वर्षों से अटके पड़े रक्षा सौदों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया को रफ्तार देते हुए अपने 11 महीने के कार्यकाल में मोदी सरकार ने दो लाख करोड़ रूपये से अधिक के सौदों को मंजूरी देने के साथ ही रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादन बढाने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 26 से 49 फीसदी कर बड़ा नीतिगत कदम उठाया है जिन्हें सरकार की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
अरबों रूपये का बहुचर्चित राफाल लड़ाकू विमान सौदा भी लंबे समय से बातचीत में फंसा हुआ था लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद पहल करते हुए संबंधित कंपनी के बजाय ये विमान सीधे फ्रांस सरकार से खरीदने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया। लेकिन लंबे समय से वायुसेना के लिए परिवहन विमान खरीदने का मामला इस सरकार के 11 महीनों में आगे नहीं बढ पाया।
भूतपूर्व सैनिकों के लिए एक रैंक एक पेंशन योजना लागू करने का पिछली सरकार में सैद्धांतिक निर्णय होने के बावजूद इस पर अभी तक अमल नहीं हो पाया है। मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद रक्षा क्षेत्र के लिए नई खरीद नीति लाने की घोषणा की लेकिन अभी तक इसे मूर्त रूप नहीं दिया जा सका है।
अपनी महत्वाकांक्षी योजना मेक इन इंडिया को धरातल पर लाने के लिए भी रक्षा क्षेत्र को बड़ा जरिया मान रही इस सरकार ने हजारों करोड़ रूपये के रक्षा उपकरणों का देश में ही विनिर्माण करने का निर्णय लिया है।

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