भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के समर्थन में “Join The Question March” - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


गुरुवार, 2 जुलाई 2015

भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के समर्थन में “Join The Question March”

Join The Question March
 (भोपाल), आज दिनांक  2 जुलाई 2015 को भोपाल के संगठनों ,नागरिकों,सांस्कृतिक-मीडि़याकर्मी विधार्थीयों द्वारा भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान  "FTII" पुणे के समर्थन में आज ही के दिन देष भर के प्रमुख शहरों में हो रहे “Join The Question March” का आयोजन किया गया। यह विरोध प्रदर्षन भोपाल के बोर्ड आफिस चैराहे पर हुआ जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। विद्ति हो कि हाल ही में सरकार द्वारा भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान में की गई नियुक्तियों के खिलाफ वहाॅ के विधार्थी लगातार प्रोटेस्ट कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनमें योग्यता की कमी तो है ही साथ ही साथ यह मोदी सरकार का अकादमिक एवं संस्थानों के स्वायतता और उनमें एक खास विचारधारा के लोगों की नियुक्ति प्रक्रिया का एक अंग है।  इस दौरान प्रदर्षनकारियों द्वारा भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के विधार्थीयों के मांगों के समर्थन में पर्चा वितरित किया गया, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में जनगीत गाये गये और वर्तमान में सांस्कृतिक व अकादिमिक संस्थानों की परिस्थितियों पर नुक्कड नाटक का आयोजन किया गया। 

इस दौरान प्रगितिशील लेखक संघ के विनित तिवारी ने कहा कि मौजूदा सरकार अपने दंक्षिणपंथी ऐजेंडे को लागू करने के लिए शैक्षिणक संस्थाओं और सांस्कृतिक संस्थानों को विशेष तौर पर अपना निषाना बना रही है, जिसका उद्देष्य आलोचनात्मक तौर तरीकों एवं तर्कवादी सोच पर लगाम लगाया जा सके। इस दिषा में भारतीय इतिहास शोध परिषद,नेष्नल बुक ट्रस्ट जैसे संस्थानों में संघ परिवार और भाजपा से जुड़े लोगों को पहले ही नियुक्त किया जा चुका है, जिनकी उन क्षेत्रों में योग्यता पर भी प्रश्नचिन्ह हैं। जनवादी लेखक संघ के रामप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि सरकार इन संस्थानों में भगवाकरण के ऐजेंडे को लागू कर ही रही है साथ ही साथ इसका उद्देष्य इन संस्थानों के नीजिकरण का रास्ता भी साफ करना है 

प्रगतिशील लेखक संघ के शैलेन्द्र शैली ने कहा कि मोदी सरकार ऐसे कदम उठा कर वास्तविक मुद्दों से जनता का ध्यान हटाना चाहती है और इसकी आड में वो अपने काॅरपरेटपस्त और पूँजीवादी नीतियों को लागू करना चाहती है। जनवादी महिला समिति की नीना शर्मा ने कहा कि सांस्कृतिक एवं अकादिमक संस्थाओं पर सरकार एवं संघ परिवार का ये हमला आने वाले अंधेरे दिनों का संकेत है, इसके प्रतिरोध में  सांस्कृतिककर्मीयों,मीडि़या और युवाओं को आगे आना चाहिए। शिक्षा अधिकार मंच के लोकेश  ने कहा कि दरअसल यह दो तरफा हमला है। मोदी सरकार एक तरफ तो संस्थानों का भगवाकरण कर ही रही है, इसी के साथ साथ इन संस्थाओं के नीजिकरण और इनकी धार को कम करने की कवायत भी जारी है ताकि देष में प्रतिरोध एवं जनपक्षीय आवाजों को कम किया जा सकें। 

न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव की उपासना ने कहा कि हम भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के विधार्थीयों के मांगों का समर्कन करते हैं और मांग करते हैं कि देष के षिक्षण और सांस्कृतिक संस्थानों में किसी एक खास विचारधारा को बढ़ावा देने की प्रवृति पर रोक लगाया जाये और इन्हें स्वतंत्र ही रहने दिया जाये। इस दौरान वरिष्ठ कवि कुमार अंबुज ने कविता पाठ भी किया। 

कोई टिप्पणी नहीं: