विशेष : मुझे पागल कहो या दीवाना । भारत माँ का लाल हूँ, भारतीय संस्कृति मुझे बचाना ! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 13 अप्रैल 2015

विशेष : मुझे पागल कहो या दीवाना । भारत माँ का लाल हूँ, भारतीय संस्कृति मुझे बचाना !

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मैंने अपना  बचपन  संघर्ष के बीच गुजरा है ,बाकि जीवन परिवार परवरिश के लिए दिया।  जो अनुभव जीवन में लिए वह अनुभव समाज में देना है।  यदि हमारे महापुरुष न होते तो आज हे जानवरो की तरह होते , अपनों को भी न पहचान पाते ,पशु प्रवत्ति होती।  हम जानते है तो क्यों नहीं मानते।  यदि मानते है आप तो अपनी भारतीय संस्कृति को बचाने -गणेश शंकर विधार्थी प्रेस क्लब का साथ क्यों नहीं देते है।  मेरे जीवन का अधिकाधिक समय समाज सेवा ,परोपकार ,मानव सेवा के लिए रहा।  आप मुझे प्रदेश में अपने भैया बहनो ,अपनों के बीच कार्य करना का दायित्व परम पिता ने दिया उसके निर्बहन करने का प्रयास जारी। है 

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यह फोटो मेरी जन्म भूमि ग्राम वीरपुरा [नौगाव ]जिला छतरपुर मध्य प्रदेश की है , कुछ गर्रोलो , कुछ विलहरी की है।  आखिर क्या में पागल था जो 31 अक्टूबर 2007 भारत रत्न पूर्व प्रधान मंत्री श्रीमती इन्द्रिरा गांधी जी के बलिदान दिवस पर इस संकल्प के साथ महाराजपुर विधान सभा के 210 से अधिक प्राथमिक ,माध्यमिक ,हायर स्कूल के बच्चो में शिक्षा ,स्वास्थ्य ,स्वच्छता समाज समरसता की अलख जगाने मोटर साइकिल से ग्राम ग्राम जाकर प्रत्साहित किया बाल सभाओ का आयोजन कर अपनी बात करता हूँ ,शिक्षक का सामान करना मेरा फर्ज है जो निर्बहन करता हूँ।  ,प्रतिभाओ की खोज की पुरुष्कार वितरण किया।  मध्य प्रदेश सरकार के अंधे अधिकारिओ ने सभी इस कार्य के लिए सराहना नहीं की ????? मतदाता जागरूकता को मतदान करने हेतु 10 बर्षो से कार्य करता हूँ।  अनेकानेक कार्य करने का संकल्प लिया है करता हूँ और करता रहूँगा।  मुझे आपके प्यार व सम्मान की आवश्यकता है सरकार के टुकङो की नहीं। 




---संतोष गंगेले ---

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