- - बंदरगाह बनने से अंतरराष्टीय बाजार से जुड़ेगा साहिबगंज, हो जाएगा पूर्वोत्तर राज्यों से बिहार झारखंड समेत पूरे देश का सीधा संपर्क
- - नेपाल आने जाने का नया अंतरराष्टीय मार्ग खुलेगा, बिहार और झारखंड बनेगा पर्यटन का नया हब
- - विदेशी मुद्रा के आदान प्रदान से मजबूत होगी अर्थव्यवस्था, यह देश का पहला ऐसा बंदरगाह होगा जो जल, रेल एवं सड़क मार्ग से सीधा जुड़ेगा
कुमार गौरव, साहिबगंज: भारत सरकार ने झारखंड के साहिबगंज गंगा तट पर मल्टी माॅडल बंदरगाह बनाने को लेकर प्रयास शुरू कर दिया है। भारत सरकार के पोत परिवहन मंत्रालय ने 171 करोड़ की लागत से लगभग 40 एकड़ जमीन पर देश का पहला मल्टी माॅडल सिस्टम बंदरगाह बनाने का फैसला किया है। जानकारी के अनुसार पोत परिवहन मंत्रालय का पत्र मिलने के बाद भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने बीते वर्ष जिला प्रशासन को पत्र लिखकर इसके लिए आवश्यक जमीन उपलब्ध करने का आग्रह किया था। साहिबगंज में बंदरगाह निर्माण के लिए फिलहाल भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण को लगभग 40 एकड़ जमीन की आवश्यकता है। प्राधिकरण को बंदरगाह के लिए सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए जमीन का अधिग्रहण करना पड़ेगा। साथ ही रेलवे के अधिकारियों को भी पत्र के माध्यम से बंदरगाह के पास रेल संबंधी योजना के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई गई है। ताकि साहिबगंज में बनने वाले अंतरराष्टीय बंदरगाह को रेल लाइन से भी जोड़ा जा सके। प्राधिकार सूत्रों के अनुसार साहिबगंज में गंगा के किनारे बनने वाला यह देश का पहला ऐसा बंदरगाह होगा जो जल, रेल एवं सड़क मार्ग के साथ जुड़ेगा। देश में अब तक जितने भी बंदरगाह बने हैं वह किसी समुद्र के किनारे ही बना है।
साहिबगंज की भौगोलिक स्थिति के अनुसार यहां के बंदरगाह को रेल एवं सड़क मार्ग से जोड़ना आसान हो जाएगा। एशियन डेवलपमेंट बैंक के सहयोग से इस समय धनबाद के गोविंदपुर से साहिबगंज के बीच एक्सप्रेस वे सड़क का निर्माण कार्य किया जा रहा है। जिसका सीधा संपर्क इस बंदरगाह से हो जाएगा। ऐसे में झारखंड के इस साहिबगंज जिले को विश्व के नक्शे पर जगह मिलेगा। साहिबगंज के बंदरगाह बनाने के मामले को लेकर राजमहल के विधायक अनंत ओझा ने विशेष बातचीत में बताया कि बंदरगाह बनने से संताल परगना का अपेक्षित विकास होगा। यहां पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और देश विदेश से पर्यटक आसानी से यहां पहुंच सकेंगे। बिहार झारखं डमें कई प्रमुख पर्यटन केंद्र होने के बावजूद आवागमन की सुविधा नहीं होने के कारण हर साल लाखों विदेशी पर्यटक इस क्षेत्र में नहीं आ पाते हैं। पर्यटक विक्रमशिला व मंदारहिल आने के बाद वापस लौट जाते हैं। वैसे जलमार्ग से हर साल कुछ विदेशी पर्यटक फरक्का के रास्ते राजमहल एवं इसके आसपास के इलाके में फैले ऐतिहासिक महत्व की इमारतों को देखने यहां आते हैं। इसका सीधा असर यहां के व्यापार व उद्योग पर पड़ेगा। यहां के खनिज संपदा को देश व विदेश का बाजार मिलेगा।
अब तक यहां के खनिज को सिर्फ रेल व सड़क मार्ग से दूसरी जगह भेजा जाता है। जलमार्ग होने से यहां के खनिज दूसरे मंडियों तक आसानी से भेजा जा सकेगा। इसका सीधा लाभ यहां के व्यापारियों को मिलेगा एवं रोजगार के साधन बढ़ेंगे। श्री ओझा ने बताया कि क्षेत्र के विकास में बंदरगाह की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। गुजरात व महाराष्ट का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि इन जगहों पर बंदरगाह के होने का फायदा यहां के व्यापारियों को मिलता है और अन्य जगहों के मुकाबले यहां के लोग ज्यादा आमद कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर झारखंड में खनिज संपदा की कमी नहीं होने के बाद भी आवागमन की सुविधा के अभाव में खनिज संपदा अन्य राज्यों तक भेजना परेशानी का सबब बन जाता है।
जमीन अधिग्रहण के पेंच में फंसा साहिबगंज में बंदरगाह का निर्माण: सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार जमीन अधिग्रहण मामला रैयत व सरकारी फाइलों के पेंच में फंस जाने के कारण भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण को अब तक जमीन हस्तांतरण नहीं किया जा सका है। इस कारण बंदरगाह निर्माण कार्य का डीपीआर बनाने का कार्य शुरू नहीं हो सका है। जबकि साहिबगंज जिला प्रशासन के द्वारा भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण को सितंबर 15 तक जमीन हस्तांतरित करना है। इसके लिए झारखंड सरकार को भू-अर्जन प्रावधान के मुताबिक मुआवजे का भुगतान करना है। इस मामले में साहिबगंज के उपायुक्त उमेश प्रसाद सिंह ने बताया कि बंदरगाह के लिए भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग परिवहन प्राधिकरण की ओर से बंदरगाह निर्माण के लिए सकरीगली स्थित गंगा किनारे समदा घाट के पास जमीन का चयन किया गया है। जमीन से संबंधित जो भी अड़चनें है उसे जल्ट ही दूर कर लिया जाएगा एवं इसकी रिपोर्ट मंगाकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

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