बिहार : भूमिहीनों को अब तक नहीं मिल सका जमीन पर वास्तविक दखल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


सोमवार, 28 दिसंबर 2015

बिहार : भूमिहीनों को अब तक नहीं मिल सका जमीन पर वास्तविक दखल

  • अदालत में सरकार द्वारा पर्चाधारियों के पक्ष में उचित पैरवी और पर्चाधारियों को पक्षकार नहीं बनाये जाने की वजह से लाखों 
  • सीलिंग एक्ट को और प्रभावी बनाने की जरूरत, ताकि भूस्वामी इसका फायदा न उठा सके.
  • भूस्वामियों द्वारा 45 बी के दुरूपयोग पर सरकार को जारी करना चाहिए श्वेत पत्र.
  • बंद्योपाध्याय आयोग की सिफारिश को संपूर्णता में लागू करे सरकार.

cpi-ml-ask-land-for-landless-poor
पटना 28 दिसंबर 2015, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव व्यासजी के हवाले से सीलिंग एक्ट पर सरकार के आए बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि अदालत में सरकार द्वारा पर्चाधारियों के पक्ष में उचित पैरवी और पर्चाधारियों को पक्षकार नहीं बनाये जाने की वजह से सीलिंग के कई मामले अब तक उलझे हुए हैं. जबकि उन जमीनों पर अब तक पर्चाधारियों को दखल कब्जा मिल जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि भूस्वामी सीलिंग एक्ट की धारा 45 बी का दुरूपयोग कर रहे हैं. अतः राज्य सरकार व भूमि सुधार विभाग को ऐसे मामलों में श्वेत पत्र जारी करना चाहिए और उन मामलों को सार्वजनिक करना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि हमारी मांग है कि सीलिंग एक्ट को और प्रभावी तरीके से लागू किया जाए ताकि भूस्वामी उसका नाजायज फायदा न उठा सके. जब अदालत में इस तरह का कोई मामला खुलता है तो उसमें पर्चाधारी पक्षकार होते ही नहीं है, उनकी तरफ से सरकार लड़ती है. 

लेकिन सरकार पर्चाधारियों के पक्ष में उचित पैरवी नहीं करती है और अधिकांश मामलों में मुकदमा हार जाती है. उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने जिस जमीन को एक बार सीलिंग एक्ट के दायरे की जमीन घोषित कर दी है, उसे इस अदालती पचड़े से बाहर रखा जाए. उन्होंने आगे कहा कि सरकारों में भूमि सुधार की सिफारिशों को लागू करने की इच्छाशक्ति का अभाव रहा है. भूस्वामियों के दबाव में नीतीश सरकार भी अपने ही द्वारा गठित बंद्योपाध्याय आयोग की सिफारिशों को लागू करने से इंकार कर दिया. सरकार लगातार बयान दे रही है कि भूमि सुधार का मामला अप्रसांगिक हो चुका है. भूदान कमिटी को भी सरकार भंग करने का प्रयास कर रही है. यह एक विरोधाभास की स्थिति है.

कोई टिप्पणी नहीं: