भारत और पाकिस्तान मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकवादी हमले से संबंधित मामले की सुनवाई में तेजी लाने पर शुक्रवार को सहमत हो गए। दोनों देशों के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक बुलाने तथा आतंकवाद को मिटाने के लिए एक-दूसरे का सहयोग करने पर भी सहमति बनी। दोनों देशों के बीच यह सहमति भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के बीच हुई द्विपक्षीय बातचीत में बनी। मोदी और नवाज की द्विपक्षीय बातचीत के बाद भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर और पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज अहमद चौधरी ने एक संयुक्त बयान में कहा कि दोनों नेताओं की मुलाकात और बातचीत अच्छे माहौल में हुई। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय और क्षेत्रीय हित के मुद्दों पर चर्चा की।
पाकिस्तानी विदेश सचिव चौधरी ने कहा, "दोनों नेताओं ने इस पर सहमति जताई कि क्षेत्र में शांति एवं विकास सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भारत तथा पाकिस्तान दोनों की है और इसके लिए वे सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं।" उन्होंने कहा, "दोनों नेताओं ने हर तरह के आतंकवाद की निंदा की और इस पर सहमति जताई कि दक्षिण एशिया से इस खतरे को समाप्त करने के लिए वे एक-दूसरे के साथ सहयोग करेंगे।" मोदी और नवाज ने आतंकवाद से संबंधित सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की नई दिल्ली में बैठक बुलाने सहित पांच कदमों पर सहमति जताई। इनमें भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) तथा उनके पाकिस्तानी समकक्ष पाकिस्तान रेंजर्स के बीच महानिदेशक स्तर की वार्ता और दोनों देशों के बीच सैन्य संचालन महानिदेशक स्तर की वार्ता पर भी सहमति बनी।
दोनों देशों ने एक-दूसरे की जेलों में बंद मछुआरों को उनकी नौकाओं सहित 15 दिन के भीतर रिहा करने, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए व्यवस्था बनाने पर भी सहमति जताई। साथ ही मुंबई हमले से जुड़े मामले की सुनवाई में तेजी लाने पर दोनों पक्ष सहमत हुए, जिसमें हमलावरों की आवाज के नमूने जैसी अतिरिक्त सूचना मुहैया कराना भी शामिल है। वार्ता के दौरान नवाज ने वर्ष 2016 में पाकिस्तान में प्रस्तावित दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मोदी को पाकिस्तान दौरे का न्योता दिया, जिसे मोदी ने स्वीकार कर लिया। मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकवादी हमले में 166 लोगों की जान चली गई थी, जिसे पाकिस्तान के 10 आतंकवादियों ने अंजाम दिया था। इस दौरान वे लगातार पाकिस्तान में अपने सरगनाओं के संपर्क थे।

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