बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महादलितों को विकास की मुख्य धारा में लाने के संकल्प को दुहराते हुए आज कहा कि उनकी सरकार ने समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के विकास की गति को तेज करने के उद्देश्य से शिक्षा, कौशल विकास एवं आवास के लिये कई योजनायें बनायी है। श्री कुमार ने यहां बाबा साहब भीमराव अंबेदकर जयंती के अवसर पर विकास मित्रों के लिये एकदिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुये घोषणा की कि विकास मित्र 60 साल तक कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि 18 से 50 साल तक विकास मित्र का चयन होगा तथा वे 60 साल की उम्र तक कार्य करेंगे। 60 वर्षों तक विकास मित्रों की नौकरी रहेगी। इस दौरान उन्होंने विकास मित्रों का मानदेय छह हजार रूपये से बढ़ाकर सात हजार रूपये करने की भी घोषणा की । मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने ऐसी व्यवस्था कर दी है कि अब विकास मित्रों को कोई हटा नहीं सकेगा तथा उनका मानेदय बढ़ता रहेगा। उन्होंने कहा कि डाॅ0 बाबा साहब भीमराव अंबेदकर की जयंती की पूर्व संध्या पर उन्मुखीकरण का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि पहले यह कार्यक्रम कल होना था।
श्री कुमार ने कहा कि विकास मित्र एवं राज्य के अनुसूचित जाति के लोग ही डाॅ0 बाबा साहब भीमराव अंबेदकर के वंशज हैं। उनलोगों का कार्यक्रम प्रचार के लिये है। आज कल तरह-तरह की प्रवृति राजनीति में हो गयी है। पता नहीं कल कौन-कौन से जुमले के लिये लोग इकट्ठा हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि महादलित जो हाशिये पर थे, उन्हें उनकी सरकार ने पहचान दिलाई जबकि हम पर ही दलितों काे बांटने का आरोप लग रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास मित्रों को महत्वपूर्ण जिम्मेवारी सौंपी गयी है। समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के विकास की गति को तेज किया जाये, इसके लिये सरकार ने उनके शिक्षा, कौशल विकास एवं आवास के लिये योजना बनायी। अनुसूचित जाति समाज में एक बहुत बड़ा तबका था, जिनके पास रहने के लिये बास नहीं था, वह तबका महादलित का था। महादलित एवं दलित समाज के लोगों के लिये बास भूमि की योजना बनायी। श्री कुमार ने कहा कि इसके अलावा महादलितों के लिये रेडियो योजना, स्वास्थ्य, शौचालय, दशरथ माॅझी कौशल विकास योजना शुरू की गयी। पहले से अनुसूचित जाति के लिये चली आ रही योजनाओं के अतिरिक्त वर्तमान सरकार ने अलग से इन योजनाओं की शुरूआत की है। महादलितों के बांटने के आरोप को सिरे से खारिज करते हुए श्री कुमार ने कहा कि उन्होंने दलितों को बाॅटा नहीं बल्कि महादलितों को सशक्त किया।

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