बालाघाट (मध्यप्रदेश) की खबर (08 मई) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 8 मई 2015

बालाघाट (मध्यप्रदेश) की खबर (08 मई)

मनीषा ने राष्ट्रीय शालेय खेल प्रतिशेगिता में जीता कांस्य पदक
balaghat news
जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बैहर की कक्षा 8 वीं की बालिका कुमारी मनीषा तिलगाम ने पुणे में चल रही राष्ट्रीय शालेय खेल प्रतियोगिता में रायफल शूटिंग प्रतियोगिता में कांस्य पदक हासिल कर जिले का नाम रोशन किया है। पुणे में 6 से 9 मई 2015 तक चलने वाली इस प्रतियोगिता के दूसरे दिन मनीषा ने म.प्र. की टीम के लिए यह पदक हासिल किया है। शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला बैहर की कक्षा 8 वीं की बालिका कुमारी मनीषा तिलगाम सहित तीन छात्राओं का 28 अप्रैल से 04 मई 2015 तक प्री नेशनल कोचिंग केम्प इंदौर के लिए चयन किया गया था। इंदौर के इस केम्प में मनीषा का चयन म.प्र. की टीम के लिए किया गया था। मनीषा ने पुणे में चल रही तीन दिवसीय राष्ट्रीय शालेय खेल प्रतियोगिता में ओपन साईट रायफल शूटिंग में अपनी प्रतिभा के दम पर म.प्र. के लिए कांस्य पदक हासिल किया है। मनीषा की इस सफलता से बालाघाट जिले का नाम भी रोशन हुआ है। मनीषा की इस सफलता के पीछे उसके कोच नवजीत सिंह परिहार का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है।  

वारासिवनी, बैहर, कटंगी एवं लांजी में शीघ्र प्रारंभ होगा संपत्ति का ई-पंजीयन
  • सर्विस प्रोवाईडर के लिए 20 मई तक आवेदन पत्र आमंत्रित
सूचना तकनीक एवं संचार के क्षेत्र में हुई क्रांति का बेहतर उपयोग करते हुए प्रदेश सरकार ने चल-अचल संपत्ति के ई-पंजीयन का कार्य पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में प्रदेश के उज्जैन, अनुपपुर, बालाघाट, टीकमगढ़ एवं सिहोर जिले में 15 दिसम्बर 2014 से प्रारंभ किया गया है। पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में प्रारंभ किये गये इस कार्य को बालाघाट जिला सफलता पूर्वक लागू करने में प्रदेश का अग्रणी जिला बन गया है। चल-अचल संपत्ति के ई-पंजीयन के इस पेपरलेस एवं केशलेस कार्य को शीघ्र ही जिले में स्थित उप पंजीयक कार्यालय वारासिवनी, बैहर, कटंगी एवं लांजी में भी प्रारंभ करने की तैयारियां प्रारंभ कर दी गई है।  जिला पंजीयक सुश्री निधी जैन ने बताया कि उप पंजीयक कार्यालय वारासिवनी, बैहर, कटंगी एवं लांजी में शीघ्र ही चल-अचल संपत्ति के ई-पंजीयन का कार्य प्रारंभ कर दिया जायेगा। ई- पंजीयन कार्य करने के लिए इच्छुक सर्विस प्रोवाईडर से  आगामी 20 मई 2015 तक आनलाईन आवेदन आमंत्रित किये गये है। आनलाईन आवेदन की प्रक्रिया जानने के लिए संबंधित उप पंजीयक कार्यालय में सम्पर्क किया जा सकता है। चल-अचल संपत्ति के पंजीयन के लिए निर्धारित योग्यता रखने वाला कोई भी व्यक्ति सर्विस प्रोवाईडर बन सकता है और इसके लिए आनलाईन आवेदन कर सकता है। सर्विस प्रोवाईडर बनने के लिए आवेदक को पंजीयन विभाग की वेवसाईट www.mpigr.gov.in पर जाकर अपना एक एकाउंट बनाना होता है। एकाउंट बनाने के बाद उसे इसी वेवसाईट पर लायसेंस के लिए आवेदन पत्र एक हजार रु. का शुल्क आनलाईन भर कर जमा करना होता है। आवेदन प्राप्त होने पर जिला पंजीयक द्वारा तत्काल सेवा प्रदाता को लायसेंस प्रदान कर दिया जाता है। यह लायसेंस एक वर्ष की अवधि के लिए होता है। अवधि समाप्त होने पर इसका नवीनीकरण किया जा सकता है। ऐसा व्यक्ति जिसके पास कम्प्यूटर, इंटरनेट एवं नेट बैंकिग हो वह अपने खाते में पर्याप्त राशि जमा कर स्टाम्प के लिए क्रेडिट लिमिट ले सकता है। चल-अचल संपत्ति की खरीदी करने वाले व्यक्ति को संपत्ति के ई-पंजीयन के लिए सेवा प्रदाता के पास जाना होता है। सेवा प्रदाता पंजीयन विभाग की वेवसाईट www.mpigr.gov.in पर बनाये गये अपने एकांउट के द्वारा संपदा साफ्टवेयर में संपत्ति की सम्पूर्ण जानकारी भरता है। वेवसाईट पर ही संपत्ति के बाजार मूल्य का पता चल जाता है और उसी के अनुसार स्टाम्प शुल्क तय हो जाता है। सेवा प्रदाता संपत्ति के नये मालिक की फोटो, हस्ताक्षर, अंगूठे का निशान, संपत्ति का रकबा, खसरा, नक्शा आदि के दस्तावेज वेवसाईट पर अपलोड कर देता है। सेवा प्रदाता संपत्ति के नये मालिक से स्टाम्प शुल्क की राशि ले लेता है। संपत्ति का मालिक चाहे तो पंजीयन शुल्क की राशि भी सेवा प्रदाता को प्रदान की जा सकती है।  संपत्ति के नये मालिक से स्टाम्प शुल्क की राशि प्राप्त होने पर सेवाप्रदाता अपने नेट बैंकिग खाते से स्टाम्प शुल्क की राशि जमा कर देता है। यह राशि जमा होते ही संपत्ति के मालिक के लिए एक नया नम्बर जनरेट होता है और सेवा प्रदाता इन नये नम्बर का दस्तावेज प्रिंट कर संपत्ति के मालिक को दे देता है। संपत्ति का मालिक इस दस्तावेज को लेकर उप पंजीयक कार्यालय में आता है। उप पंजीयक कार्यालय में संपत्ति के मालिक की फिर से फोटो और अंगूठे का निशान लिया जाता और इलेक्ट्रानिक पेन से उसके हस्ताक्षर कराये जाते है। सेवा प्रदाता द्वारा आनलाईन भरी गई जानकारी से इसका मिलान किया जाता है। सही-सही मिलान होने पर संपत्ति का ई-पंजीयन हो जाता है और 10 मिनट के भीतर मालिक को पंजीयन का मूल दस्तावेज प्रिंट कर प्रदान कर दिया जाता है। 

भूकम्प प्रभावितों की सहायता के लिए 2.59 लाख रु. की राशि जमा

25 अप्रैल 2015 को पड़ोसी देश नेपाल में आये भीषण भूकंप से प्रभावित लोगों की सहायता के लिए जिले के लोग सहृदयता से दान दे रहे है। अब तक कलेक्ट्रेट कार्यालय में 2 लाख 59 रु. की राशि के चेक प्राप्त हो चुके है।भूकंप प्रभावितों की मदद के लिए गर्रा राईस मिल एसोसियेशन भगत राईस मिल गर्रा द्वारा 21 हजार रु. की नगद राशि दान में दी गई है। नगर पालिका बालाघाट द्वारा 78 हजार 915 रु., सेठ ताराचंद कालूराम बाफना ट्रस्ट द्वारा 21 हजार रु., इंडियन मेडिकल एसोसियेशन बालाघाट द्वारा एक लाख 21 हजार रु. तथा नगर पालिका कटंगी द्वारा 17 हजार 254 रु. की राशि का चेक मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराने के लिए दिया है। इस प्रकार अब तक जिले से  2 लाख 59 हजार रु. की राशि नगद एवं चेक के रूप में नेपाल भूकंप प्रभावितों की मदद के लिए एकत्र हो चुकी है। 

एन.सी.सी. संयुक्त वार्षिक प्रशिक्षण शिविर में कैडेट्स कर रहे हैं फायरिंग का अभ्यास

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संयुक्त वार्षिक प्रशिक्षण कैम्प-1 में जबलपुर ग्रुप के विभिन्न संस्थाओं से आए एन.सी.सी. कैडेट्स का शस्त्र प्रशिक्षण कम्पनी वार प्रशिक्षण कार्य प्रारम्भ है । ड्रिल, पीटी, खेलकूद, व्याख्यान के साथ ही कैडेट्स को फायरिंग का अभ्यास कराया जा रहा है । कैम्प में सम्मलित सभी कैडेट्स/छात्र सैनिकों को चार कम्पनी में विभाजित कर प्रतियोगिताएं एवं प्रशिक्षण कार्य प्रारम्भ किया गया है । 8 मई को अल्फा कम्पनी के कैडेट्स ने फायरिंग का अभ्यास किया तथा उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कैडेट्स का चयन अगले राऊंड के लिए किया गया। फायरिंग का अभ्यास कैम्प कमांडेंट ले. कर्नल श्री कुमार, एसएम एवं डिप्टी कैम्प कमांडेंट ले. कर्नल राजीव पुनिया के सफल निर्देशन में किया गया। इस दौरान फर्स्ट ऑफीसर डॉ. युवराज राहंगडाले, सेकेंड ऑफीसर गणेश सोनी, नायब सुबेदार राजेन्द्र सिंह, हवलदार संतोष भाण्डे, हवलदार रूप सिंह, हवलदार तरसेम लाल, हवलदार चिलमर सिंह, हवलदार गणेश सिंह, नायक कुलदीप सिंह द्वारा फायरिंग का पूर्व प्रशिक्षण प्रदान कर फायरिंग सम्पन्न कराने में सहयोग प्रदान किया है ।

यात्री बसों की फिटनेस चेक करने के  लिये चलेगा विशेष अभियान
मध्यप्रदेश में यात्री बसों की फिटनेस चेक करने के लिये विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है। अभियान का उद्देश्य यात्री बसों की दशा सुधारना और बस ऑपरेटरों की मनमानी पर नकेल कसना है। बस की फिटनेस ठीक नहीं होने और आपातकालीन खिड़की की सुविधा उपलब्ध न होने पर यात्रियों को सुविधा दी जा रही है कि वे परिवहन आयुक्त, ग्वालियर के टेलीफोन नम्बर-0751-2423105 एवं 2423113 पर शिकायत दर्ज करवा सकेंगे। परिवहन आयुक्त श्री शैलेन्द्र श्रीवास्तव के अनुसार यात्री वाहनों के फिटनेस प्रमाण-पत्र एक साल की अवधि के लिये जारी किये जाते हैं। प्रमाण-पत्र जारी करते समय वाहन के तकनीकी परीक्षण के साथ ही बैठक व्यवस्था एवं आपातकालीन खिड़की लगी होना सुनिश्चित किया जाता है। कतिपय वाहन स्वामियों द्वारा प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के बाद आपातकालीन खिड़की हटाकर अतिरिक्त सीट लगा दी जाती है, जो पूर्णत: गलत है। परिवहन विभाग द्वारा मुहिम चलाकर ऐसे वाहन स्वामियों के वि ध्द कार्यवाही की जा रही है।यात्रियों से अनुरोध किया गया है कि आपातकालीन खिड़की की व्यवस्था न होने पर बस का नम्बर नोट कर उसकी सूचना तत्काल परिवहन आयुक्त कार्यालय के दूरभाष पर दें। ऐसी सूचना 24 घंटे ली जा सकेगी। उल्लंघन करने वाले वाहन स्वामियों के वि ध्द मोटर-यान अधिनियम एवं उसके नियमानुसार कड़ी कार्यवाही की जायेगी। आमजन से इस दिशा में सहयोग की अपील की गयी है।

ऑंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाओं की डयूटी अन्य कार्य में नहीं लगाने के निर्देश
  • सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी को करवाया अवगत

ऑंगनवाड़ी केन्द्रों द्वारा गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ देने की निरंतरता के लिये ऑंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं को गैर-आईसीडीएस सेवाओं से संबध्द नहीं किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने एक परिपत्र जारी कर सभी विभाग, विभागाध्यक्ष, संभागायुक्त, कलेक्टर और जिला पंचायत के  मुख्य कार्यपालन अधिकारी को अवगत करवाया है। ऑंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाओं की आईसीडीएस कार्यों के अतिरिक्त अन्य कार्यों में डयूटी नहीं लगाये जाने के संबंध में महिला-बाल विकास विभाग द्वारा समय-समय पर निर्देश जारी किये गये हैं। इसके बावजूद यह देखने में आया कि इनकी डयूटी अन्य कार्य जैसे परिवार कल्याण कार्यक्रम में प्रेरक के रूप में, लक्ष्य दम्पति सर्वे, अंत्योदय सर्वे, स्वच्छता दूत, शौचालय की गिनती, आयोडीन नमक की जाँच, गाँव में कुओं की गिनती, उनमें दवा डालने, जन-गणना कार्य, चुनाव डयूटी, फोटो चुनाव नामावली, बूथ-लेवल अधिकारी के कार्य, समग्र सामाजिक सुरक्षा मिशन के सर्वे, पशु सर्वे, पशु संगणना आदि में लगायी जाती है। कार्य नहीं करने पर कार्यकर्ता, सहायिका के वि ध्द कार्रवाई जैसे मानदेय काटना, स्पष्टीकरण दिया जाना इत्यादि भी किया जाता है। ऑंगनवाड़ी कार्यकर्ता को गैर-आईसीडीएस कार्यों में संबध्द किये जाने से ऑंगनवाड़ी केन्द्रों की सेवाएँ लम्बे समय तक प्रभावित रहती हैं। साथ ही बच्चों के पोषण-स्तर में सुधार बाधित होता है। बाधित सुधार को पुन: ठीक करने में काफी समय और अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता होती है, जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिये उचित नहीं है। सचिव, भारत सरकार महिला-बाल विकास मंत्रालय, नई दिल्ली के एक फरवरी, 2011 के अर्द्ध-शासकीय पत्र में भी आईसीडीएस अमले से गैर-आईसीडीएस के कार्य नहीं करवाये जाने के निर्देश दिये गये हैं। वर्तमान में प्रदेश में 80 हजार 160 ऑंगनवाड़ी केन्द्र तथा 12 हजार 70 मिनी ऑंगनवाड़ी केन्द्र स्वीकृत हैं। ऑंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा इन केन्द्रों के माध्यम से 6 वर्ष तक के बच्चों को पूरक-पोषण आहार देकर सुपोषित करने और शाला पूर्व शिक्षा देने का महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहा है। गर्भवती, धात्री माताओं को पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी सेवाएँ दी जाती हैं, जिसकी निरंतरता एवं अति कम वजन वाले बच्चों की निरंतर और विशेष देखभाल की जाती है।

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