एनसीईआरटी की पाठ्य-पुस्तक से विवादित बातें हटाएं : आईएमए - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 10 जुलाई 2015

एनसीईआरटी की पाठ्य-पुस्तक से विवादित बातें हटाएं : आईएमए


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 इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने एनसीईआरटी की सातवीं क्लास की पाठ्य-पुस्तक में प्राइवेट हेल्थ केयर सेवाओं के बारे में कही गई विवादपूर्ण बातों पर कड़ी आपत्ति जताई है। सोशल पॉलिटिकल लाइफ 2 विषय के दूसरे पाठ में रोल ऑफ गर्वमेंट इन हेल्थ में प्राइवेट हेल्थ फैसिलिटीज के उपभाग के अंतर्गत बहुत ही विवादपूर्ण बातें कहीं गई हैं। इसमें लिखा गया है कि पैसा कमाने के लिए यह निजी सेवा प्रदान करने वाले अनुचित गतिविधियों को प्रोत्साहित करते हैं। कई मौकों पर सस्ते तरीके उपलब्ध होने के बावजूद प्रयोग नहीं किए जाते। उदाहरण के लिए डॉक्टर आम तौर पर बेमतलब की दवाएं, इंजेक्शन और खारे पानी की बोतलें देते रहते हैं, जबकि गोलियों या साधारण दवा काफी होती है।

किताब के पन्ना संख्या 22-23 पर एक कॉमिक स्टरिप में सरकारी और प्राईवेट अस्पतालों की तुलना करते हुए जो दिखाया गया है वह भी अशोभनीय है। इसमें दिखाया गया है कि जिस बीमारी का इलाज प्राइवेट हस्पताल में 3500 रुपये में होता है सरकारी हस्पताल में उसी का इलाज 150 रुपये में होता है। 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डा. के.के. अग्रवाल का कहना है कि स्टूडेंट्स को यह संदेश जाएगा कि प्राइवेट क्षेत्र के डॉक्टर पैसे बनाने में लगे हैं लेकिन सरकारी खर्च की तुलना में हिसाब लगाते हुए प्राइवेट अस्पताल के मूलभूत ढांचे, मेडिकल उपकरणों, स्टाफ के वेतन, डॉक्टरों की तनख्वाह और साथ जुड़े हुए मेडिकल कॉलेजों के खर्च पर गौर नहीं किया गया। इन खर्चो को बिना जोड़े सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र के अस्पतालों की तुलना नहीं की जा सकती। 

दिन प्रतिदिन देश में मेडिकल पेशेवरों पर हिंसात्मक हमलों की संख्या इतनी बढ़ती जा रही है कि देश के 17 राज्यों में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया गया है।  एनसीईआरटी की किताबों में इस किस्म के वाक्य स्टूडेंट्स को भ्रमित कर देंगे और उनका प्राईवेट सेवाओं से विश्वास हट जाएगा। उस उम्र में जब बच्चे अपना फैसला खुद लेने की अवस्था में नहीं होते इस तरह की शिक्षा प्राप्त करेंगे तो मरीज और डॉक्टर के संबंध पूरी तरह से बिगड़ जाएंगे।

इस मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और एनसीईआरटी को चाहिए कि वह इस पाठ को हटाने के निर्देश दें और इसे दोबारा शामिल करने के लिए इसे सुधार कर लिखा जाए। आईएमए ने भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बारे में पत्र लिखा है और इसकी प्रति प्रणाब मुखर्जी (राष्ट्रपति), मोहम्मद हामिद अंसारी (उपराष्ट्रपति), जेपी नड्डा (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री), स्मृति जुबिन ईरानी (मानव संसाधन विकास मंत्री) एवं निदेशक (एनसीईआरटी) को भी भेजी गई है। 

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