लाहौर, 25 दिसंबर, पाकिस्तान के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को सुधारने की बड़ी पहल करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को जन्मदिन की बधाई देने के लिये आज अचानक लाहौर जा पहुँचे। श्री मोदी ने करीब ढाई घंटे के प्रवास के दौरान भारत पाकिस्तान के रिश्तों को सुधारने के लिये पारिवारिक एवं निजी संबंधों का कूटनीतिक संबंधों को सामान्य बनाने के लिये इस्तेमाल करने की पहल की। उन्होंने श्री शरीफ को जन्मदिन की बधाई दी और उनकी नातिन से भी मिले और उसे शादी की मुबारकबाद एवं आशीर्वाद दिया। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से श्री मोदी के पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को जन्मदिन की बधाई देने के तुरंत बाद अपराह्न अचानक बने इस कार्यक्रम का पता चलते ही भारत और पाकिस्तान के सरकारी हलकों में अफरा तफरी मच गयी और दुनिया हैरान रह गयी। अपनी नातिन के निकाह समारोह के कारण लाहौर में मौजूद श्री शरीफ को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने के लिये श्री मोदी ने ट्विटर पर लाहौर आने की घोषणा कर दी। श्री मोदी ने काबुल से भारतीय वायुसेना के विमान से करीब साढ़े तीन बजे उड़ान भरी और करीब पौने पांच बजे उनका विमान लाहौर हवाई अड्डे पर उतरा।
लाहौर के अल्लामा इकबाल हवाई अड्डे पर श्री शरीफ करीब आधे घंटे पहले ही हवाई अड्डे पहुँच गये थे। उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री का गले लग कर गर्मजोशी से स्वागत किया और अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों से परिचय कराया। बाद में श्री शरीफ हेलिकॉप्टर में श्री मोदी और उनके साथ आये प्रतिनिधिमंडल में शामिल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश सचिव एस जयशंकर एवं अन्य अधिकारियों को लेकर अपने पैतृक गाँव रायविंड में अपने घर जाती उमरा के लिये रवाना हो गये। दोनों नेता एक ही कार में सवार हो कर जाती उमरा पहुँचे। वहाँ श्री शरीफ के भाई एवं पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री शाहबाज़ शरीफ ने उनकी अगवानी की। कल श्री शरीफ की नातिन का निकाह है और आज मेंहदी की रस्म थी। श्री मोदी ने दुल्हन को आशीर्वाद एवं साड़ी का तोहफा दिया और उसके सुखमय जीवन की कामना की।
रायविंड में करीब डेढ़ घंटे तक रुकने के बाद श्री मोदी वापस लौट गये। भारतीय समयानुसार पौने सात बजे वह श्री शरीफ के घर से हवाई अड्डे के लिये रवाना हो गये। श्री शरीफ उन्हें विदा करने हवाई अड्डे तक आये। सवा सात बजे श्री मोदी अपने विमान में सवार होेकर स्वदेश रवाना हो गये। मौके के गवाह रहे विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्विटर पर बताया कि दोनों नेताओं ने शोर शराबे से दूर द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत की। श्री मोदी की लाहौर यात्रा को देखते हुए पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी गयी थी। पाकिस्तान में इसे अहम कूटनीतिक घटना के रूप में देखा जा रहा है। यह श्री मोदी की पहली और किसी भारतीय प्रधानमंत्री की 11 साल बाद पहली पाकिस्तान यात्रा है। इससे पहले 2004 जनवरी में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (दक्षेस) की बैठक में भाग लेने गये थे।
यह श्री मोदी और श्री शरीफ के बीच पाँचवीं और एक साल के अंदर तीसरी मुलाकात है। दोनों नेताओं के बीच पहली मुलाकात 27 मई को नई दिल्ली में हुई थी जब श्री मोदी के निमंत्रण पर श्री शरीफ उनके शपथग्रहण समारोह में भाग लेने आये थे। दूसरी मुलाकात पिछले साल काठमांडू में दक्षेस की बैठक के दौरान हुई थी। इसके बाद इस साल जुलाई में रूस के ऊफा में ब्रिक्स एवं शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन के इतर दोनों नेताओं की द्विपक्षीय बैठक हुई थी। इसके बाद 30 नवंबर को पेरिस में जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक तापवृद्धि पर पक्षकारों के सम्मेलन में दोनों नेताओं की अनौपचारिक बातचीत हुई थी। उसके परिणामस्वरूप बैंकाक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक हुई और चंद दिनों पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में शिरकत के लिये इस्लामाबाद का दौरा किया। कूटनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक श्री मोदी की श्री शरीफ के साथ मुलाकात की घोषणा मीडिया की चकाचौंध से हटकर उनकी लीक से हटकर कूटनीति का ही विस्तार है।
श्री मोदी ने काबुल में अफगान संसद के उद्घाटन के बाद ट्वीट करके जानकारी दी, “मैंने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से टेलीफोन पर बात की और उन्हें जन्मदिन की बधाई दी। मैं लाहाैर में आज दोपहर श्री शरीफ से मिलूंगा जहाँ स्वदेश लौटते समय रुकूँगा।” उनकी इस घोषणा ने दुनियाभर के कूटनीतिक हलकों को अचरज में डाल दिया। उधर, नयी दिल्ली में विदेश मंत्री श्रीमती स्वराज ने तुरंत इसकी सराहना की। श्रीमती स्वराज ने ट्वीट किया कि यह एक कुशल राजनेता की निशानी है। पड़ोसी से ऐसे ही रिश्ते होने चाहिये। जबकि कांग्रेस ने श्री मोदी की यात्रा की तीखी आलोचना की। कांग्रेस के प्रवक्ता आनंद शर्मा ने इसे ‘कूटनीतिक मज़ाक’ करार दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यह यात्रा पहले से तय हो गयी थी और इसका मकसद किसी निजी कारोबारी को फायदा पहुँचाना था।
इससे पहले 1999 में श्री वाजपेयी दिल्ली-लाहौर बस सेवा में सवार होकर लाहौर पहुँचे थे लेकिन कारगिल की घटना से दोनों देशों को सैन्य टकराव की दिशा में धकेल दिया था। श्री मोदी के पूर्ववर्ती एवं श्री वाजपेयी के उत्तराधिकारी डॉ. मनमोहन सिंह भी पाकिस्तान की यात्रा को लेकर कई बार बहुत उत्सुक रहे क्योंकि उनका जन्मस्थान गाह गाँव पाकिस्तान के पंजाब में है। लेकिन ऐसे हालात बने कि वह नहीं जा पाये। ऐसे संकेत थे कि श्री मोदी 2016 में दक्षेस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पाकिस्तान जाएँगे लेकिन दक्षेस सम्मेलन से बहुत पहले ही पाकिस्तान जाने का उनका मकसद दोनों देशों के बीच बाधित समग्र शांति प्रक्रिया को बहाल करना है।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें