कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला करते हुए आज आरोप लगाया कि उनकी कथनी और करनी में बडा फर्क है और उनकी सरकार का रवैया किसान, मजदूरों और गरीबों के खिलाफ है। श्रीमती गांधी ने यहां रामलीला मैदान में पार्टी की विशाल किसान, मजदूर रैली को संबोधित करते हुए कहा कि किसान अपना खून पसीना बहाकर देश को मजबूती प्रदान करते हैं ,लेकिन इस सरकार के खोखले वादों से किसान निराश है। श्री मोदी ने सत्ता में आने से पहले जो भी वादे किए थे ,वह सब खोखले साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दौरान किसान को उनकी फसल पर दिए जाने वाले न्यूनतम समर्थम मूल्य में लगातार बढोतरी हो रही थी, लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में इस दर में कमी आ रही है। वोनस की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है। हाल की बेमौसम बारिश और आेलावृष्टि का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है, लेकिन इसके बदले उसे नहीं के बराबर राहत दी गई है। सरकार ने रस्म अदायगी कर घाव पर नमक छिडकने का काम किया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल किया कि मोदी सरकार के पिछले 11 माह में क्या किया। उन्होंने कहा कि किसान संकट के दौर से गुजर रहा है और उसकी हालत गंभीर और चिंताजनक है। सरकार किसानों से उनकी फसल खरदीने को तैयार नहीं है जबकि अमेरिका और आस्ट्रेलिया से रिकार्ड गेहूं खरीद के समझौते कर रही है। धान और कपास की कीमत गिर रही है और गन्ना किसानों के बकाया का भुगतान नहीं किया जा रहा है।आलू की कीमतों में भी 80 प्रतिशत की गिरावट आई है और दूसरी पैदावाराें का मूल्य भी नहीं मिल रहा है।
श्रीमती गांधी ने कहा कि यूरिया की बडे पैमाने पर कमी हो गई है और इसकी कालाबाजारी हाे रही है जिससे किसान को यूरिया नहीं मिल रहा है। बजट के माध्यम से खाद के अनुदान में कमी की गई है जिससे खाद की कीमतें भी बढी हैं। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के कार्यकाल में किसानों के हितों के लिए जो भी कार्यक्रम बनाए थे उनके बजट में जानबूझकर कटौती की जा रही है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना-मनरेगा, खाद्य सुरक्षा, सिंचाई, शिक्षा, स्वास्थ्य की राशि में भारी कटौती की जा रही है। उन्होंने इसे देश की जनता के साथ खिलवाड बताया और सवाल किया कि यह यही उनकी नीति और नियत है। संप्रग सरकार के 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सबको साथ लेकर देश का विकास करने की बात करने वाली मोदी सरकार आज इस कानून को बदलने के लिए अध्यादेश लेकर आई है और इसे सही ठहराकर किसानों को गुमराह कर रही है। यह कानून विभिन्न किसान, मजदूर संगठनों से सलाह मशविरा कर बनाया गया था और सभी दलों की सहमति से बना था जिनमें भाजपा भी शामिल थी। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अध्यादेश में किसान की सहमति के बिना ही उसकी जमीन पर कब्जा करने की व्यवस्था है। इसी तरह अधिग्रहण की गई जमीन का इस्तेमाल पांच साल तक नहीं होने पर उसे किसान को लौटाने की व्यवस्था थी लेकिन अब यह पता नहीं है कि उसे जमीन कब वापस मिलेगी। उन्होंने कहा कि सडक और रेल कोरिडाॅर के दोनों तरफ एक कीलोमीटर तक जमीन अधिग्रहण करने का प्रावधान अध्यादेश में किया गया है जो निजी क्षेत्र के फायदे के लिए है। उन्होंने कहा कि इससे किसानों काे भारी नुकसान होगा। श्रीमती गांधी ने कहा कि प्रधानंत्री मोदी ‘सबका साथ सबका विकास’ और सबकी सहमति से देश चलाने की बात करते हैं लेकिन भूमि अधिग्रहण् अध्यादेश लाते समय उन्होंने किसी से बात नहीं की । इस अध्यादेश किसानों की ही नहीं बल्कि आदिवासियों की जिंदगी पर भी बरुा प्रभाव डालेगा।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मोदी सरकार ने 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में निजी कंपनियों के हित में बदलाव किए हैं। भाजपा दावा करती है कि इससे विकास, सिंचाई और रोजगार मिलेगा लेकिन वह उनसे पूछना चाहते हैं कि क्या 2013 के कानून में यह प्रावधान नहीं थे। उन्होंने कहा कि किसान अपनी जमीन बेचना चाहते या नहीं यह देखे बिना सरकार निजी कंपनियों के लिए ही भूमि का अधिग्रहण करना चाहती है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ ही अन्य विपक्षी दल भी सरकार के इस रवैये से चिंतित है। उनका कहना था कि इसके लिए 14 दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें अपनी चिंता से अवगत कराया और ज्ञापन सौंपा था। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इस सरकार की कथनी और करनी में भारी अंतर है। उसकी जुबान पर कुछ और दिल में कुछ अलग है। वे लोग अब कहां है जो चुनाव में एक भी किसान की आत्महत्या नहीं होने देने और सहूकारों के चुंगल से किसानों को बचाने की बात करते थे। श्रीमती गांधी ने कहा कि इस ऐतिहासिक रामलीला मैदान से हम सभी को नई ऊर्जा मिली है और इस ऊर्जा से मिली ताकत से हम आपके और जिन दूसरे लोगों के साथ अन्याय हुआ है उनके लिए संघर्ष करेंगे। हम उन ताकतों को कामयाब नहीं होने देंगे जो आजादी से विरासत में मिले मानव मूल्यों को तहस नहस करना चाहती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सत्ता से बाहर भले ही हो गई है लेकिन अपने प्रयासों मेंवह कोई कमी नहीं आने देगी। वह संघर्ष करती रहेगी। किसान की आवाज न दबी है और न ही कभी दबेगी।

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