पूर्वोत्तर राज्यों को भारत का महत्वपूर्ण हिस्सा करार देते हुए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आज कहा कि कम आबादी के बावजूद इन राज्यों ने देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राष्ट्रपति ने एक सांस्कृतिक महोत्सव ‘पूर्वोत्तर के गीत एवं नृत्य’ के उद्घाटन भाषण के दौरान कहा, “पूर्वोत्तर राज्य भारत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। आबादी कम होने के बावजूद इन राज्यों ने देश के विकास में व्यापक योगदान दिया है। इस क्षेत्र के लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई थी। क्षेत्र के अनेक राजनीतिज्ञों ने भी राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दिया।”
श्री मुखर्जी ने गीत और नृत्य को पूर्वोत्तरवासियों के दैनिक जीवन का हिस्सा करार देते हुए कहा कि पूर्वोत्तरवासी अपनी मेजबानी और शिष्टाचार के लिए जाने जाते हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से भरा पूरा है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता से भरे उत्सव पूर्वोत्तर राज्यों और देश के शेष हिस्सों के बीच के अंतर को पाटने में मदद करेंगे। सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन मेघालय सरकार और पूर्वोत्तर परिषद के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। राष्ट्रपति ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में हो रहे आर्थिक विकास से न केवल उस इलाके के लोग, बल्कि पूरा देश लाभान्वित होगा।
पूर्वोत्तर इलाकों के स्थानिक फायदों और समृद्ध संसाधनों का उल्लेख करते हुए श्री मुखर्जी ने कहा कि इन कारणों से पूर्वोत्तर राज्य भारत के पूरब में स्थित पड़ोसी देशों से व्यापार बढ़ाने का महत्वपूर्ण केंद्र है। पूर्वोत्तर क्षेत्र केंद्र सरकार की ‘पूरब की ओर देखो’ नीति पर अमल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस नीति के तहत भारत दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन ‘आसियान’ के सदस्य देशों के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करने को इच्छुक है। ये देश तेजी से विकास के रास्ते पर अग्रसर राष्ट्रों में शामिल हैं।

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