पटना, 28 दिसम्बर। दरभंगा के बहेड़ी थाना क्षेत्र के बहेड़ा-बहे़डी पथ के षिवराम चैक पर राज्य उच्च पथ के निर्माण कार्य में जुटे बीएससी एवं सीएनसी कंपनी के दो युवा इजीनियरों मुकेष कुमार सिंह (45 वर्ष) और ब्रजेष कुमार सिंह (30 वर्ष) की फिरौती के लिए की गयी सनसनीखेज हत्या का मामला बिहार सरकार के सुषासन के दावे की कलई खोलने वाला ऐसा मामला है जो लोगों को जंगलराज के दिनों की याद दिला गया है। हालाॅकि सरकार ने स्पेषल टास्क फोर्स का गठन कर तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी है, फिर भी यह सवाल मुंह बाए खड़ा है कि आखिर क्या बात है कि विगत विधान सभा चुनावों के बाद राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है? एक के बाद एक लूट, हत्या, चोरी, डकैती, फिरौती के लिए अपहरण व हत्या की घटनाओं ने लोगों में एक बार फिर भय, संषय और राज्य सरकार की नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दरभंगा के उक्त लोमहर्षक हत्याकांड से उत्पन्न दहषत से लोग-बाग अभी ऊबर भी नहीं पाये थे कि उसी दिन सीतामढ़ी में एक डाक्टर के घर पर रंगदारी के लिए अपराधियों द्वारा हमलाकर दिए जाने की घटना सामने आ गयी जहाँ गणेष सिनेमा रोड स्थिति डा॰ पी.पी. लोहिया के घर पर छः राउंड फायरिंग कर अपराधकर्मी फरार हो गये। हालात तो कुछ इस कदर बिगड़े हुए हैं कि राजधानी पटना के इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान के दो जुनियर डाक्टरों और एक सुरक्षाकर्मी को दिन -दहाड़े हस्पताल परिसर में जख्मी कर स्थानीय लुहेड़े भाग निकले और पुलिस देखती रह गयी। अपराधी लुहेड़ों ने दो मोटर साइकिलों को आग के हवाले कर दिया और कई अन्य वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। प्रत्यक्षदर्षियों के मुताबिक दोनों डाक्टरों व सुरक्षा सुपरवाइजर का कसूर यह था कि हस्पताल परिसर को चारागाह बनाए लुहेड़ों के दो गिरोहों के बीच हो रही झड़प को वे रोकने /षांत करने का प्रयास कर रहे थे।
प्रायः 24 घंटे के दरम्यान घटित ये घटनाएं मुख्यमंत्री नीतीष कुमार की तीसरी पारी में अपराधकर्मियों के हौसले में हुए इजाफे की ताजातरीन बानगी भर हैं। विगत दो महीनों में राज्य के क्राइम-ग्राफ को देखें तो इस नतीजे पर पहुंचने में कतई दिक्कत नहीं होगी कि बिहारवासियों के मन में ‘जंगलराज -दो’ की वापसी का अंदेषा सर्वथा निर्मूल नहीं है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने दरभंगा में युवा इंजीनियरों की निर्मम हत्या से उत्पन्न स्थिति का मौके पर जायजा लेने के बाद मांग की है कि
(क) हत्यारों को अविलंब गिरफ्तार कर कठोर से कठोर सजा दी जाए और साजिषकत्र्ताओं की भी षिनाख्त कर सलाखों के अंदर भेजा जाए,
(ख) दरभंगा के जिला पदाधिकारी, वरीय आरक्षी अधीक्षक पर जिम्मेदारी तय करते हुए उन्हें निलंबित किया जाए, सिर्फ थानेदार का निलंबन आंखों में धूल झोंकने भर है;
(ग) मृतक इंजीनियरों के परिजनों को पचास-पचास लाख रु॰ मुआवजा दिया जाए;
(घ) राज्य के सत्ता-प्रतिष्ठान में बैठे अपराधकर्मियों के संरक्षकों को चिन्हित कर उन्हें कठघरे में खड़ा किए जाए ताकि कानून-व्यवस्था को दुरूस्त करने के प्रयासों में कोई छेद न रहने पाए और सरकार इस बाबत अपने वादे पर खरी उतरे

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