मामला घर में शौचालय नहीं रहने के काॅलेज की छात्रा खुशबू कुमारी के आत्महत्या की - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 11 जुलाई 2015

मामला घर में शौचालय नहीं रहने के काॅलेज की छात्रा खुशबू कुमारी के आत्महत्या की

  • डीसी दुमका राहुल कुमार सिन्हा ने कहा काफी पीड़ादायक व बिडम्बनापूर्ण घटना 
  • खुले में शौच के कारण आत्महत्या करने वाली खुशबू ने स्वच्छ भारत मिशन पर लगाया सवालिया निशान 

khushbu sucide dumka
उपराजधानी दुमका में निर्मल ग्राम योजना से लेकर स्वच्छ भारत मिशन तक पिछले कई वर्षों से कराये जा रहे कार्यो की पोल अचानक तब खुल गई जब उपराजधानी के दुधानी पंचायत की एक कॉलेज छात्रा खुशबू कुमारी ने घर में शौच नहीं रहने के कारण खुदकुशी कर अपनी इहलीला समाप्त कर ली। इस खबर ने पूरे देश की स्वच्छता व्यवस्था पर तो सवालिया निशान खड़ा कर ही दिया है, पीएम नरेन्द्र मोदी के इरादों के भारत का हश्र राज्यों में क्या है, इससे भी अवगत करा दिया है। ए0एन0महावद्यिालय, दुमका में बी0ए0 पार्ट-1 की छात्रा खुशबू कुमारी खुले में शौच के विरुद्ध थी। परिवार की आर्थिेक स्थिति भी इतनी मजबूत नहीं थी कि एक बेहतर शौचालय का निर्माण कराया जा सके। घर के अन्य सदस्य खुले में ही शौच जाते थे। अपने घर में शौचालय नहीं रहने के कारण बाजू में ही स्थित (गोशाला रोड) वह अपने नानी घर शौच के लिये जाया करती थी। बचपन से वर्ष 2010 तक खुशबू अपने नानी घर में ही रहा करती थी। घटना के दिन भी युवती नानी घर ही शौच के लिये गई थी। प्रातः आठ बजे नानी घर से वह वापस अपने घर लौटी थी। 

हटिया से बकरा खरीदने के लिये उसने भाई को पैसे दिये और उसे घटनास्थल से भेज दिया। रोज की भांति घटना के दिन भी वह कुँऐं के समीप बर्तन मांजने बैठ गई। इसी दौरान उसकी माँ खुले में शौच के लिये निकल गई। कुछ बर्तन साफ करने के बाद उसने घर पहुँचकर दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। घर में नायलन रस्सी के सहारे एसबेस्टस को टिकाये बाँस की बल्ली पर रस्सी को बाँध दिया तथा गले में पहनकर उसे झूल गई। शौच से लौटने के बाद काफी देर तक उसकी माँ ने दरवाजा खटखटाया। अंदर से कोई प्रतिक्रिया न आने के बाद पड़ोसियों की मदद से जब दरवाजा तोड़ा गया तो वहाँ का दृश्य ही बदल चुका था। जवान बेटी रस्सी के सहारे झूलती हुई पायी गई। दुमका जिला प्रशासन शौच की पाबंदी का अभियान चलाकर अपनी बाहवाही भले ही लूट रही हो पर हकीकत यह है कि कार्यक्रम मात्र दस्तावेजी सबूत ही बन कर रह गया है। स्वच्छ भारत मिशन व जागरूकता अभियान के मद्दे नजर केन्द्र की सरकार द्वारा करोड़ो रुपये खर्च किये जा रहे, बावजूद इस देश की बहु-बेटियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है। इस पूरे कार्यक्रम की निष्पक्ष जांच से कई चैंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं। जिले के ग्रामीण इलाकों में शौचालयों के अस्तित्व पर ऐसे ही प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है। उप राजधानी दुमका में 10 प्रखण्ड हैं। 

