- बर्बादी से उबारने के लिए केन्द्र से मिली सहायता राशि को भ्रष्ट अधिकारियों के जरिए जमकर हो रहा बंदरबाट
- बगैर पड़ताल के ही पीडि़त किसानों को पकड़ाया जा रहा 65 से 100 रुपये का चेक
- जबान बंद रखने की धमकी अलग से दी जा रही
- कुछ चेक तो ऐसे किसानों के नाम जारी हुए हैं जिनकी मौत हो चुकी है
- फर्जीवाड़े के हाल यह है कि कब्रिस्तान की जमीन पर भी मुआवजे के चेक जारी कर दिए गए
- होहल्ला मचने पर सरकार के मुखिया पर न आएं आंच इसके लिए लेखपाल को किया गया निलंबित
- किसानों के साथ न सिर्फ मजाक किया जा रहा बल्कि उन्हें भीख के बराबर चेक दी जा रही: लक्ष्मीकांत
लखनउ। जो किसान सबका पेट भरता है, वह न सिर्फ भुखों मर रहा बल्कि खुद आत्महत्या करने को मजबूर हैं। यूपी में बेमौसम बारिश से तबाह हुए किसानों की मौत सिलसिला अभी थमा भी नहीं, उन्हें उबारने के लिए केन्द्र से मिली करोड़ों-करोड़ की मदद राशि को डकारने की तैयारी युद्धस्तर पर शुरु हो गई है। मदद राशि को डकारने की जिम्मेदारी किसी और को नहीं बल्कि सरकार के कारिन्दे लालफीताशाही को सौंपी गयी है। यानी घपलो-घोटालों का बादशाह यादव सिंह, आईएएस अमृत त्रिपाठी, आईपीएस अशोक शुक्ला जैसे सैकड़ों भ्रष्ट अधिकारी सूचीबद्ध तरीके से राशि को हजम करने की तैयार रोडमैप को अमली-जामा पहनाने में जुटे है ठीक उसी तरह जैसे सड़क से लेकर निर्माण व योजनाओं में होती है। अपनी गला न फंसे इसके लिए भ्रष्ट अधिकारी जो लोग इस दुनिया में नहीं है उनके नाम पर या कब्रिस्तान की ही जमीन को खेतीहर बताकर राशि को हजम कर रहे है। यह संयोग ही है दिखावा के तौर पर 100-100 रुपये के जिन लोगों को चेक सौंपा गया उन्होंने इसकी पोल खोल दी।
यहां जिक्र करना जरुरी है कि यूपी में फसलों की तबाही से परेशान तकरीबन सौ से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली है। सर्वे के मुताबिक 75 फीसदी से अधिक फसलें बर्बाद हो चुकी है। इन्हीं को ध्यान में रखकर केन्द्र सरकार ने किसानों को संकट से उबारने के लिए यूपी को 300 करोड़ से अधिक राशि इस मद में दी है। लेकिन किसान इसका लाभ नहीं ले पा रहे है। जिन किसानों से तहसील से लेकर एसडीएम के कार्यालय तक 500 रुपये से अधिक खर्च कर अपनी रिपोर्ट बनवाई उन्हें अब 65 से 100 रुपये का चेक पकड़ाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में किसानों के साथ मुआवजे के नाम पर किस तरह किसानों का मजाक उड़ाया जा रहा है यह पूरे दिन मीडिया की सुर्खियों में रहा। काफी शोरसराबा के बाद मामले पर कार्रवाई करते हुए राज्य सरकार ने फैजाबाद के लेखपाल को सस्पेंड कर दिया है। किसानों से कम रकम वाले चेक वापस ले लिए गए हैं। साथ ही किसानों को दोबारा चेक बांटने का ऐलान किया गया है। मामले में एसडीएम और तहसीलदार को भी तलब किया गया है।
दरअसल, राज्य सरकार ने फसल बर्बाद होने पर फैजाबाद ने किसान को मुआवजे के तौर पर 75 रुपए का चेक भेजा। कुछ अति भाग्यशाली किसानों को 100, 125, 150 और 230 रुपये के चेक हासिल हुए। वहीं, बांदा के किसानों को 600 से 700 रुपए का चेक दिया गया। किसानों का कहना है कि गांव में ना तो नायब आया, ना तहसीलदार दफतर में ही बैठ सबके चेक बन रहे है। जबकि नियमानुसार मुआवजे के नाम पर कम से कम 750 रुपये मिलने चाहिए। ताज्जुब इस बात है कि जिस जमीन पर खेती नहीं होती, उनके मालिकों के नाम पर भी चेक रिलीज किए गए। प्रधान जी का कब्रिस्तान है उसका भी चेक बना दिया है। हैरानी की बात यह है कि प्रशासन ने इस गांव में आठ ऐसे लोगों के नाम चेक जारी कर दिए हैं, जिनकी मौत कई साल पहले हो गई थी। ऐसे आठ लोगों के नाम 100-100 रुपए के चेक जारी हुए हैं। कब्रिस्तान की जमीन के मालिक शमशुद्दीन का कहना है कि उनके पुश्तैनी कब्रिस्तान की जमीन को खेती योग्य जमीन दिखाकर आठ लोगों का चेक बना दिया है, जबकि जो खेत बोया जाता है, उसका चेक नहीं बना है।
बुंदेलखंड, लखनऊ, रोहेलखंड और कानपुर के किसानों का बुरा हाल है। फसलें तबाह होने के बाद किसान भले ही खुदकुशी करने पर मजबूर हों लेकिन सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। फैजाबाद जिले में किसानों को मुआवजे के नाम पर 75, 100 और 150 रुपए के चेक जारी किए जा रहे हैं। वाजिदपुर गांव के किसान कमलेश का कहना है कि मुआवजे के लिए उन्हें केवल 75 रुपए का चेक मिला है। इसी गांव के रामराज को 200 रुपए का चेक मिला है। जियाउद्दीन को 18 बीघा फसल बर्बाद होने के बाद भी कोई मुआवजा नहीं मिला। भाजपा नेता लक्ष्मीकांत बाजपेयी कहते है कि कुदरत की मार से तबाह हो चुके किसानों को केन्द्र सरकार से मिली करोड़ों की राहत राशि सरकारी गुंडे हजम कर रहे है, बदले में किसी किसान को 65 रुपये तो किसी किसान को 100 रुपये का चेक पकड़ा रहे है, वह भी उन किसानों को जिनकी क्षति हजारों-लाखों में हुई है। बेशक, एक तरफ अखिलेश यादव से लेकर उनका पूरा कुनबा चाहे वह भूमि अधिग्रहण का मसला हो या बेमौसम बारिश से तबाह हो चुके किसानों को राहत पहुंचाने के नाम पर मदद की दुहाई तो दे रहा है, लेकिन उसके सरकारी गुंडे किसानों को ही लूट रहे है। जबकि फसलों की दुर्दशा देख किसान सदमें में हैं और उनकी मौत तक हो रही है।

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