केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि भारत ने प्रशासनिक एवं विधायी सुधार की शुरूआत की है और अब वह आधुनिक एवं अनुकूल कर प्रणली अपनाने के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। जेटली ने पीटर्सन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनोमिक्स को संबोधित करते हुये कहा, ऐसी आधुनिक कर प्रणाली, जो लोगों के लिए अनुकूल और कारोबार के लिए लिए सुगम हो, ही आर्थिक वृद्धि को दोहरे अंक में पहुंचाने के लक्ष्य को हासिल करने की कुंजी होगी।
वित्त मंत्री ने आधुनिक कर प्रणाली पर अपनी दृष्टि पेश करते हुए कहा, कर नीतियां एवं प्रशासन अनुपालन को प्रोत्साहित करना चाहिये। उनका प्रशासन उचित रूप से, पारदर्शिता और न्यूनतम स्वविवेक के साथ, करदाताओं के उत्पीड़न के बगैर होना चाहिए, लेकिन साथ ही यह सुनिश्चित हो कि कर चोरी से सख्ती से निबटा जाएगा।
जेटली ने कहा कर का दायरा बड़ा होना चाहिए ताकि हर नागरिक को लगे कि वह सरकार का हिस्सा है। लेकिन दरें कम होनी चाहिए। वित्त मंत्री ने कहा कि इन उददेश्यों को प्राप्त करने के लिए भारत को अप्रत्यक्ष कर, प्रत्यक्ष कर और कर प्रशासन के लिए 21वीं सदी की प्रणाली की जरूरत है। जेटली ने भरोसा जताया कि संसद अगले तीन हफ्तों में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लिए आवश्यक संवैधानिक संशोधन विधेयक पारित कर देगा। उन्होंने कहा जीएसटी आधुनिक कर प्रणाली है जो उपभोग आधारित मूल्यवर्धित कर है और ऐसा कर है जिसमें विभिन्न तरह के करों से बचा जा सकेगा। इससे कर का व्यापक आधार तैयार होगा और आने वाले दिनों में राजस्व की स्थिति और कर-सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात मजबूत होगा।
जीएसटी से सिर्फ पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार भी घटेगा क्योंकि इससे दस्तावेजी प्रक्रिया शुरू होगी। उन्होंने कहा हमने केंद्र के स्तर पर इसे अगले तीन सप्ताह में संसद में पारित कराने का लक्ष्य रखा है जिसके बाद यह राज्यों के पास जाएगा। उन्होंने कहा हमने पास जीएसटी परिषद है जिसमें केंद्र और सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व है। यह बेहद लोकतांत्रिक संचालन और मतदान प्रक्रिया है। जीएसटी परिषद कई ऐसे फैसले करेगी जो राजस्व निरपेक्ष दर से जुड़ा रहा है। उन्होंने कहा हम दर को प्रतिस्पर्धी अंतरराष्ट्रीय स्तर के करीब रखने और छूट कम करने का लक्ष्य रखेंगे।
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