुछ खास अफसरों की वजह से इसकी गिरफ्तारी की दिशा में कभी भी कोई ठोस पहल नहीं हुई। नतीजा यह रहा कि वह आठ सालों तक मजे से नौकरी करता रहा। बताया जा रहा कि फरार अभियुक्तों की गिरफ्तारी को चल रहे अभियान के तहत रक्षित अनायास ही हाथ आ गया। उसकी पैरोकारी करने वालों को भी अंदाजा नहीं होगा कि वह आठ साल बाद कानून के शिकंजे में आ जाएगा। बताया जा रहा है कि उसके मददगार रहे लोगों में हड़कंप है कि अगर उसने अपनी जुबां खोल दी तो...।
कुछ यूं चल रहा अवैध खनन का कारोबार, रात से गहरे सन्नाटे में जेसीबी मशीनों से चीरा जा रहा सूबे की नदियों का सीना
- सूबे के चार जनपदों में फैल गया यह काला कारोबार
- रात में ग्यारह से सुबह पांच बजे तक हो रहा खनन
- पुलिस और खनन महकमे ने बांधी आंखों पर पट्टी
देहरादून,23 मार्च । उत्तराखंड में इस समय अवैध खनन का हल्ला मचा हुआ है। हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, देहरादून, तथा नैनीताल जनपदों में मुख्यतः अवैध खनन की जद में पूरी तरह से घिरे हुए हैं। न्यूज वेट इस काले कारोबार की गहनता से पड़ताल की। इस पर पड़ताल पर एक रिपोर्ट। हरिद्वार जनपद का गंगा नदी क्षेत्र, देहरादून जनपद के विकास नगर का यमुना नदी क्षेत्र, नैतीताल जनपद के गौला नदी कोसी नदी, क्षेत्र ऊधमसिंह नगर में कोसी नदी क्षेत्र में सुनियोजित ढंग से रात को ग्यारह बजे से पांच बजे तक जेसीबी से जमकर खनन किया जाता है। अवैध खनन का लगभग पूरा का पूरा खनिज प्रदेश कि सीमा से बहार पहुँचा दिया जाता है या फिर प्रदेश कि सीमा के अंदर भी भी बड़े-बड़े बिल्डर्स की कंस्ट्रक्शन योजनाओं में खनिज रात के अंधेरे में ही पहुंचा दिया जाता है। ये सारा गोरखधंधा रात के अंधेरे में ही किया जाता है। ताकि आम जनता को इसकी भनक न लगे और अगर लग भी जाए तो ज्यादा विरोध का सामना न करना पड़े। वैस भी रात के अंधेरे में आम जनता आर्गनाइज नहीं हो पाती है। फिर अंधेरे में किसी अप्रिय घटना के डर से विरोध करने में सफल नहीं हो पाते हैं। दिन के उजाले में तो आम जनता खनन माफिया के गुर्गों से कई बार भिड़ चुकी है। लेकिव अब रात में विरोध करना मुश्किल हो रहा है और इसका बखूबी और बखौफ लाभ उठाते है। खनन करने वालों के साथ हथियारबंद लोगों की आवाजाही भी आम लोगों में दहशत पैदा करने की नीयत के साथ ही की जा रही है। बताया जा रहा है कि कई निजी अहलहाधारकों को खनन करने वालों ने मासिक वेतन पर भी रखा है। इन लोगों का काम अपने लाइसेंसी हथियार के साथ खनन स्थल पर मौजूद रहना भर है। दूसरी तरफ एक बात तो पूरी तरह से साफ है कि बगैर सरकारी मशीनरी से मिलीभगत के अवैध खनन संभव ही नहीं है। पुलिस हर मुख्य चैराहे पर खड़ी रहती है। वैसे भी किसी क्षेत्र में रोज एक ही जगह पर कोई भी अवैध कारोबार हो रहा हो और इलाके के थानाध्यक्ष को पता ही ना हो ये बात गले नहीं उतरती। हरिद्वार जिले में कुछ सिपाहियों की संलिप्तता उजागर होने के बाद उन्हें निलंबित तक किया गया है। यह तो महज एक बानगी है। अगर निष्पछता के साथ जांच की जाए तो साफ होगा कि किस हद तक पुलिस इन खनन कारोबारियों से मिली हुई है। इसी प्रकार खनन विभाग का दायित्व जिले मैं खनन गतिविधियों पर नियंत्रण का है। अब अगर जिले में धड़ल्ले से अवैध खनन हो रहा हो और राजस्व का नुकसान हो रहा हो और खनन विभाग को पता ही न चल पाए ये बात भी हजम नहीं होती है। इसी प्रकार प्रदेश के राजनेताओ जैसे विधायकों को ये पता ही न हो कि उनके विधान सभा क्षेत्र में अवैध खनन रात के सन्नाटे में हो रहा है या नहीं इस बारे में जानकारी ही ना हो इस पर यकीन करना जरा मुश्किल तो होगा ही। ये बात तो साबित करती है कि बिना लोकल राजनेता, खनन अधिकारी और थानेदार के सहयोग के अवैध खनन संभव ही नहीं है। चूंकि प्रदेश में चैतरफा अवैध खनन का कारोबार धडल्ले से बेखौफ चल रहा है इससे तो ये प्रतीत होता है कि खनन विभाग के उच्च अधिकारी, मुख्यमंत्री कार्यालय के राजनेता और पुलिस विभाग के उच्चाधिकारी की भूमिका इसमें संदिग्ध दिखाई देती है। वैसे सचिवालय में तैनात एक अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी के साथ खनन विभाग के तीन वरिष्ठ अधिकारियों के नाम खासी चर्चा का विषय बने हुए हैं। ये सालों से यहीं जमे हैं। एक को तो आदेश के बाद भी उत्तर प्रदेश के लिए रिलीव नहीं किया जा रहा है। शायद यही वजह है कि इस रोक लगाने वाले लोग भी निजी स्वार्थों की पूर्ति में लग गए हैं और अवैध खनन का यह धंधा सूबे में तेजी से फल-फूल रहा है।
सुरेन्द्र की पत्नी को टिकट!
देहरादून, 23 मार्च । भगवानपुर सीट पर कांगे्रस के पत्ते नहीं खुल सके थे। जबकि भरोसेमंद सूत्रों की माने तो बसपा की ओर से प्रत्याशी खड़ा न किए जाने की घोषणा और सुरेन्द्र राकेश के निधन के बाद उनके परिवार के प्रति उपजी सहानुभूमि को देखते हुए दिवंगत सुरेन्द्र राकेश की पत्नी ममता राकेश को कांगे्रस का प्रत्याशी बनाया जा सकता है। हालांकि अंतिम फैसला आलाकमान पर छोड़ दिया गया है। जबकि प्रदेश संगठन नेतृत्व की ओर से जो संकेत मिले, उससे साफ हो रहा था कि आलाकमान में भी ममता राकेश के नाम को लेकर राय बन चुकी थी। यहां बस फैसला आने का प्रदेश प्रभारी से मिले मैसेज पर आलाकमान का मंथन देर शाम तक जारी हो सकती है नाम की घोषणा इंतजार किया जा रहा था। सुरेन्द्र राकेश के निधन से खाली हुई भगवानपुर सीट पर उपचुनाव के लिए 11 अप्रैल का दिन तय हो चुका है। जबकि कल 24 अप्रैल को चुनाव में प्रत्याशियों का नामांकन होना है। ऐसे मंे जबकि न तो भाजपा और न ही कांगे्रस की ओर से प्रत्याशियों की घोषणा की जा सकी। पहले आप पहले आप की तर्ज पर मानों भाजपा कांगे्रस का और कांग्रेस भाजपा की ओर टकटकी लगाए हुए हो। प्रत्याशी उतारने या न उतारने को लेकर आज सुबह से दोपहर तक भगवानपुर में भाजपाईयों का मंथन शिविर लंबा चला। दोपहर तक भाजपा की स्थिति भी स्पष्ट नहीं हो सकी थी। जबकि उक्रांद की ओर से युवा प्रत्याशी मनोज कुमार पर दांव खेला गया है। अंत तक संभावना यही बन रही थी कि भाजपा संभतया कांगे्रस को वाकओवर दे सकती है। कमोबेश कांग्रेस में दोपहर तक इस सीट के लिए प्रत्याशी का नाम सामने नहीं आ सका था। सूत्रों की माने जिस तरह मुख्यमंत्री हरीश रावत सप्ताह पहले ही साफ कर चुके थे, कि आलाकमान ही इस बारे में निर्णय लेगा। उसी अनुरूप आज भी प्रदेश संगठन नेतृत्व ने आलाकमान के इशारे का इंतजार की बात स्वीकारी। जबकि सूत्रों की माने तो कांगे्रस एक तीर से दो निशाने साध सकती है। हालांकि परिवार में टिकट किसे का सवाल नहीं सुलझ सका है। सुरेन्द्र राकेश की पत्नी ममता राकेश और भाई सुबोध राकेश में ही किसी को टिकट मिलना तो शुरू में ही तय माना जा रहा था। यहां कांगे्रस एक तीर से दो निशाने साधने की नीति अपना सकती है, ममता राकेश को प्रत्याशी बनाकर महिला हितैषी की झलक दिखाई जा सकती है। वहीं दिवंगत परिवार को लेकर उठी सहानुभूति और बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाई जा सकेगी।
हज 2015 कुर्रा अन्दाजी कार्यक्रम का बटन दबाकर मुख्यमंत्री ने किया शुभारंभ
- अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं शुरू: हरीष रावत
देहरादून, 23 मार्च। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोमवार को सुभाष रोड़ स्थित वैडिंग प्वांइट में हज 2015 कुर्रा अन्दाजी कार्यक्रम का बटन दबाकर शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री श्री रावत ने हज पर जाने वाले सभी लोगो को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व विदेश मंत्री से भेंट कर राज्य का हज कोटा बढ़ाने का अनुरोध करेंगे। मुख्यमंत्री श्री रावत ने हज पर जाने वाले लोगांे से कहा कि वे देश व अपने प्रदेश की सुख-समृद्धि व आम आदमी की बेहतरी के लिए दुआ जरूर मांगे। समाज के कमजोर वर्गों का उत्थान करना किसी भी सरकार की पहली जिम्मेदारी है। हमारी सरकार भी अल्पसंख्यकों के सभी पिछडे़ कमजोर वर्गों के कल्याण एवं उत्थान के लिए वचनबद्ध है। राज्य सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं शुरू की गई है। हज पर जाने वालों को और अधिक सुविधाएं मिले, इसके लिए सरकार प्रयासरत है। कब्रिस्तान की सुरक्षा दीवार कार्य तेजी से किया जा रहा है। राज्य सरकार ने ऐसे मदरसे जो एस.पी.क्यू.ई.एम. योजना के अन्तर्गत नही आ पा रहे थे, के लिए 5 करोड़ रुपये की धनराशि की व्यवस्था अलग से की है। सरकार हुनर के लिए भी कार्यक्रम को अभियान के तौर पर शुरू कर रही है, ताकि हुनर को संवारा जा सके। मेधावी छात्र-छात्राओं के लिए भी छात्रवृत्ति योजना शुरू की गई है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विकास निगम के माध्यम से आजीविका अवसर प्रोत्साहन योजना, ’’रहबर योजना’’, ’’स्वरोजगार योजना’’, कौशल वृद्वि हेतु ’’प्रशिक्षण योजना’’ आदि संचालित की जा रही है। इन योजनाओं के अन्तर्गत रियायती दरों पर ऋण उपलब्ध कराते हुए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अल्पसंख्यक कल्याण तथा वक्फ विकास निगम द्वारा संचालित ’’स्वतःरोजगार योजना’’ में प्रत्येक वर्ष 1.50 करोड रुपये की धनराशि उपलब्ध करायी जा रही थी, जिसे बढ़ाकर 10 करोड रूपये करने का निर्णय लिया गया है। वित्तीय वर्ष 2014-15 में योजना हेतु कुल 4 करोड रुपये की धनराशि उपलब्ध करायी गयी है। आई.ए.एस, पी.सी.एस, आई.आई.टी, आई.आई.एम, एन.आई.टी आदि की प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षाओं में अल्पसंख्यक वर्ग के अभ्यर्थियों को प्रोत्साहित किये जाने एवं वित्तीय सहायता उपलब्ध कराये जाने हेतु ’’मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक प्रोत्साहन योजना’’ तैयार की गई है। इस अवसर पर सभा सचिव फुरकान अहमद, अध्यक्ष आवास विकास परिषद सरवत करीम अंसारी, अध्यक्ष राज्य हज समिति हाजी राव शेर मोहम्मद, अध्यक्ष वक्फ बोर्ड राव काले खां, मुख्यमंत्री के विशेषकार्याधिकारी सैययद मो. कासिम, मीडिया समन्वयक राजीव जैन, जनसंपर्क समन्वयक जसबीर रावत आदि उपस्थित थे।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें