एलुरु(आंध्र प्रदेश) 25 दिसम्बर, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आज कहा कि वेद हमारी अमूल्य सम्पदा हैं और इनमें वर्णित श्लोकों में निहित ज्ञान का अकूत भंडार हमारे विवेक, बुद्धिमत्ता और समझ को विकसित करता है। श्री मुखर्जी ने पश्चिम गोदावरी जिले में अल-भीमावरम स्थित तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा निर्मित वैदिक स्कूल के उद्घाटन के दौरान कहा, “वेद हमारी विरासत अौर संस्कृति का स्रोत है और हमारे मूल्यों का आधार है।” उन्होंने कहा, “वेदों में निहित विचार न सिर्फ व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए हैं बल्कि इनमें वर्णित संदेश सार्वभौमिक भाईचारे को प्रकट करते हैं। यूनेस्को ने भी माना है कि वेद वाचिक विरासत हैं और इनका संरक्षण हमारा पवित्र कर्तव्य है।”
उन्होंने कहा, “वेदों को सही से समझे बिना उनके वास्तविक संदेश को नहीं समझा जा सकता। वास्तव में, वैदिक शिक्षाओं की पुरानी परंपरा वाचिक और गुरु-शिष्य परम्परा पर आधारित थी।” राष्ट्रपति ने कहा कि आंध्र प्रदेश में प्राचीन समय में कई शैक्षिक केन्द्र थे जहां पर विदेशी छात्र उच्च शिक्षा के लिए आते थे। वैदिक संस्थान और विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए टीटीडी की प्रशंसा करते हुए श्री मुखर्जी ने कहा कि वेद की वाचिक परंपरा को बचाये रखने के लिए टीटीडी की ओर से उठाए गए कदम सराहनीय हैं। टीटीडी ने श्री वेंकटेश्वर वैदिक विश्वविद्यालय की शुुरूआत की जो अपनी तरह का अनूठा संस्थान है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने उम्मीद जताई कि अल-भीमावरम स्थित वैदिक स्कूल आने वाले समय में वैदिक शिक्षा का केंद्र बनेगा।

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