डॉलर के मुकाबले रुपया 20 महीने के निचले स्तर पर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 7 मई 2015

डॉलर के मुकाबले रुपया 20 महीने के निचले स्तर पर

डॉलर के मुकाबले गुरुवार को रुपया 20 महीने के निचले स्‍तर पर आ गया है। बिकवाली के दबाव में रुपया 64.23 के स्‍तर पर बंद हुआ। डॉलर के मुकाबले रुपया 9 सितंबर, 2013 के निचले स्तर पर फिसल गया है। रुपए में गिरावट से आने वाले दिनों मे खाने-पीने की वस्‍तुओं सहित कई चीजे महंगी हो सकती हैं। भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी पेट्रोलियम पदार्थ आयात करता है। रुपए में गिरावट से इनका आयात महंगा हो जाएगा। इसके चलते घरेलू बाजार में इनकी कीमतें बढ़ सकती हैं और महंगाई में उछाल आ सकता है। इस बीच, शेयर बाजार में भी गिरावट दर्ज की गई। गुरुवार को 17 दिसंबर, 2014 के बाद निफ्टी पहली बार 8000 प्वाइंट के नीचे आया। हालांकि, बाद में वह फिर ऊपर आया और 8 हजार के स्तर को पार कर गया।

डॉलर के मुकाबले रुपया 69 पैसे (1.09 फीसदी) की कमजोरी के साथ 64.23 के स्तर पर बंद हुआ। डॉलर के मुकाबले रुपया 9 सितंबर 2013 के निचले स्तर पर फिसल गया है। गुरुवार सुबह रुपया 24 पैसे की कमजोरी के साथ 63.78 पर खुला और गिरावट बढ़ती गई। बुधवार को यह 63.54 रुपए प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। फॉरेक्स एक्सपर्ट का कहना है कि रुपए में गिरावट का बड़ा कारण सरकार की आर्थिक मोर्चे पर नाकामी है, जिसके चलते विदेशी संस्थागत निवेशक भारतीय बाजारों से पैसा निकालकर अन्य एशियाई देश चीन और सिंगापुर की ओर रुख कर रहे हैं। ऐसे में, इसमें भारी गिरावट आ सकती है। सिटी अपनी रिपोर्ट में रुपए के 69 के स्‍तर तक लुढ़कने का अंदेशा जता चुकी है।

एक्‍सपर्ट क्‍या मानते हैं रुपए में गिरावट की वजह
- MAT सहित अन्‍य टैक्‍स मसलों पर नाराज FII भारतीय बाजारों से बिकवाली कर रहे हैं।
- रुपया ओवरवैल्यूड हो गया था, जिसके चलते उसमें करेक्‍शन हो रहा है।
- ग्‍लोबल मार्केट में क्रूड की कीमतों में तेजी।
- एफआईआई की बिकवाली से भारतीय शेयर बाजारों में तेज गिरावट।
- निर्यात के माेर्चे पर हम लगातार पिछड़ रहे हैं, जबकि हमारा आयात बढ़ रहा है।

भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी पेट्रोलियम प्रोडक्‍ट आयात करता है। रुपए में गिरावट से पेट्रोलियम पदार्थों का आयात महंगा हो जाएगा। तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की घरेलू कीमतों में बढ़ोत्‍तरी कर सकती हैं। डीजल के दाम बढ़ने से माल ढुलाई बढ़ जाएगी, जिसके चलते महंगाई में तेजी आ सकती है। 2013-14 के दौरान देश में 16515.37 करोड़ डॉलर का पेट्रोलियम उत्पाद आयात हुआ था। इसके अलावा, भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है। रुपए के कमजोर होने से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें बढ़ सकती हैं। 2013-14 में 933.67 करोड़ डॉलर का खाद्य तेल और 174.39 करोड़ डॉलर की दाल का आयात हुआ था।

रुपए में गिरावट से गर्मियों की छुट्टियों में विदेश घूमने की प्‍लानिंग कर रहे लोगों का बजट बढ़ सकता है। इसके अलावा, रुपए में गिरावट के चलते विदेश में शिक्षा हासिल करना भी महंगा हो जाएगा।

रुपए में गिरावट का फायदा निर्यातकों खासकर आईटी, फार्मा, टेक्‍सटाइल, डायमंड, जेम्‍स एवं ज्‍वैलरी सेक्‍टर को मिलेगा। इसके अलावा देश से चाय, कॉफी, चावल, गेहूं, कपास, चीनी, मसाले का भी अच्‍छा खासा निर्यात होता है। यानी कृषि और इससे जुड़े उत्‍पाद के निर्यातकों को भी रुपए में गिरावट का लाभ होगा। 2013-14 के दौरान भारत से 4106.74 करोड़ डॉलर का जेम्स एंड ज्वैलरी निर्यात हुआ है। जबकि टेक्सटाइल और टेक्सटाइल उत्पादों का निर्यात 3147.62 करोड़ डॉलर का हुआ है। इस अवधि में 4,257.04 करोड़ डॉलर का कृषि और इससे जुड़े उत्पादों का निर्यात हुआ है।

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