नयी दिल्ली 25 दिसंबर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के चौथे प्रधानमंत्री है जो पड़ोसी देश पाकिस्तान की यात्रा पर गये है। भारतीय प्रधानमंत्री की पाकिस्तान में 11 वर्ष बाद यात्रा हो रही है। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, श्री राजीव गांधी और श्री अटलबिहारी वाजपेयी दो-दो बार पाकिस्तान की यात्रा पर गये थे। श्री मोदी रूस और अफगानिस्तान की यात्रा के बाद आज अचानक पाकिस्तान की यात्रा पर पहुँचे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का आज जन्मदिन भी है। पिछले साल श्री मोदी के सत्ता ग्रहण समारोह में श्री शरीफ भी आए थे और ऐसी उम्मीद बंधी थी कि दोनों देशों के बीच बेहद तल्ख रिश्तों में कड़वाहट में कमी आएगी लेकिन पाकिस्तान द्वारा सीमापार से लगातार आतंकवादी घटनाओं के बाद संबंधों में खटास आ गई थी। हाल में दोनों देशों के बीच फिर से बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ है और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हाल ही में पाकिस्तान की यात्रा की थी।
प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू 1953 में 25 से 27 जुलाई तक पाकिस्तान की यात्रा पर गए थे। उनकी इस यात्रा को भारत की तरफ से दोनों देशों के बीच कश्मीर समेत सभी विवादों को हल करने के पहले गंभीर प्रयास के रूप में देखा गया था। उस समय श्री नेहरू पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से बातचीत करने के लिए कराची गए थे। श्री नेहरू ने ही सात साल के बाद 1960 में फिर 19 से 23 सितंबर तक पाकिस्तान की यात्रा की थी। उस यात्रा के दौरान श्री नेहरू कराची, मुरी, नाथियागली, रावलपिंडी और लाहौर गए थे। पाकिस्तान की दूसरी यात्रा के दौरान उनका भव्य स्वागत हुआ था। यह यात्रा जलसंधि पर हस्ताक्षर को लेकर थी।
इसके बाद दोनों के बीच रिश्तों में तल्खी बढ़ती गई और 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध हुआ और बंगलादेश का उदय हुआ। इस युद्ध के करीब 18 साल बाद राजीव गांधी ने 1988 में 29 से 31 दिसंबर तक पाकिस्तान की यात्रा की थी। भारतीय प्रधानमंत्री की 28 साल बाद यह पहली पाकिस्तान यात्रा थी। श्री गांधी चौथे दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) की बैठक में हिस्सा लेने इस्लामाबाद गए थे। उस समय पाकिस्तान में एक दशक से अधिक समय के बाद बेनजीर भुट्टो की अगुआई में पहली लोकतांत्रिक सरकार बने एक महीना भी नहीं हुआ था, इस यात्रा में दोनों प्रधानमंत्रियों ने तीन गैरपक्षीय समझौते किए थे, जिनमें एक दूसरे के परमाणु ठिकानों पर आक्रमण पर रोक, विमान सेवा और सांस्कृतिक सहयोग बढ़ाना था।
इस यात्रा के एक वर्ष के कम समय में श्री गांधी ने 1989 में फिर 16, 17 जुलाई को इस्लामाबाद की यात्रा की थी।
इसके बाद अगले करीब 10 वर्ष तक कोई भी भारतीय प्रधानमंत्री पाकिस्तान की यात्रा पर नहीं गया। श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार केन्द्र में सत्ता में आई । श्री वाजपेयी ने दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने के लिए 1999 में 19 और 20 फरवरी को बस से लाहौर की यात्रा की। अपनी इस यात्रा में वह दिल्ली लाहौर बस सेवा का उद्घाटन कर उसमें स्वयं सवार होकर गए थे। उस समय भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री श्री शरीफ ही थे। दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य बनाने और शांति कायम करने का श्री वाजपेयी का यह प्रयास सिरे नहीं चढ़ा और पाकिस्तान ने एक माह के भीतर ही करगिल पर आक्रमण कर लाहौर घोषणा को खत्म कर दिया।
करीब पांच वर्ष बाद श्री वाजपेयी 2004 में 4 से 6 जनवरी तक बारहवें दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग लेने इस्लामाबाद गए। इसके बाद भी दोनों देशों के बीच संबंधों में कड़वाहट निरंतर बढ़ती गई और 2008 में मुंबई के ताजमहल होटल पर आतंकवादी आक्रमण ने दोनों देशों के रिश्तों में दूरी ओर बढ़ा दिया। पाकिस्तान की तरफ से सीमा पार से बारबार हमलों के बाद रिश्ते लगातार तल्ख बने रहे, लेकिन पिछले साल 26 मई को श्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के न्योते को स्वीकार कर श्री शरीफ भारत आए थे। इससे दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार की लौ जगी थी लेकिन सीमा पार से निरंतर गोलाबारी और शांति समझौते का उल्लंघन होने से रिश्ते बराबर कटु बने रहे। अब श्री मोदी की अचानक पाकिस्तान यात्रा को लेकर राजनीतिक क्षेत्र में तरह तरह के कायस लगने शुरू हो गए हैं।

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