राज्यसभा में आज सदस्यों ने सरकार पर ललित कला अकादमी के कामकाज को असंवैधानिक तरीके से अपने हाथ में लेने का आरोप लगाते हुए इसकी स्वायत्ता बहाल करने की मांग की।
जनता दल यू के अली अनवर अंसारी ने आज शून्यकाल में यह मामला उठाते हुए कहा कि अकादमी के अध्यक्ष कल्याण कुमार चक्रवर्ती को मनमाने ढंग से पद से हटा दिया गया है। इसके लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी भी नहीं ली गई है। उन्होंने कहा कि सरकार अकादमी में असामान्य स्थिति उत्पन्न होने या वित्तीय अनियमितता पाये जाने पर ही इसके कामकाज को अपने हाथ में ले सकती है। इस मामले में श्री चक्रवर्ती के खिलाफ वित्तीय अनियमित्तता का कोई आरोप नहीं है लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है आैर एक अन्य आरोपी अधिकारी को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
श्री अंसारी ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक वेनु वासुदेवन को भी अचानक उनके पद से हटा दिया है। उन्होंने कहा कि इन दोनों मामलों में कला क्षेत्र के 130 जाने माने लोगों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर गुहार लगाई है। वह सरकार से इन संस्थाओं की स्वायत्ता बहाल करने की मांग करते हैं। उन्हीं की पार्टी के शरद यादव ने भी कहा कि यह मामला गंभीर है और स्वायत्त संस्थाओं का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।
मार्क्सवादी सीताराम येचुरी ने भी उनकी बात का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि वह संस्कृति मंत्रालय से जुड़ी समिति के अध्यक्ष हैं और समिति ने इस तरह की संस्थाओं की स्थिति के बारे में रिपोर्ट तैयार की थी लेकिन वह किसी कारण से सदन में पेश नहीं हो सकी थी। समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने भी सरकार पर देश की संस्कृति पर कुठाराघात करने का आरोप लगाया।

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