पटना 27 दिसम्बर, आपदा के समय बेहतर प्रबंधन के मद्देनजर बिहार में आपदा प्रबंधन के लिये सुपर इमरजेंसी आॅपरेशन सेन्टर स्थापित किया जायेगा जो सभी प्रकार के आधुनिकतम उपकरणों एवं संसाधनों से लैस होगा। राज्य के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज यहां सात सर्कुलर रोड स्थित कैंप कार्यालय में आपदा प्रबंधन विभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक की। विभाग की ओर से बैठक में पावर प्वाईंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से विभागीय कार्यों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। मुख्यमंत्री ने समीक्षा के दौरान निर्देश दिया कि आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से स्थापित किये जाने वाले इमरजेंसी आॅपरेशन सेन्टर ,राज्य तथा जिला स्तर पर स्थापित किया गया है, उसमें आपदा से निपटने के लिये सभी आधुनिक व्यवस्थायें सुनिश्चित की जाये। उन्होंने कहा कि इन सेंटरो पर निगरानी और बेहतर समन्वय के लिये एक सुपर इमरजेंसी आॅपरेशन सेन्टर स्थापित किया जायेगा, जो आपदा प्रबंधन के लिये सभी प्रकार के आधुनिकतम उपकरणों एवं संसाधनों से लैस रहेगा। श्री कुमार ने कहा कि यह नया सेन्टर निर्माणाधीन पुलिस भवन में स्थापित होगा जिसके लिये प्रोटोकाॅल तय किया जायेगा। इस सेन्टर में बड़ी आपदा से निपटने की सारी व्यवस्थायें होगी। उन्होंने इसके लिये आपदा प्रबंधन विभाग और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को आवश्यकताओं का आकलन करने तथा एक प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिया। इसके नोडल अफसर के रूप में पुलिस पदाधिकारी की तैनाती की जायेगी। उन्होंने कहा कि शताब्दी अन्न कलश योजना जारी रहेगी ताकि राज्य में भूख से किसी की मौत न हो। इस योजना के तहत उसे लाभ सुनिश्चित हो सकेगा।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि बाढ़, सुखाड़, अगलगी, पेयजल संकट, भूकम्प आदि के लिये मानक संचालन प्रक्रिया (एस0ओ0पी0) की तरह चक्रवाती तूफान के लिये भी मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की जाये। उन्होंने राज्य आपदा प्रबंधन योजना (एस0डी0एम0पी0) की तर्ज पर सूबे के सभी जिलों में जिला आपदा प्रबंधन योजना (डी0डी0एम0पी0) शीघ्र बना लेने का निर्देश दिया। उन्होंने हर आॅफिस में भी डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान शीघ्र बना लेने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए सामग्री संसाधनों का सुदृढ़ीकरण किया जाये और इसके लिये राज्य एवं जिला स्तर पर जिन चीजों की व्यवस्था करनी है, उसे ससमय कर लिया जाये। इसमें लाइफ जैकेट, महाजाल, टेंट, बक्शा, बर्तन, नाव, इनफ्लैटेबुल मोटरवोट, टेंट, जी0पी0एस0 सेट, इनफ्लैटेबुल इमरजेंसी लाइटिंग सिस्टम, जीवन रक्षक एम्बुलेंस इत्यादि शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा से निपटने के लिये आपदा प्रबंधन के लिए मानव संसाधनों का प्रशिक्षण बहुत ही जरूरी है। ज्यादा से ज्यादा लोगों तक प्रशिक्षण पहुचाने की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि क्विक मेडिकल रिस्पांस टीम को ज्यादा प्रशिक्षित किया जायेगा और इसमें रहने वाले चिकित्सक एवं पुलिस पदाधिकारी के लिये मानक तैयार किये जायेंगे ताकि उनके तबादले से आपदा प्रबंधन पर कोई प्रभाव न पड़े। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन के जो किट इन अधिकारियों को दिये जाते हैं, उनकी नियमित जांच हो तथा उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं थाना में रखा जाये।
मुख्यमंत्री ने इंजीनियर्स, आर्किटेक्चर, काॅन्टैक्टर्स, राजमिस्त्री को भूकम्परोधी बिल्डिंग बनाने का प्रशिक्षण देने का कार्य बिपार्ड की जगह आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को करने का निदेश दिया। इसके लिये मुख्य सचिव के स्तर पर एक बैठक संबंधित विभागों की बुलाकर एक निर्देश जारी किया जायेगा। उन्होंने स्कूली बच्चों को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण जारी रखने का भी निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि 8 एवं 9 जनवरी को विशेष रोड मैप फाॅर डी0आर0आर0 के प्रारूप को अंतिम रूप देने हेतु आपदा प्रबंधन विभाग एक कार्यशाला का आयोजन कर रही है, जिसमें राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों की भागीदारी होगी। बैठक में मुख्यमंत्री के अलावे आपदा प्रबंधन मंत्री चन्द्रशेखर, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, पुलिस महानिदेशक श्री पी0के0 ठाकुर, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, प्रधान सचिव (आपदा प्रबंधन) ब्यासजी, मुख्यमंत्री के सचिव चंचल कुमार और अतीश चन्द्रा, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह सहित सभी संबंधित पदाधिकारी मौजूद थे।

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