जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में शुक्रवार को पाकिस्तान और आईएसआईएस के झंडे लहराए गए। यहां ईदगाह इलाके में बकरीद की नमाज के बाद भीड़ ने पुलिस और सिक्युरिटी फोर्सेस पर पथराव किया। इसके जवाब में पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। इस हिंसक प्रदर्शन में कई लोगों के घायल होने की खबर है। बताया जा रहा है कि भीड़ में शामिल कुछ लड़कों ने भारत विरोधी नारेबाजी भी की।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने बकरीद के मौके पर ऐसी घटनाओं की आशंका जताई थी। इसे लेकर कुछ अलगाववादी नेताओं को नरजबंद भी किया गया था। इसके अलावा, सोशल साइट पर बीफ बैन के विरोध में किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए राज्य में 25 सितंबर सुबह 5 बजे से 26 सितंबर रात 10 बजे तक सभी इंटरनेट सर्विस पर रोक लगाई गई है। गुरुवार को सरकार की हाई लेवल मीटिंग के बाद कश्मीर के डीजीपी ने सभी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को यह आदेश जारी किया। बीजेपी-पीडीपी सरकार को आशंका है कि बकरीद के मौके पर इंटरनेट और सोशल मीडिया से बीफ बैन के विवाद को हवा मिल सकती है।
मुंबई आतंकवादी हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद अपने संगठन जमात-उद-दावा और लश्कर-ए-तैयबा के लिए पैसा जुटा रहा है। इसके लिए वह बकरीद पर कुर्बानी के बाद मवेशियों की खालों को इकट्ठा करने के लिए सीमा के करीब के गांवों में अपने आदमियों को तैनात कर चुका है। इन खालों को बेचकर मोटी रकम कमाई जाती है। एजेंसियों ने इस बारे में अलर्ट जारी किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल जानवरों की खालों से 35 करोड़ रुपए से अधिक की रकम जुटाई गई थी।
हाफिज सईद के संगठन के खातों को सील किए जाने के बाद से वह दूसरे तरीकों से पैसे जुटाने में लगा हुआ है। हाफिज सईद के संगठन को पाकिस्तान सरकार ने वॉच लिस्ट में रखा हुआ है। माना जाता है कि किसी किस्म के लीगल एक्शन से बचने के लिए बैन किए गए जैश-ए-मोहम्मद, जमात-उद-दावा, तहरीक गलबा-ए-इस्लाम, हरकत-उल-मुजाहिदीन, अंसार-उल-उमाह जैसे संगठनों के फ्रंट आर्गनाइजेशन मवेशियों का चमड़ा बेचकर पैसे कमाते हैं। मसलन, जमात-उद-दावा का फ्रंट आर्गनाइजेशन फलाह-ए-इंसानियत इसी तरह से पैसे जुटाता है।

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