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उपरोक्त तमाम प्रखण्डों की स्थिति लगभग एक जैसी ही है। कागज पर ही शौचालय का निर्माण कराकर सरकारी राशि की लूट लगातार जारी रही। निर्मल भारत अभियान के तहत कागजी खानापूर्ति कर कई पाॅकेट एनजीओ ने अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से खुद की सम्पत्ति तो खूब बनाई किन्तु धरातल पर ठेंगा ही दिखा दिया। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अनुसार लक्ष्य के विरुद्ध 80 फीसदी शौचालयों के निर्माण का कार्य सम्पन्न हो चुका है किन्तु वास्तविकता यह है कि मात्र 10 फीसदी शौचालयों का भी सही तरीके से कार्य सम्पन्न नहीं करवाया जा सका है। इस विभाग के पदाधिकारी अपने कमिशन की फिक्र में ही तत्पर देखे जाते रहे हैं। विदित हो जिले के कुल 206 पंचायतों में 100 पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया है किन्तु हकीकत कुछ और ही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 60 से 70 फीसदी पंचायत निर्मल पंचायत घोषित जा चुके हैं जो महज विभाग के दस्तावेजों तक ही सिमटा पड़ा है। यह भी विदित हो कि जिला परिषद के अध्यक्ष जिला जल एवं स्वच्छता समिति प्रकल्प के पदेन अध्यक्ष होते हैं किन्तु विभाग की अदूरदर्शिता या फिर लालफीताशाही की वजह से प्रकल्प की बैठक एक मर्तबा भी संभव नहीं हो पायी। 

शौचालय नहीं रहने के कारण हुई आत्महत्या पर संज्ञान लेते हुए झामुमों नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता ने मामले में सीबीआइ जांच की माँग कर जिला प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होनें कहा घटना अत्यंत पीड़ादायक है। खुशबू की मौत ने सरकार की कथनी व करनी को पूरी तरह सार्वजनिक कर दिया है। शौचालय के लिए आत्महत्या के मामले में जिला व पुलिस प्रशासन का रुख क्या रहता है यह तो आने वाला वक्त ही बताऐगा, बहरहाल दुमका के डीसी राहुल कुमार सिन्हा ने मामले की त्वरित जांच कर दोषियों पर कार्रवाई का आदेश निर्गत कर दिया है। पुलिस उप महानिरीक्षक, संताल परगना क्षेत्र, दुमका देव बिहारी शर्मा ने 04 जूलाई 2015 को अपने कार्यालय कक्ष में आहुत प्रेसवार्ता में यह स्पष्ट कर दिया कि इस प्रकरण में जिम्मेवार आरोपियों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाऐगी। स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय बनाने की जिम्मेवारी उठाने वाले वैसे पदाधिकारियों पर पैनी निगाह रखने की जरुरत है जो लक्ष्य से अधिक काम का कागजी दस्तावेज तो तैयार कर देते हैं किन्तु धरातल पर उनकी योजना का कोई प्रमाण मौजूद नहीं होता। शहर से सटे दुधानी पंचायत में शौचालय निर्माण में बरती गई लापरवाही से हुई एक बेटी की मौत का आखिर जिम्मेवार कौन होगा ? 

संबंधित विभाग या फिर जिला प्रशासन ? इस सवाल का जबाव ढ़ूढ़ा जा रहा है। मामले की तहकीकात मेें जुटी पुलिस घटना की वास्तविकता से रुबरु का प्रयास कर रही है। पुलिस इस मामले की परत-दर-परत खोलना चाहती है। घर में शौचालय नहीं रहने की स्थिति में क्या कोई इतना खौफनाक कदम उठा सकता है कि वह आत्महत्या जैसे कृत्य को अंजाम दे दे। दुधानी पंचायत की मुखिया लक्ष्मी हांसदा के अनुसार अधिकारी तो दूर की बात विभाग का कोई कर्मी भी इस पंचायत में कभी नहीं देखा गया जो लोगों को शौचालय की जागरुकता के लिये प्रेरित करे। भविष्य में इस तरह की घटना का दुहराव न हो इसके लिए प्रशासन को ठोस कदम उठाने होगंे, अन्यथा खुशबू की राह पर कई-कई बेटियाँ अपना सबकुछ न्योछावर कर सकती हैं। खुशबू की आत्महत्या पर इधर विपक्षियों के तेवर काफी चढ़ चुके हैं। केंद्र व राज्य सरकार की कथनी व करनी पर व्यंगवाणों की वर्षा की जा रही है। 

खुशबू आत्महत्या प्रकरण को केन्द्र में रखते हुए तथा स्वच्छता पर बड़ी-बड़ी बातें व वायदे करने वाली केन्द्र व राज्य सरकार के विरुद्ध पिछले (05 जूलाई 2015) दिनों झामुमों कार्यकर्ताओं ने शहीद सिदो कान्हू मुर्मू चैक से एक विशाल जुलूस के माध्यम से प्रदर्शन किया तथा टीन बाजार चैक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास का पुतला दहन किया। झामुमो जिलाध्यक्ष सुभाष सिंह ने केन्द्र व राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा स्वच्छता मिशन के तहत शौचालय बनवाने का काम तो किया जा रहा किन्तु यह मिशन किस रुप में पूर्ण किया जा रहा खुशबू आत्महत्या प्रकरण से जाना जा सकता है। झामुमों के ही एक दूसरे कार्यकर्ता ने कहा वर्ष 2014 में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने विधायक निधि से दुधानी पंचायत में दो स्थानों पर 3.75 लाख रुपये की लागत से बनने वाले सुलभ शौचालय योजना की स्वीकृति प्रदान की थी। एक शौचालय का निर्माण कार्य तो संपन्न कराया गया किन्तु जमीन उपलब्ध नहीं कराये जाने के कारण दूसरी योजना का कार्य अधर में लटक गया। भाजपा नेता व दुमका की विधायक डा0 लोईस मराण्डी के विरुद्ध अपनी भावना को व्यक्त करते हुए  झामुमों कार्यकर्ता ने कहा वर्तमान विधायक दुर्भावना से ग्रसित है। झामुमों के स्थानीय नेताओं-कार्यकर्ताओं ने खुशबू के परिजनों के लिये आर्थिक मदद की मांग की। घर में शौचालय नहीं बन पाने तथा खुले में शौच की शर्मिदगी आत्महत्या तक का कदम उठाने वाली खुशबू के परिजनों से जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्यामल किशोर सिंह व अन्य ने  उसके माता-पिता की व्यथा सुनी। इस घटना पर काॅग्रेसियों ने दुःख प्रकट करते हुए दुभाग्र्यपूर्ण बताया। 

गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दूबे व दुमका की विधायक तथा राज्य की समाज कल्याण मंत्री डा0 लोईस मराण्डी ने खुशबू के आवास पर उसके माता-पिता से मुलाकात कर वस्तुस्थिति की जानकारी प्राप्त की तथा अपनी-अपनी संवेदनाएँ प्रकट की। स्व0 खुषबू की आत्महत्या का कारण जो भी रहा हो किन्तु यह पीड़ादायक और विडम्बनापूर्ण है। दुमका के डीसी राहुल कुमार सिन्हा ने खुशबू की दुःखद आत्महत्या पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा देश के ऐसे महत्वपूर्ण मानव संसाधन के खोने से रोकना होगा। समाज की सभी वर्ग के लोगों को सामने आकर एक सक्रिय भुमिका निभानी होगी। डीसी, दुमका ने कहा वर्ष 2008 में संजू देवी (स्व0 खुशबू की माँ) के घर निर्मल ग्राम अभियान के तहत शौचालय का निर्माण कराया गया था। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, दुमका के हवाले से प्राप्त समाचार के अनुसार संजू देवी का मामला ‘‘स्लिप बैक’’ का मामला है। विभाग के अधिकारियों ने अभिलेख एवं छायाचित्र उपलब्ध कराते हुए कहा वर्ष 2008 में संजू देवी के घर शौचालय का निर्माण कराया गया था। प्रेस को छायाचित्र उपलब्ध कराते हुए विभाग की ओर से कहा गया नव निर्मित शौचालय के बाहर स्व0 खुशबू की माता संजू देखी खड़ी हैं का प्रमाण विभाग में आज भी मौजूद है। 

06 जूलाई 2015 की एक अहम बैठक में डीसी, दुमका राहुल कुमार सिन्हा ने कहा वर्ष 2019 तक एस0बी0एम0 मिशन के तहत पूरे जिले को शौचालय एवं स्वच्छता कार्यक्रमों से आच्छादित कर दिया जाएगा। विदित हो स्वच्छ भारत मिशन के तहत 12 हजार रुपये राशि का शौचालय उन व्यक्तियों को दिया जा रहा जिनके यहाँ शौचालय नहीं है। विगत वर्षों में बनाये गये शौचालय जो अनुपयुक्त हो चुके है के  पुनरोद्धार के लिये ‘‘स्लिप बैक’’ के तहत अलग से निर्णय सरकारी स्तर पर लिये जाने की आवश्यकता है। मनरेगा के तहत इस वित्तीय वर्ष में कुल 10,325 शैचालय ग्राम सभा की अनुशंसा पर बनाये जा रहे हैं जिसमें लाभुक को पैसा दिया जाता है ताकि वे मानक शौचालय बना सके। स्वच्छ भारत मिशन के तहत इस वित्तीय वर्ष में 10852 शौचालय निर्माण की योजना कार्यान्तिवत की जा रही है। राज्य सरकार व जिला प्रशासन की संवेदनशीलता से भले ही इस योजना का प्रतिफल भविष्य में मीठा हो, बहरहाल खुशबू की आत्महत्या राज्य की सरकार के लिये मंथन का विषय अवश्य हो गया। 




उप राजधानी दुमका से अमरेन्द्र सुमन 

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