हरीश रावत में छिपा वो हरदा आखिर गया कहाँ !
देहरादून, 14 अपै्रल। भले ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत हैं लेकिन वो हरीश रावत नहीं जो तीन दशक पहले का हरदा हुआ करता था वो हरदा कहाँ गया यह समझ नहीं आ रहा किसी भी उत्तराखंडी को जिसने हरीश रावत को तीन या चार दशक पूर्व देखा होगा.आज के हरीश रावत व उस समय के हरदा में बहुत अंतर नजर आता है. वो हरदा जो इंदिरा संजय और राजीव गांधी के जमाने में हुआ करता था उसी रावत को आज ढूंढ रहा है उत्तराखंड, उस हरदा को ढूंड रहा है हर वो उत्तराखंड वासी जो सीमांत क्षेत्रों की संचार व्यवस्था के लिए धारचूला के शिष्टमंडल के साथ तत्कालीन संचार मंत्री बसंत साठे जैसे दिग्गज नेता से भिड गया था, उस रावत को ढूंढ रहा है उत्तराखंड जिसमें उसको हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री वाई.एस. परमार की छवि दिखाई देती थी..आखिर कहाँ गया वो हरीश रावत.. आज का हरीश रावत दिन में 18 से 20 घंटे तक काम करने के बाद भी आखिर क्यों जनता तक नहीं पहुँच पा रहा है. एक जमाने में बिजेन्द्र पॉल जैसे आईएएस अधिकारी को अपनी उँगलियों पर नाचने वाले हरदा राज्य की भ्रष्ट व कामचोर अधिकारियों की फौज के सामने आखिर क्यों निराश नजर आ रहे हैं यह किसी की समझ में नहीं आ रहा वहीँ चर्चा है कि नकारे, कामचोर व भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी राज्य की ब्यूरोक्रेसी व खनन व अन्य व्यवसाय में लिप्त राज्य के अधिकांश मंत्रियों व विधायकों के कारण ही मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने आप में शक्ति का पुंज तो जरुर नजर आते हैं लेकिन अकेले दम पर, जिनके ऊपर उनकी योजनाओं को जन-जन तक पहुँचाने का जिम्मा था वे सब अपनी ही विधानसभा तक सीमित होकर रह गए हैं. यही कारण है कई बार वे झुंझला कर यहाँ तक कह देते है जो प्रधान नहीं बन सकते थे वे आज मंत्री व विधायक बन बैठे हैं और को पटवारी और तहसीलदार नहीं बन सकते थे वे आज सचिव व प्रमुख सचिव तक बन बैठे हैं. उनकी इस झुंझलाहट का अर्थ बिलकुल साफ है कि ना तो उनके अनुसार मंत्रिमंडल से सदस्य ही काम कर पा रहे हैं और न ब्यूरोक्रेसी ही. आज राज्यवासी हरदा का वो मिजाज नहीं देख पा रहे हैं जो वे आज से चार दशक पहले देखा करते थे, उनके साथ कई दशकों तक काम करने वाले कई लोगों का कहना है या तो वे अब बुढा गये हैं, या फैसले लेने में थोडा दबाव महसूस कर रहे हैं नहीं वरना तो पुराने रावत जी तो अभी तक सेंचुरी जड़ चुके होते, इनका यह भी कहना है कि देहरादून और हल्द्वानी मंथन शिविरों में इतनी फजीहत होने के बाद भी इन लोगों की समझ में नहीं आ रहा है तो मुख्य मंत्री भी क्या कर सकते हैं क्योंकि हर मंत्री को जिलों का प्रभार दिया है सब की डयूटी लगी है, लेकिन सब सीनियर नेता हैं, किसी कुछ कहेंगे तो नया गुट खडा हो जाता है, इन्ही सब दबावों के बीच मुख्यमंत्री हरीश रावत फिर भी पार्टी के घोषणा पत्र व पार्टी की विचारधारा को जन-जन तक पहुँचाने पर लगे हैं. कुल मिलाकर हरदा का वो मिजाज सामने नहीं आ पा रहा है जिसका प्रदेश की जनता को इंतजार है.
नंदा राजजात पर डाक्यूमेन्ट्री फिल्म ‘‘नन्दा ध्याणै बिदै’’ का विमोचन
देहरादून, 14 अपै्रल(निस)। सुप्रसिद्ध लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी के गीतों से सुसज्जित डाक्युमेन्ट्री फिल्म ‘‘नन्दा ध्याणै बिदै’’ का विमोचन आज मंगलवार 14 अप्रैल को गढ़वाल श्रीनगर में एक समारोह में किया गया। डाक्यूमेंन्टी का विमोचन सुप्रसिद्व रंगकर्मी विमल बहुगुणा ने किया। ‘नन्दा ध्याणै बिदै’ हिमालयन फिल्मस की एक नयी प्रस्तुति है। इस डाक्युमेन्ट्री फिल्म में नरेन्द्र सिंह नेगी ने नन्दा राजजात पर सात नये जागर गीत गाये हैं। प्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी डाॅ. नन्दकिशोर हटवाल के संकलन से लिये गये ये गीत मां नन्दा के मायके से ससुराल तक की यात्रा का मार्मिक विवरण प्रस्तुत करते हैं। युवा फिल्मकार गोविन्द नेगी, चन्द्रशेखर चैहान व हरीश भट्ट ने नन्दा देवी राजजात 2014 का नौटी से होमकुण्ड तक की सम्पूर्ण यात्रा का फिल्मांकन किया है। ‘नन्दा ध्याणै बिदै’ का आॅडियो पिछले वर्ष नवम्बर को बाजार में आया और संस्कृतिप्रेमियों और संगीत प्रेमियों ने इसे खूब सराहा। विमोचन समारोह में रंगकर्मी विमल बहुगुणा ने कहा कि उत्तराखंड की सामाजिक-सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए ऐसे प्रयास सराहनीय हैं। उन्होंने कहा कि पारंपरिक संचार माध्यमों के साथ ही आज इंटरनेट के जरिये सोशल मीडिया माध्यमों से भी इस तरह के प्रयासों को आम लोगों तक पहुंचाने के प्रयास होने चाहिए। नन्दा राजजात उत्तराखण्ड की एक अनोखी सांस्कृतिक एवं सामाजिक यात्रा है। नन्दा देवी की वार्षिक यात्रायें भी होती हैं। आज के समय में इन यात्राओं को पर्यटन से भी जोडे़ जाने की आवश्यकता है। लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने कहा कि हमारा प्रयास मां नन्दा के समस्त जागर गीतों का डिजिटल डाक्युमेन्टेशन करने का है। इस डाक्युमेन्ट्री फिल्म में नन्दा के विदाई गीत हैं। डाॅ. नन्दकिशोर हटवाल जी के संकलन से हम विषय वार नन्दा के जागर गीत को संस्कृतिप्रेमियों के बीच में लाएंगे। वर्ष 2000 में नरेन्द्र सिंह नेगी का राजजात के दो आॅडियो कैसेट्स बाजार में आये। ‘नन्दा ध्याणै बिदै’ नेगी द्वारा नन्दा देवी के जागर गीतों पर दूसरी प्रस्तुति है। लगभग 15 वर्ष पूर्व आये आॅडियो कैसेट्स को संगीत प्रेमियों ने सराहा और अपने चाहने वालों के लगातार आग्रह पर लोकगायक नेगी ने इस डाक्युमेन्ट्री फिल्म में नये नन्दा जागर गीत गाये हैं। सुप्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी डाॅ. नन्दकिशोर हटवाल ने इस अवसर पर कहा कि नन्दा देवी पर आधारित इस फिल्म में यात्रा के विभिन्न पहलुओं को सम्मिलित किया गया है। तथा उत्तराखण्ड के विभिन्न स्थानों से आने वाली उप यात्राएं, जो कि मुख्य यात्रा में शामिल होते हुए आगे बढ़तीं हैं, का भी समावेश किया गया है। हिमालयन फिल्मस के मोहन लखेड़ा ने इस अवसर पर कहा कि नन्दा राजजात के गीतों का डिजिटल डाक्युमेन्टेशन कम्पनी की एक प्रमुखता में है। इसी कड़ी में हम नन्दा देवी राजजात पर बनी पुरानी फिल्मों/फोटो का भी संग्रह कर रहे हैं। हमें आशा है कि यह डाक्युमेन्ट्री फिल्म के द्वारा हमारी युवा पीढ़ी इस एतिहासिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक व साहसिक यात्रा को समझने का जरिया बनेगी। हिमालयन फिल्मस उत्तराखण्ड के लोकसंस्कृति, कला एवं भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए वर्ष 2008 से लगातार प्रयासरत है। विगत 7 वर्षों में कम्पनी ने क्षेत्रीय भाषा में 19 वीडियो एलबम, 8 फिल्में, 15 आॅडियो सी.डी. एवं 10 धार्मिक डाक्युमेन्ट्री फिल्म बनाकर बाजार में अपनी शाख बनाई है। गणेश कुखशाल ‘गणी’ ने समारोह का संचालन किया। इस मौके पर हरीश भट्ट, चन्द्रशेखर चैहान, गोविन्द नेगी, पवन ममगई आदि मौजूद रहे।
यात्रियों के ठहरने को बनाई गई 29 हटों में 13 बर्फ से हो गईं क्षतिग्रस्त, हे केदारनाथ ! कैसे होगी चारधाम यात्रा
- बदरीनाथ धाम में भी हालात बेहद खराब, नहीं उतर सका अफसरों का हेलीकाप्टर
- दोनों धामों में बर्फ ने किया भारी नुकसान, यात्रा मार्गों की हालत में भी नहीं सुधार
देहरादून, 14 अप्रैल । केदारनाथ में राज्य सरकार द्वारा बनाईं गईं 29 प्री फेब्रिकेटेड हट में से 13 हट बर्फ की वजह से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं हैं। बहुगुणा के मुख्यमंत्रित्वकाल में अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा ने दावा किया था कि सुनामी या भारी बर्फवारी के बाद भी ये प्री फेब्रीकेटेड हट पूरी तरह सुरक्षित रहेंगी। लेकिन केदारनाथ से जैसे-जैसे बर्फ हटाई जा रही है। इस दावे की हकीकत सामने आ रही है। सूत्रों ने बताया कि यात्रियों के ठहरने के लिए लाखों रुपये की लागत से इन हटों को बनाया गया था। एक हट में छह तीर्थयात्रियों के ठहरने की व्यवस्था की जानी थी। अब तक हटाई कई बर्फ से साफ हो गया है कि इनमें से 13 हट पूरी तरह से और कई अन्य आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गई है। हो सकता है कि पूरी बर्फ हटने पर पता चला कि कई और हट भी रहने लायक नहीं रह गई हैं। वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग खुलने में हो रही देरी के चलते जिला प्रशासन ने बदरीनाथ धाम में यात्रा व्यवस्थाओं को लेकर जमीनी हकीकत का निरीक्षण कर माना कि समय कम है और काम ज्यादा है। बदरीनाथ में शीतकाल में हिमखंडों से भारी नुकसान पहुंचा है। बदरीनाथ धाम में यात्रा व्यवस्थाओं का जायजा लेने पहुंचे डीएम ओर एसपी भी आर्मी के हेलीपैड में चॉपर नहीं उतार सके। लिहाजा उन्हें माणा में आर्मी के हेलीपैड में चॉपर उतारना पड़ा। जिलाधिकारी अशोक कुमार, पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार मीणा यात्रा व्यवस्थाओं की तैयारियों को लेकर गोपेश्वर से चॉपर से बदरीनाथ पहुंचे। वहीं अन्य विभागीय कर्मचारियों, अधिकारियों को गोविंदघाट से हेलीकॉप्टर से बदरीनाथ पहुंचाया गया। बदरीनाथ में आर्मी हैलीपैड पर बर्फ जमी होने के कारण प्रशासन का हेलीकॉप्टर माणा के पास सेना कैंप में बनाए गए हेलीपैड पर लैंड कराया गया। जिलाधिकारी सहित अन्य अधिकारी चार किमी की दूरी पैदल तय कर बदरीनाथ पहुंचे। प्रशासन ने बदरीनाथ धाम में डिप्टी कलक्टर शैलेंद्र नेगी, पर्यटन अधिकारी सोबत सिंह राणा को तैनात कर नियमित रूप से यात्रा तैयारियों की मॉनीरिंग का जिम्मा सौंपा है। धाम में गोविंदघाट से हेलीकॉप्टर से ऊर्जा निगम, जल संस्थान, लोक निर्माण विभाग, गढ़वाल मंडल विकास निगम, नगर पंचायत बदरीनाथ, श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति सहित अन्य विभागों के अधिकारियों को भी लाया गया। प्रशासन ने लोक निर्माण विभाग को देवदर्शनी के पास हेलीपैड से तत्काल बर्फ हटाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही बिजली, पानी, पैदल मार्ग सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं को सुचारु करने के लिए कहा गया है। जिलाधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि बदरीनाथ में मंदिर से लगे यात्री लाइन के शेड व नगर में दुकानों, घरों को बर्फ से क्षति पहुंची है। वहीं बिजली लाइन को भारी क्षति पहुंची है। दूसरी ओर मंदिर समिति के कर्मचारी व कार्यकर्ता श्रीबदरीनाथ धाम के परिक्रमा स्थल से बर्फ हटाने के काम में जुटे हैं। परिक्रमा स्थल में 10 फीट से अधिक बर्फ जमी हुई है। समिति द्वारा सिंहद्वार के सामने मंदिर के मुख्य द्वार तक बर्फ हटाने में सफलता भी हासिल कर दी गई है।
दफ्तरों से बाबा साहब की तस्वीर गायब, कांग्रेस सरकार के समय में भी नहीं दिखी संविधान निर्माता की फोटो
- पहले सभी सरकारी कार्यालयों में थी तस्वीर
देहरादून, 14 अप्रैल। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भले ही बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नाम को लेकर भाजपा से पूरे देश में दो-दो हाथ करने को तैयार हो। लेकिन सूबे की कांग्रेसी सरकार को इसकी कोई परवाह नहीं है। आज अंबेडकर जयंती भले ही कार्यक्रमों का आयोजन करके बाबा साहब को याद किया जाए। लेकिन सूबे के किसी भी सरकारी दफ्तर में बाबा साहब को कोई तस्वीर आजकल दिखाई नहीं दे रही है। बाबा साहब को अपना बताने के लिए इस समय कांग्रेस और भाजपा के बीच घमासान मचा है। भले ही इसके बीच असली खेल वोटों की सियासत का हो। लेकिन कांग्रेस शुरू से ही बाबा साहब को अपनी विरासत मानती रही है। कांग्रेस ने पूरे सालभर तक बाबा साहब की याद में कार्यक्रमों के आयोजन की तैयारी की है। इसकी कमान खुद सोनिया गांधी से संभाल रखी है। दूसरी तरफ भाजपा की केंद्र सरकार कांग्रेस से बाबा साहब का नाम छीनने की जुगत में है। इसके लिए केंद्र ने बाबा साहब की याद में कई योजनाओं का घोषणा की है। लेकिन सूबे की कांग्रेसी सरकार बाबा साहब की ओर से बेपरवाह है। कुछ समय पहले तक सभी सरकारी दफ्तरों में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ ही बाबा साहब की तस्वीर भी दिखाई देती थी। अब ये तस्वीरें सरकारी दफ्तरों से गायब है। सूबे में शायद ही कोई ऐसा दफ्तर हो जहां बाबा साहब की तस्वीर लगी है। हां, राष्ट्रपति की तस्वीर के साथ ही सूबे के राज्यपाल और मुख्यमंत्री की तस्वीरें जरूर शोभा बढ़ा रही है। सरकारी मशीनरी इस मामले में कोई देरी नहीं करती है। पहले सीएम बदले तो सभी दफ्तरों से पूर्व सीएम की जगह हरीश रावत की तस्वीर लगा दी गई। बाद में कुरैशी की यहां से विदाई हुई तो नए राज्यपाल की तस्वीर सरकारी दफ्तरों में लगा दी गई। इस दौरान भी किसी को बाबा साहब की याद नहीं आई।
उत्तराखण्ड में बिजली अन्य राज्यों से अभी भी सस्ती: सुरेन्द्र कुमार
- चार धाम यात्रा पर राजनीति से बचे भाजपा
देहरादून, 14 अप्रैल(निस)। मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी सुरेन्द्र कुमार ने भाजपा नेताओं के विद्युत मूल्य व चारधाम यात्रा पर किए जा रहे दुष्प्रचार का आकड़ों के साथ करारा जवाब देते हुए बकायदा भाजपा शासनकाल 2009 व पूरे देश के अन्दर विद्युत मूल्य का तुलनात्मक विवरण दिया, भाजपा नेताओं को भाजपा शासित हरियाणा, गुजरात, पंजाब सहित हिमाचल, उत्तरप्रदेश व दिल्ली के विद्युत मूल्य पर भी अपना घ्यान देने व प्रर्दशन करने की सलाह दी है। भाजपा की केन्द्र सरकार के झूठे वादों से जनता का ध्यान हटाने के लिए अब नाटक उनके काम नही आने वाला है। उन्होने कहा कि पूरे देश में उत्तराखण्ड़ में विद्युत मूल्य आज भी सबसे कम हैं तथा भाजपा ने 2009 में विद्युत मूल्य में 15 प्रतिशत की वृद्धि की थी, अभी मात्र 7.13 प्रतिशत की वृद्धि की गई हैं, आकड़ें जारी करते हुए बताया कि उत्तराखण्ड़ में विद्युत मूल्य 100 यूनिट तक 2.40 रुपये, गुजरात में 100 यूनिट पर 3.60 रुपये, हिमाचल में 100 यूनिट में 3.50 रुपये, हरियाणा में 100 यूनिट पे 4.90 रुपये, उत्तरप्रदेश में 100 यूनिट पे 4.00 रुपये, पंजाब में में 100 यूनिट पे 4.56 रुपये, दिल्ली में 100 यूनिट पे 4.00 रुपये, व 200 यूनिट पर उत्तराखण्ड़ में 2.90 रुपये, गुजरात में 4.40 रुपये, हिमाचल में 4.40 रुपये, हरियाणा में 4.90 रुपये, उत्तरप्रदेश 4.00 रुपये, पंजाब 4.02 रुपये है। उन्होने यह भी बताया कि उत्तराखण्ड़ में घरेलू, कर्मशियल व उद्योंगो का विद्युत मूल्य भी सबसे कम है। उन्होनेे यह भी दावा कि राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों में 21 घटें आपूर्ति की जा रही है जबकि अन्य राज्यों में ऐसा नहीं है। वहीं उन्होने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा भेजे पत्र को भी प्रेस को जारी करते हुए बताया कि अध्यक्ष जी ने चारधाम यात्रा पर राज्यहित में यात्रियों के उत्साहवर्धन के लिए उनका आग्रहः माननें पर उनका आभार प्रकट किया है। मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में यह भी स्पष्ट किया कि सिरोबगड़ व लामबगड़ में समय-समय पर आने वाले मलवे से बद्रीनाथ यात्रा सन् 2000 से पाॅच सौ बार बाधित हुई है। कुछ मामलों में तो सड़क घंटों-घंटो व कई दिनों तक बंद रही हैं। इस एक वर्ष के अन्दर ऐसा क्या परिवर्तन आ गया या आ जाना चाहिए कि लामबगड़ व सिरोबगड़ में अब भू-स्खलन होगा ही नहीं, मेरा वादा है कि अब सिरोबगड़ में यदि बड़ी बाधा आती है तो यात्रा रुकेगी नहीं। बल्कि वैकल्पिक मार्ग इस हेतू तैयार किया जा रहा है। लामबगड़ में इस वर्ष यान्त्रिक संसाधन व मैन-पावर बढ़ाने के साथ-साथ अलकनंदा में चकडाम भी बनाये गये है। अगले दो सालों के अन्दर टर्नल बना दी जायेगी, इस हेतू आवश्यक कदम उठा लिये गये है। सोनप्रयाग से गौरीकुण्ड़ तक निर्माण के बहुत चुनौतीपूर्ण कार्यो को पूरा कर दिया गया है। गौरीकुण्ड़ से केदारनाथ धाम तक पहले से ज्यादा सुविधापूर्ण और सुधरी हुई सुरक्षित स्थिति है। श्री रावत ने कहा कि चारों धामों में यात्रा को प्रारम्भ करने में लगे हुये लोगों का उत्याहवर्धन हम सभी राजनैतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं व मीडिया का कर्तव्य है। हमारे हजारों भाई-बहन के धड़कते हुये दिल जोर-सोर से यात्रा प्रारम्भ होने की प्रतिक्षा कर रहें है। यह तभी सम्भव होगा जब हम एकजुट होकर सुरक्षित व शुभम उत्साही उत्तराखण्ड़ का संदेश उन भाई बहनों को देगें जिनके मन और मस्तिष्क में अभी भी जून, 2013 की भयावह टूटते दरकते उत्तराखण्ड़ के चित्र समाये है। उन्होने यह भी कहा कि यात्रा चारधाम यात्राओं को ले के राजनीति करने से बचा जाना चाहिए, जिससें की हमारी अर्थ व्यवस्था बाधित न हो।
आस्ट्रिया के राजदूत श्री बर्नार्ड रैबैट्ज ने की हरीष रावत से भेंट
देहरादून, 14 अप्रैल(निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत से बीजापुर अतिथि गृह मे आस्ट्रिया के राजदूत श्री बर्नार्ड रैबैट्ज ने भेंट की। मुख्यमंत्री श्री रावत से चर्चा के दौरान आस्ट्रिया के राजदूत श्री बर्नार्ड ने बताया कि वे उत्तराखण्ड भ्रमण पर थे। इस दौरान उन्होंने यहां के विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया। यहां की प्राकृतिक सुन्दरता काफी प्रभावित करने वाली है। प्रदेश में पर्यटन सहित अन्य क्षेत्रों में विकास की असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने बताया कि आस्ट्रिया में भी पर्वतीय भूभाग है, जो उत्तराखण्ड से काफी मिलता जुलता है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रदेश सरकार पर्यटन सहित विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए वचनबद्ध है। प्रदेश मंे पर्यटन, शिक्षा, आई.टी. एवं उद्योग क्षेत्र में निवेश के लिए नीतियां बनायी गई है। उन्होंने कहा कि यदि आस्ट्रिया प्रदेश में निवेश का इच्छुक हो, तो राज्य सरकार द्वारा पूरा सहयोग दिया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हमारा प्रयास है कि प्रदेश में पर्यावरण अनुकूल उद्योग स्थापित किये जाय, जिससे अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार मिल सके। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रदेश में स्थानीय स्तर पर भी बिजली परियोजनाएं बन सके, इसके लिए नीति बनायी गई है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि आस्ट्रिया यदि प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को तकनीक आधारित किसी उद्योग में प्रशिक्षण देना चाहे, तो सरकार उसका स्वागत करेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में निवेश के लिए अच्छा वातावरण तैयार किया गया है। देश-विदेश के उद्यमियों को प्रदेश में उद्योग के लिए आकर्षित किया जा रहा है। इसके लिये सिंगल विण्डो सिस्टम की व्यवस्था भी अमल में लायी गयी है। इस अवसर पर प्रभारी सचिव गृह विनोद शर्मा, प्रभारी सचिव आपदा प्रबंधन आर.मीनाक्षी सुन्दरम, महानिदेशक सूचना चन्द्रेश कुमार, मुख्यमंत्री के मीडिया समन्वयक राजीव जैन, जनसंपर्क समन्वयक जसबीर रावत आदि उपस्थित थे।
जलविद्युत परियोजनाओं के लिए हिमालयी राज्यों के लिए बने एक से नियमः हरीष रावत
देहरादून, 14 अप्रैल(निस)। बीजापुर में मीडिया से अनौपचारिक बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि राज्य में विद्युत परियोजनाओं के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में पूरी मजबूती से हमने अपना पक्ष रखा है। उŸाराखण्ड में जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर एक मिथक सा बना दिया गया है। यह कैसे हो सकता है कि उŸाराखण्ड के लिए अलग तर्क व नियम हो जबकि हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर सहित शेष भारत के लिए अलग नियम हो। जो नियम उŸाराखण्ड के लिए बनाया जाएगा वही पूरे भारत के लिए होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने उŸाराखण्ड को पर्यावरण की टेस्ट भूमि बना दिया है उनसे विनम्रता के साथ कहना चाहेंगे कि देश दुनिया को अमूल्य पर्यावरण सेवाएं देने वाले उŸाराखण्ड में पर्यावरण की रक्षा में योगदान बड़े-बड़े शहरों में रहने वालों का नहीं बल्कि यहां के गांवों में रहने वाले हमारे भाई बहिनों का है। चारधाम यात्रा के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी हमारे लोग काम कर रहे हैं। 7-8 फीट की बर्फ में काम करने वालों को प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है। केवल छिद्रान्वेषण करके लगातार काम कर रहे हमारे लोगों का मनोबल कम नहीं किया जाना चाहिए। हमने वैकल्पिक प्लान भी तैयार कर रखे हैं। चारधाम यात्रा को लेकर हमने पूरी तैयारियां कर रखी हैं। जिस दिन कपाट खुलेंगे उसी दिन से यात्रा भी प्रारम्भ हो जाएगी। सरकारी आयोजनों में कटौति के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा राज्य इस समय भीषण कृषि संकट जूझ रहा है। हम अपने किसान भाईयों को हर सम्भव राहत पहुंचाना चाहते हैं। केंद्र से भी मदद का अनुरोध किया गया है यद्यपि उन्होंने राहत के मानकों को शिथिल नहीं किया है जिससे राहत राशि पर्याप्त नहीं होगी। इसलिए राज्य सरकार अपने स्तर पर काश्तकारों को सहायता उपलब्ध करवाने के लिए कोई कमी नहीं रखेगी। हमारी कोशिश है कि किसानों को इतनी मदद तो मिल ही जाए कि वे अपनी अगली फसल की तैयारी कर सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली दरें विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित की जाती है न कि राज्य सरकार द्वारा। वैसे अभी भी हमारे यहां बिजली दरें महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा से काफी कम है। भगवानपुर विधानसभा उपनिर्वाचन के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने अपना काम किया है और पूरा भरोसा है कि जनता अपना आर्शीवाद हमे देगी।


कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें