मंच साझा करना, विचारधारा स्वीकारना नहीं : अजीम प्रेमजी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


सोमवार, 6 अप्रैल 2015

मंच साझा करना, विचारधारा स्वीकारना नहीं : अजीम प्रेमजी

attending-rss-event-is-not-an-endorsement-of-its-views
विप्रो प्रमुख अजीम प्रेमजी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मंच को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ साझा किया, लेकिन साथ ही स्पष्ट किया कि किसी के मंच को साझा करने का मतलब उसकी विचारधारा को स्वीकारना नहीं है। प्रेमजी यहां संघ से जुड़े राष्ट्रीय सेवा भारती के शुरू हुए ‘राष्ट्रीय सेवा संगम’ नामक तीन दिवसीय सम्मेलन में हिस्सा लेने आए थे। संगम में अपने संबोधन में उन्होंने कहा, भागवतजी ने जब मुझे यहां आने का निमंत्रण दिया तो कई लोगों ने आशंका जताई कि यहां मेरा आना संघ की विचारधारा स्वीकार करना माना जाएगा, लेकिन मैंने यह राय नहीं मानी। मैं राजनीतिक व्यक्ति नहीं हूं। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि किसी का मंच साझा करना उसकी विचारधारा को पूर्णत: स्वीकार करना नहीं है। उन्होंने कहा कि वह यहां आकर खुश हैं। प्रेमजी ने कहा कि संघ के समाज सेवी संगठनों ने महान कार्य किए हैं और वह उसका सम्मान करते हैं।

अपने संबोधन में उन्होंने भ्रष्टाचार से हर स्तर पर लड़ने का आह्वान किया और महिलाओं, बच्चों तथा वंचित वर्गों के लिए उत्थान के लिए काम करने का आह्वान किया। उन्होंने गरीबी हटाने के लिए भी काम करने को कहा। विप्रो प्रमुख ने देश निर्माण के लिए शिक्षा की जरूरत बताई और शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने को कहा। उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि शिक्षा पर जो ध्यान दिया जाना चाहिए, उतना नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अच्छी शिक्षा विकास क्षमता बढ़ाती है और समाज को बेहतर बनाती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा लाभ कमाने के लिए नहीं होनी चाहिए, खासकर प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा। उन्होंने भारत में शिक्षा का बजट बहुत कम होने पर भी निराशा जताई। प्रेमजी के अलावा संघ के इस मंच को जीएमआर समूह के जीएम राव और एस्सेल ग्रुप के प्रमुख सुभाष चन्द्रा ने भी साझा किया।

कोई टिप्पणी नहीं: